Biz Updates: DPDP नियमों की समयसीमा कम करने की तैयारी; टेक्सास में गूगल का 40 अरब डॉलर का मेगा प्लान
सरकार डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन (DPDP) नियमों के तहत कंपनियों को दी गई 18 महीने की अनुपालन अवधि में बदलाव करने पर विचार कर रही है। सूत्रों के मुताबिक, बड़े टेक प्लेटफॉर्म और बहुराष्ट्रीय कंपनियां पहले से ही यूरोपीय संघ के जीडीपीआर जैसे सख्त वैश्विक डेटा नियमों का पालन करती हैं, जिसके कारण इन्हें भारत के नए डेटा सुरक्षा ढांचे को अपनाने में कम समय लग सकता है। इसी आधार पर बड़े उद्यमों के लिए अनुपालन समय सीमा को संपीड़ित करने पर चर्चा चल रही है।
आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि सरकार उद्योग जगत के साथ लगातार बातचीत में है और पहला नियम सेट प्रकाशित होने के बाद कंपनियों को उचित समय दिया गया था। लेकिन उन्होंने संकेत दिया कि कई बड़ी कंपनियां पहले से वैश्विक मानकों के अनुरूप काम कर रही हैं, ऐसे में भारत में भी तेजी से अनुपालन की उम्मीद की जा सकती है।
डीपीडीपी नियमों के तहत कंपनियों को डेटा प्रोसेसिंग, सहमति प्रबंधन, सुरक्षा मानकों और डेटा उल्लंघन रिपोर्टिंग जैसे प्रावधानों को नए कानून के अनुरूप ढालना होगा। सरकार का मानना है कि डेटा प्रोटेक्शन बोर्ड के गठन और डिजिटल ढांचे के मजबूत होने के बाद बड़े उद्यमों के लिए संक्रमण अवधि को कम करना संभव होगा।
टेक्सास में अक्षय ऊर्जा पर 40 अरब डॉलर का निवेश करेगी गूगल
गूगल और अल्फाबेट के सीईओ सुंदर पिचाई ने अमेरिका के टेक्सास में 40 अरब डॉलर के निवेश का एलान किया है। यह कंपनी का किसी भी अमेरिकी राज्य में अब तक का सबसे बड़ा निवेश है। इस प्रोजेक्ट के तहत कंपनी अक्षय ऊर्जा और ग्रिड क्षमता में निवेश करेगी। साथ ही, तीन करोड़ डॉलर का ऊर्जा प्रभाव कोष भी बनाएगी, जिससे समुदायों और स्कूलों में ऊर्जा की जरूरतों को पूरा किया जाएगा।
भारत ने किया अमेरिकी LPG का बड़ा सौदा
भारतीय सरकारी तेल कंपनियों ने अमेरिका से 22 लाख टन एलपीजी आयात करने के लिए एक साल का समझौता किया है। इस कदम को अमेरिका के साथ भारत के व्यापारिक मतभेद को कम करने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है। देश ने पहली बार अमेरिकी तरलीकृत पेट्रोलियम गैस (LPG) के लिए एक संरचित कॉन्ट्रैक्ट किया है। यह अनुबंध भारत के वार्षिक LPG आयात का लगभग 10 प्रतिशत हिस्सा कवर करता है, जिससे सप्लाई विविधीकरण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
भारत जहां पेट्रोल, डीजल और जेट ईंधन जैसे ज्यादातर उत्पादों में आत्मनिर्भर है, वहीं LPG के मामले में उसकी निर्भरता अभी भी ऊंची है। देश अपनी 3.1 करोड़ टन की वार्षिक खपत में से करीब 65 प्रतिशत आयात करता है। वर्ष 2024 में 20.4 करोड़ टन आयात में से लगभग 90 प्रतिशत आपूर्ति खाड़ी देशों यूएई, कतर, कुवैत और सऊदी अरब से हुई थी।
स्व-रोजगार बना भारत में रोजगार वृद्धि का सबसे बड़ा इंजन
एचडीएफसी बैंक की ताजा भारत में रोजगार प्रवृत्ति रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले छह साल में भारत में रोजगार वृद्धि का सबसे मजबूत इंजन स्व-रोजगार बनकर उभरा है। रिपोर्ट दर्शाती है कि खेती और गैर-खेती दोनों क्षेत्रों में स्व-रोजगार की संख्या वित्त वर्ष 2018 के 239 मिलियन से बढ़कर वित्त वर्ष 2024 में 358 मिलियन हो गई। यह सात फीसदी की स्वस्थ वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) को दिखाती है।
रिपोर्ट के अनुसार, स्व-रोजगार अब भारत के श्रम बाजार में सबसे तेजी से बढ़ने वाली रोजगार श्रेणी बन गया है, जिसने वेतनभोगी नौकरियों और कैज़ुअल लेबर दोनों को पीछे छोड़ दिया है। वेतनभोगी यानी नियमित आय वाली नौकरियां वित्त वर्ष 2018 के 105 मिलियन से बढ़कर वित्त वर्ष 2024 में 119 मिलियन पर पहुंचीं, लेकिन इनकी वृद्धि दर अपेक्षाकृत कम 4.1 फीसदी CAGR रही। वहीं कैज़ुअल लेबर लगभग ठहरी रही और वित्त वर्ष 2018 के 114 मिलियन से बढ़कर वित्त वर्ष 2024 में 122 मिलियन पर सीमित रही, जिसकी सालाना वृद्धि दर मात्र 1.1 फीसदी रही। स्व-रोजगार में यह तेज उछाल उस समय देखने को मिला जब श्रम बाजार में कुल भागीदारी भी बढ़ रही थी। यह आर्थिक गतिविधियों के व्यापक विस्तार का संकेत देती है।