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Biz Updates: कॉरपोरेट बॉन्ड इंडेक्स डेरिवेटिव्स में व्यापार को मिलेगा बढ़ावा, सेबी व आरबीआई  कर रहे बातचीत

बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: कुमार विवेक Updated Fri, 19 Sep 2025 04:59 PM IST
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बिजनेस अपडेट्स - फोटो : amarujala.com
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भारतीय प्रतिभूति व विनिमय बोर्ड (सेबी) और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) कॉरपोरेट ऋण प्रतिभूतियों में व्यापारिक गतिविधि को मजबूत करने के लिए कॉरपोरेट बॉन्ड इंडेक्स डेरिवेटिव्स पर चर्चा कर रहे हैं। सेबी के पूर्णकालिक सदस्य अनंत नारायण जी ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।

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एसोचैम की कॉरपोरेट बॉन्ड्स पर राष्ट्रीय परिषद में बोलते हुए, नारायण ने कहा, "कॉर्पोरेट बॉन्ड इंडेक्स डेरिवेटिव्स ट्रेडिंग इस संबंध में एक और नया आयाम है। सेबी और आरबीआई के बीच अच्छी बातचीत चल रही है, और हमें उम्मीद है कि जल्द ही प्रगति देखने को मिलेगी।"
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उन्होंने बताया कि सेकेंडरी बॉन्ड का कारोबार लगभग 1.4 लाख करोड़ रुपये प्रति माह है, जबकि इक्विटी बाजारों में एक दिन में लगभग इतना ही कारोबार होता है। 2023 में सेबी ने स्टॉक एक्सचेंजों को AA+ और उससे ऊपर की रेटिंग वाली कॉर्पोरेट ऋण प्रतिभूतियों के सूचकांकों पर डेरिवेटिव अनुबंध शुरू करने की अनुमति दी थी।

 

सेबी ने वारिस को शेयर ट्रांसफर पर टैक्स झंझट खत्म किया

बाजार नियामक सेबी ने शुक्रवार को शेयरों और अन्य प्रतिभूतियों को नामिनी से कानूनी वारिस को स्थानांतरित करने की प्रक्रिया सरल बना दी। अभी तक कई मामलों में ऐसे ट्रांसफर को "ट्रांसफर" मान लिया जाता था और उस पर कैपिटल गेन टैक्स लगा दिया जाता था। हालांकि, आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 47(iii) के तहत यह ट्रांसमिशन टैक्स-फ्री है।

इस भ्रम को दूर करने के लिए सेबी की कार्य समिति ने केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) से चर्चा की और एक नया रिपोर्टिंग कोड टीएलच (कानूनी उत्तराधिकारियों को हस्तांतरण) लागू करने की सिफारिश की। सेबी ने कहा कि नामिनी से कानूनी वारिस को प्रतिभूतियों के ट्रांसमिशन की रिपोर्टिंग करते समय सभी संस्थाएं एक मानक कारण कोड ‘TLH’ का उपयोग करेंगी, जिससे आयकर अधिनियम के प्रावधानों का सही अनुप्रयोग हो सके।

यह नया प्रावधान 1 जनवरी, 2026 से लागू होगा। इसके तहत सभी रिपोर्टिंग संस्थाएं, आरटीए, सूचीबद्ध कंपनियां, डिपॉजिटरी और डिपॉजिटरी प्रतिभागी को "टीएलएच" कोड का इस्तेमाल करना होगा।

 

हाइब्रिड फंड : संपत्तियां 20% बढ़कर 10.7 लाख करोड़ रुपये
वैश्विक बाजारों में अनिश्चितता बढ़ रही है। देशों के बीच तनाव अनसुलझे हैं। इससे हाइब्रिड फंड में निवेश बढ़ रहा है। इस कैटेगरी की प्रबंधन अधीन संपत्तियां (एयूएम) अगस्त में 20 फीसदी बढ़कर 10.7 लाख करोड़ हो गई हैं। इस श्रेणी में मल्टी एसेट एलोकेशन में अगस्त में 3,528 करोड़ निवेश आया।

एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया के अनुसार, सुरक्षित निवेश की मांग, महंगाई की चिंताओं व ब्याज दरों में कटौती की उम्मीदों से सोने के दाम बढ़ रहे हैं। हालांकि, कोई भी संपत्ति लगातार बेहतर प्रदर्शन नहीं कर सकती। इसलिए इक्विटी, डेट व कमोडिटीज के विविधीकरण वाले फंडों में ज्यादा निवेश हो रहा है। बेहतर प्रदर्शन करने वाले फंड हाउसों में निप्पॉन इंडिया मल्टी एसेट एलोकेशन और निप्पॉन इंडिया मल्टी एसेट ओमनी फंड ऑफ फंड शामिल हैं। दोनों ही इक्विटी, डेट और कमोडिटीज में निवेश करते हैं। मल्टी एसेट एलोकेशन में सोने व चांदी में निवेश होते हैं। ओमनी फंड ऑफ फंड कमोडिटी परिसंपत्तियों सहित निवेश को परिभाषित करने के लिए क्वांट-संचालित मॉडल का पालन करता है। इक्विटी संभावित वृद्धि व डेट स्थिरता प्रदान करता है। सोना-चांदी जैसी कमोडिटीज हेजिंग का काम करती हैं। 

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