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रेपो रेट और घटा सकता है आरबीआई, 0.25 फीसद की हो सकती है कटौती
बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: तिवारी अभिषेक
Updated Sun, 31 Mar 2019 10:27 PM IST
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रिजर्व बैंक (फाइल फोटो)
- फोटो : PTI
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आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए रिजर्व बैंक इस सप्ताह रेपो रेट में और कटौती कर सकता है। गुरुवार से आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक शुरू होगी। पिछली एमपीसी बैठक में केंद्रीय बैंक ने रेपो रेट में 0.25 फीसदी की कटौती की थी।
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विशेषज्ञों का मानना है कि वैश्विक नरमी का असर घरेलू आर्थिक वृद्धि पर भी पड़ सकता है। ऐसे में आर्थिक गतिविधियों को बढ़ाने के लिए आरबीआई ब्याज दरों में लगातार दूसरी बार राहत दे सकता है। इससे पहले फरवरी में 18 महीने के लंबे अंतराल के बाद केंद्रीय बैंक ने रेपो रेट में राहत दी थी। गवर्नर शक्तिकांत दास की अगुवाई में छह सदस्यीय एमपीसी बैठक एक अप्रैल से शुरू होगी, जो वित्त वर्ष 2019-20 की पहली समीक्षा बैठक होगी।
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आरबीआई गवर्नर पहले ही शेयरधारकों, औद्योगिक निकायों, जमा संगठनों, बैंकर और एमएसएमई प्रतिनिधियों से मुलाकात कर उनका पक्ष ले चुके हैं। महंगाई दर अभी काबू में होने से उद्योगों को रेपो में कटौती की उम्मीद है। एचडीएफसी सिक्योरिटीज के पूंजी बाजार रणनीतिकार वीके शर्मा ने बताया कि बाजार को गति देने के लिए आधार दर में 0.25 फीसदी की कटौती होनी चाहिए।
कोटक महिंद्रा बैंक में अध्यक्ष (उपभोक्ता बैंकिंग) शांति एकंबरम ने बताया कि भविष्य की नीतियों पर वैश्विक और घरेलू कारकों का बखूबी असर पड़ेगा, जहां खपत और निवेश चक्र में मामूली गिरावट दिख रही है। इससे रेपो रेट में चौथाई फीसदी की कटौती होने की उम्मीद बढ़ जाती है।
भारतीय उद्योग परिसंघ के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने कहा कि बीते वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में वृद्धि मंद होने के कारण आरबीआई को सीआरआर घटाने के साथ रेपो रेट में 25 आधार अंकों की कटौती करनी चाहिए और मौद्रिक नीतियों को लेकर नरम रुख बरकरार रखना चाहिए।
बैंक ऑफ बड़ौदा तीसरा बड़ा बैंक
आरबीआई ने बताया कि 1 अप्रैल से देना और विजया बैंक का बैंक ऑफ बड़ौदा (बीओबी) में विलय से यह देश का तीसरा बड़ा बैंक बन जाएगा। इसकी कुल बाजार पूंजी 14.82 लाख करोड़ होगी, जो एसबीआई और आईसीआईसीआई के बाद सबसे ज्यादा है। इस विलय के बाद सरकारी बैंकों की संख्या घटकर 18 रह जाएगी। नए बैंक का नेट एनपीए 5.71 फीसदी होगा, जो सरकारी बैंकों के औसत एनपीए 12.13 फीसदी से काफी कम है।