रेपो रेट में हो सकती है कटौती, बैंकों के साथ बैठक में आरबीआई गनर्वर ने दिया संकेत
केंद्र सरकार के बजट पेश करने से महज चार दिन पहले रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने सोमवार को सरकारी बैंकों और वित्तीय संस्थानों के प्रमुखों से मुलाकात की। बैठक के दौरान उन्होंने सुधारों पर जोर देते हुए बैंकिंग क्षेत्र के महारथियों से के साथ अपनी उम्मीदें साझा की।
समीक्षा बैठक के बाद गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि इसका मकसद मुख्य रूप से बैंक प्रमुखों को यह बताना था कि बैंकिंग क्षेत्र से आबीआई की क्या उम्मीदें हैं। विशेष रूप से सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों से वह क्या उम्मीद करते हैं। इसके अलावा मौजूदा बैंकिंग स्थिति और भविष्य के परिदृश्य को लेकर भी चर्चा की।
आगामी 7 फरवरी को होने वाली आरबीआई की मौद्रिक समीक्षा बैठक से पहले वित्तीय सेवा विभाग की ओर से बुलाई गई इस बैठक को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इस दौरान वित्त सचिव राजीव कुमार भी समीक्षा बैठक में उपस्थित रहे।
बैंकों को पीसीए से निकालना प्राथकिता
एनपीए के बोझ तले दबे सरकारी बैंकों पर आर्थिक संकट गहराता जा रहा है। आरबीआई ने 11 सरकारी बैंकों को त्वरित सुधारात्मक कार्रवाई (पीसीए) के तहत रखा था जिन पर नए कर्ज बांटने और शाखाएं खोलने पर रोक लगा दी गई थी।
सरकार और आरबीआई की प्राथमिकता है कि इन बैंकों को जल्द से जल्द पीसीए से बाहर निकाला जाए। इसके लिए बैंकिंग क्षेत्र में सुधारों के साथ सरकार संकट में फंसे बैंकों को पूंजी भी उपलब्ध करा रही है और उम्मीद है कि जल्द चार-पांच बैंक पीसीए फ्रेमवर्क से बाहर आ जाएं।
नीतिगत दरों में कटौती संभव
बैठक के बाद आर्थिक जगत ने उम्मीद जताई है कि मुद्रास्फीति में नरमी को देखते हुए रिजर्व बैंक आगामी मौद्रिक समीक्षा में नीतिगत दरों में कटौती कर सकता है। यह नए गवर्नर शक्तिकांत दास के कार्यकाल में पहली मौद्रिक समीक्षा बैठक होगी। इससे पहले उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति दर बीते दिसंबर में घटकर 2.19 फीसदी पर आ गई है, जो कि डेढ़ साल का न्यूनतम स्तर है।
एनपीए में भी आ रही गिरावट
बैंकों के फंसे कर्ज (एनपीए) में भी उल्लेखनीय कमी आई है। सरकार और आरबीआई के विभिन्न कदमों की वजह से एनपीए मार्च 2018 के 9.62 लाख करोड़ रुपये से 23 हजार करोड़ रुपये कम हुआ है। इसी तरह सरकारी बैंकों ने वित्त वर्ष 2018-19 की पहली छमाही में 60,726 करोड़ रुपये की वसूली का रिकॉर्ड बनाया है।
इस बैठक में शामिल होने का मूल विचार यह था कि सरकारी बैंकों को यह बताया जाए कि नियामक (आरबीआई) उनसे क्या अपेक्षा रखता है। साथ बैंकिंग क्षेत्र की वर्तमान स्थिति पर चर्चा कर भविष्य की रूपरेखा बनाने पर विचार किया जाए।
-शक्तिकांत दास, गवर्नर, आरबीआई