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Biz Updates: देश की अर्थव्यवस्था में रफ्तार, फलों-सब्जियों का उत्पादन बढ़ेगा; एल्युमीनियम शुल्क घटाने की मांग
बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: शिवम गर्ग
Updated Wed, 26 Nov 2025 06:53 AM IST
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- फोटो : अमर उजाला ग्राफिक्स
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देश में इस बार फलों और सब्जियों के उत्पादन में अभूतपूर्व वृद्धि होगी। 2024-25 के बागवानी फसलों के क्षेत्रफल और उत्पादन के तीसरे अग्रिम अनुमान के अनुसार, बागवानी फसल क्षेत्रफल में 4 लाख हेक्टेयर की वृद्धि अनुमानित है। यह कुल 294.88 लाख हेक्टेयर हो जाएगी। उत्पादन में 143.11 लाख टन वृद्धि अनुमानित है। यह पिछले साल के 35.47 करोड़ टन से बढ़कर 36.90 करोड़ टन अनुमानित है। केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा, फल उत्पादन 5.12 फीसदी बढ़कर 11.87 करोड़ टन हो सकता है। इसमें केला, आम, तरबूज, कटहल, मंदारिन, पपीता, अमरूद जैसे फल हैं। सब्जियों का उत्पादन 4 फीसदी बढ़कर 21.56 करोड़ टन का अनुमान है। विशेषकर प्याज उत्पादन बढ़कर 307.89 लाख टन तक पहुंचने का अनुमान है। यानी 26.88 फीसदी की वृद्धि। आलू उत्पादन 1.85 फीसदी बढ़कर 581.08 लाख टन होगा।
चालू वित्त वर्ष में 7% की दर से बढ़ेगी अर्थव्यवस्था
जून तिमाही में उच्च वृद्धि और वैश्विक विकास एवं व्यापार पर अमेरिकी टैरिफ वृद्धि के कम प्रभाव से चालू वित्त वर्ष में घरेलू अर्थव्यवस्था 7 प्रतिशत की दर से बढ़ सकती है। इंडिया रेटिंग ने पहले 6.3 फीसदी का अनुमान लगाया था। वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) अप्रैल से जून में 7.8 प्रतिशत की दर से पांच तिमाहियों में सबसे तेज गति से बढ़ा।
राजकोषीय घाटे को कम करने के लिए धीमी करनी होगी खर्च की गति
राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए भारत को दूसरी छमाही में खर्च की रफ्तार को धीमा करना होगा। मॉर्गन स्टैनली की रिपोर्ट के अनुसार, सरकार का पूंजीगत खर्च मजबूत बना हुआ है। नॉमिनल जीडीपी में धीमेपन के कारण राजस्व कम रफ्तार से बढ़ रहा है। पहली छमाही में कर आय वृद्धि बजट के अनुमान से कमजोर रही है। राजस्व संग्रह इस वित्त वर्ष में सालाना आधार पर केवल 4.5 प्रतिशत बढ़ा है। सरकार के पूरे वर्ष के लक्ष्य 12.6 प्रतिशत से काफी कम है। यह मंदी कम जीडीपी और ज्यादा कर रिफंड से जुड़ी हुई है। प्रत्यक्ष कर संग्रह में तीन व अप्रत्यक्ष कर संग्रह में 2.5 प्रतिशत की बढ़त हुई है। यह बजट लक्ष्य से कम है। दूसरी तरफ, सरकारी खर्च में जोरदार उछाल आया है। पहली छमाही में कुछ खर्च बढ़कर 9.1 प्रतिशत हो गया। पूंजीगत खर्च 40 प्रतिशत बढ़ा है। राजस्व खर्च में सालाना आधार पर मात्र 1.5 प्रतिशत वृद्धि हुई है। पहली छमाही में राजकोषीय घाटा 21 प्रतिशत बढ़ा है। रिपोर्ट में चेतावनी दी गई कि कर संग्रह अब भी जीडीपी के 40-50 आधार अंकों तक कम हो सकता है।
तीसरी तिमाही में 10% तक बढ़ेंगी घरेलू कंपनियों की आय
