Banking System: मजबूत हुई बैंकिंग प्रणाली और एनबीएफसी, उच्च पूंजी अनुपात-मजबूत परिसंपत्ति गुणवत्ता में वृद्धि
भारतीय बैंकों की संपत्ति गुणवत्ता में लगातार सुधार हो रहा है। 2018-19 में शुरू हुआ सुधार का यह सिलसिला 2022-23 में भी जारी रहा। इससे अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (एससीबी) के सकल एनपीए यानी फंसे कर्ज में कमी आई है।


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देश की बैंकिंग प्रणाली और एनबीएफसी क्षेत्र मजबूत बना हुआ है। इसकी प्रमुृख वजह उच्च पूंजी अनुपात, मजबूत परिसंपत्ति गुणवत्ता और आय में शानदार वृद्धि है। इसके बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए दोनों को अपनी संचालन व जोखिम प्रणाली प्रबंधन पर ध्यान देना होगा।
भारतीय बैंकों की संपत्ति गुणवत्ता में लगातार सुधार हो रहा है। 2018-19 में शुरू हुआ सुधार का यह सिलसिला 2022-23 में भी जारी रहा। इससे अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (एससीबी) के सकल एनपीए यानी फंसे कर्ज में कमी आई है। आरबीआई की बुधवार को जारी रिपोर्ट के मुताबिक, संपत्ति गुणवत्ता में सुधार पर जोर से बैंकों का सकल एनपीए अनुपात 2023-24 की पहली छमाही यानी अप्रैल-सितंबर अवधि में घटकर 10 साल के निचले स्तर 3.2 फीसदी पर आ गया। मार्च, 2023 में यह 3.9 फीसदी था।
बही-खाते 9 साल में सबसे मजबूत, 12.2 फीसदी वृद्धि
इसी प्रकार, खुदरा और सेवा क्षेत्रों को कर्ज बढ़ने के साथ अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों के एकीकृत बही-खाते में 2022-23 के दौरान 12.2 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। यह 9 साल में सबसे ज्यादा है। इस दौरान बैंकों में जमा की रफ्तार भी बढ़ी है। हालांकि, कर्ज वृद्धि की तुलना में यह कम है।
बैंकों में धोखाधड़ी के मामले बढ़े
चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में बैंक धोखाधड़ी के मामले बढ़कर 14,483 पहुंच गए। लेकिन, इनमें शामिल राशि पिछले साल की तुलना में सिर्फ 14.9 फीसदी रही है। पहली छमाही में 2,642 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के 14,483 मामले सामने आए। एक साल पहले की समान अवधि में 17,685 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के 5,396 मामले सामने आए थे। 2022-23 में बैंकों ने धोखाधड़ी के मामलों के छह साल के निचले स्तर पर आ जाने की बात कही, जबकि धोखाधड़ी में शामिल औसत राशि एक दशक में सबसे कम थी।
1.50 लाख करोड़ का मुनाफा संभव
भारतीय बैंकिंग क्षेत्र के लिए 2023 का साल काफी अच्छा रहा है। चालू वित्त वर्ष में देश के सरकारी बैंकों का कुल मुनाफा 1.50 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचने का अनुमान है। चालू वित्त वर्ष के पहले छह महीनों में सरकारी बैंकों ने करीब 68,500 करोड़ कमाए हैं। दूसरी छमाही में भी यह रफ्तार जारी रहने की उम्मीद है। 2022-23 में सरकारी बैंकों का मुनाफा 1.04 लाख करोड़ रुपये से अधिक रहा था।
अब सरकारी प्रतिभूतियों में भी कर्ज का लेन-देन
अब सरकारी प्रतिभूतियों में भी कर्ज का लेन-देन हो सकेगा। आरबीआई ने इससे जुड़े दिशा-निर्देश बुधवार को जारी कर दिए, जो तत्काल प्रभाव से लागू हो जाएगा। निर्देशों के मुताबिक, ट्रेजरी बिल को छोड़कर केंद्र सरकार जो भी प्रतिभूति जारी करती है, उसका कर्ज के रूप में लेन-देन हो सकेगा। इस कदम से सरकारी प्रतिभूति बाजार में तरलता बढ़ेगी और सही मूल्यांकन हो सकेगा। आरबीआई ने कहा, बैंकों और एनबीएफसी दोनों को अपनी ग्राहक सेवाओं को और बेहतर बनाने पर ध्यान देने की जरूरत है।