ग्रामीण मांग और शहरी खपत में इजाफा से घरेलू कंपनियों के तीसरी तिमाही के नतीजे बेहतर हो सकते हैं। उनकी आय अक्तूबर से दिसंबर तिमाही में 8 से 10 फीसदी तक बढ़ सकती है। दूसरी तिमाही में आय वृद्धि दर 9.2 प्रतिशत थी। इक्रा के मुताबिक, इस दौरान प्रॉफिट मार्जिन में 0.5 से एक फीसदी तक वृद्धि देखने को मिल सकती है। इक्रा ने कहा, घरेलू स्तर पर ग्रामीण मांग मजबूत है। जीएसटी सुधार, आयकर राहत, ब्याज दरों में कटौती व खाद्य मुद्रास्फीति में कमी जैसी परिस्थितियों से शहरी खपत को बढ़ावा मिलेगा। देशों के बीच तनाव व अमेरिका के लगाए गए भारी शुल्कों से कुछ क्षेत्र प्रभावित हो रहे हैं। इक्रा ने 2,966 कंपनियों का विश्लेषण कर कहा, दूसरी तिमाही में आय वृद्धि का नेतृत्व खुदरा, होटल, ऑटो और सीमेंट क्षेत्र की ओर से किया गया।
एल्युमीनियम पर आयात शुल्क घटाने की मांग
एल्युमीनियम सेकेंडरी मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन ने सरकार से प्राथमिक एल्युमीनियम पर आयात शुल्क कम करने की मांग की है। इस कदम से घरेलू कीमतों को तर्कसंगत बनाने और उच्च इनपुट लागत का सामना कर रहे उद्योगों को मदद मिलेगी। प्राथमिक एल्युमीनियम पर 7.5 प्रतिशत के आयात शुल्क ने घरेलू प्राथमिक निर्माताओं के आपूर्ति किए जाने वाले एल्युमीनियम की लागत बढ़ा दी है।
टैक्स कटौती से राजस्व वृद्धि पर होगा असर
चालू वित्त वर्ष में कर कटौती ने देश के राजस्व वृद्धि को प्रभावित किया है। इससे अर्थव्यवस्था के लिए राजकोषीय नीति समर्थन की गुंजाइश कम हो गई है। मूडीज रेटिंग्स ने कहा, राजस्व वृद्धि काफी कमजोर रही है। हमने कुछ कर कटौती भी देखी हैं। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, सितंबर के अंत में शुद्ध कर राजस्व 12.29 लाख करोड़ रुपये से अधिक था।
मखाना और शहद के बनेंगे निर्यात क्लस्टर
बिहार मखाना व शहद जैसी वस्तुओं के लिए समर्पित निर्यात क्लस्टर विकसित करेगा। यह बढ़ती वैश्विक मांग को पूरा करने को उत्पादन और प्रसंस्करण को वैश्विक गुणवत्ता मानकों के साथ संरेखित करेगा। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय की बोर्ड ट्रेड बैठक में बिहार के उद्योग मंत्री डाॅ. दिलीप जायसवाल ने कहा, बिहार से निर्यात वृद्धि में तेजी लाने को काम हो रहा है।
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चालू वित्त वर्ष में 7% की दर से बढ़ेगी अर्थव्यवस्था
जून तिमाही में उच्च वृद्धि और वैश्विक विकास एवं व्यापार पर अमेरिकी टैरिफ वृद्धि के कम प्रभाव से चालू वित्त वर्ष में घरेलू अर्थव्यवस्था 7 प्रतिशत की दर से बढ़ सकती है। इंडिया रेटिंग ने पहले 6.3 फीसदी का अनुमान लगाया था। वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) अप्रैल से जून में 7.8 प्रतिशत की दर से पांच तिमाहियों में सबसे तेज गति से बढ़ा।
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राजकोषीय घाटे को कम करने के लिए धीमी करनी होगी खर्च की गति
राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए भारत को दूसरी छमाही में खर्च की रफ्तार को धीमा करना होगा। मॉर्गन स्टैनली की रिपोर्ट के अनुसार, सरकार का पूंजीगत खर्च मजबूत बना हुआ है। नॉमिनल जीडीपी में धीमेपन के कारण राजस्व कम रफ्तार से बढ़ रहा है। पहली छमाही में कर आय वृद्धि बजट के अनुमान से कमजोर रही है। राजस्व संग्रह इस वित्त वर्ष में सालाना आधार पर केवल 4.5 प्रतिशत बढ़ा है। सरकार के पूरे वर्ष के लक्ष्य 12.6 प्रतिशत से काफी कम है। यह मंदी कम जीडीपी और ज्यादा कर रिफंड से जुड़ी हुई है। प्रत्यक्ष कर संग्रह में तीन व अप्रत्यक्ष कर संग्रह में 2.5 प्रतिशत की बढ़त हुई है। यह बजट लक्ष्य से कम है। दूसरी तरफ, सरकारी खर्च में जोरदार उछाल आया है। पहली छमाही में कुछ खर्च बढ़कर 9.1 प्रतिशत हो गया। पूंजीगत खर्च 40 प्रतिशत बढ़ा है। राजस्व खर्च में सालाना आधार पर मात्र 1.5 प्रतिशत वृद्धि हुई है। पहली छमाही में राजकोषीय घाटा 21 प्रतिशत बढ़ा है। रिपोर्ट में चेतावनी दी गई कि कर संग्रह अब भी जीडीपी के 40-50 आधार अंकों तक कम हो सकता है।
तीसरी तिमाही में 10% तक बढ़ेंगी घरेलू कंपनियों की आय
ग्रामीण मांग और शहरी खपत में इजाफा से घरेलू कंपनियों के तीसरी तिमाही के नतीजे बेहतर हो सकते हैं। उनकी आय अक्तूबर से दिसंबर तिमाही में 8 से 10 फीसदी तक बढ़ सकती है। दूसरी तिमाही में आय वृद्धि दर 9.2 प्रतिशत थी। इक्रा के मुताबिक, इस दौरान प्रॉफिट मार्जिन में 0.5 से एक फीसदी तक वृद्धि देखने को मिल सकती है। इक्रा ने कहा, घरेलू स्तर पर ग्रामीण मांग मजबूत है। जीएसटी सुधार, आयकर राहत, ब्याज दरों में कटौती व खाद्य मुद्रास्फीति में कमी जैसी परिस्थितियों से शहरी खपत को बढ़ावा मिलेगा। देशों के बीच तनाव व अमेरिका के लगाए गए भारी शुल्कों से कुछ क्षेत्र प्रभावित हो रहे हैं। इक्रा ने 2,966 कंपनियों का विश्लेषण कर कहा, दूसरी तिमाही में आय वृद्धि का नेतृत्व खुदरा, होटल, ऑटो और सीमेंट क्षेत्र की ओर से किया गया।
एल्युमीनियम पर आयात शुल्क घटाने की मांग
एल्युमीनियम सेकेंडरी मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन ने सरकार से प्राथमिक एल्युमीनियम पर आयात शुल्क कम करने की मांग की है। इस कदम से घरेलू कीमतों को तर्कसंगत बनाने और उच्च इनपुट लागत का सामना कर रहे उद्योगों को मदद मिलेगी। प्राथमिक एल्युमीनियम पर 7.5 प्रतिशत के आयात शुल्क ने घरेलू प्राथमिक निर्माताओं के आपूर्ति किए जाने वाले एल्युमीनियम की लागत बढ़ा दी है।
टैक्स कटौती से राजस्व वृद्धि पर होगा असर
चालू वित्त वर्ष में कर कटौती ने देश के राजस्व वृद्धि को प्रभावित किया है। इससे अर्थव्यवस्था के लिए राजकोषीय नीति समर्थन की गुंजाइश कम हो गई है। मूडीज रेटिंग्स ने कहा, राजस्व वृद्धि काफी कमजोर रही है। हमने कुछ कर कटौती भी देखी हैं। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, सितंबर के अंत में शुद्ध कर राजस्व 12.29 लाख करोड़ रुपये से अधिक था।
मखाना और शहद के बनेंगे निर्यात क्लस्टर
बिहार मखाना व शहद जैसी वस्तुओं के लिए समर्पित निर्यात क्लस्टर विकसित करेगा। यह बढ़ती वैश्विक मांग को पूरा करने को उत्पादन और प्रसंस्करण को वैश्विक गुणवत्ता मानकों के साथ संरेखित करेगा। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय की बोर्ड ट्रेड बैठक में बिहार के उद्योग मंत्री डाॅ. दिलीप जायसवाल ने कहा, बिहार से निर्यात वृद्धि में तेजी लाने को काम हो रहा है।