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ट्रकों के मुकाबले सीमेंट से फैल रहा है विश्व में ज्यादा प्रदूषण: रिपोर्ट

बिजनेस डेस्क, अमर उजाला Published by: paliwal पालीवाल Updated Mon, 24 Jun 2019 06:02 PM IST
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cement wold over produces more pollution than trucks
- फोटो : amar ujala
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ट्रकों के मुकाबले सीमेंट कंपनियां पूरे विश्व में सबसे ज्यादा प्रदूषण फैला रही हैं। हालांकि विश्व भर के कई देशों में मौजूद सरकारें और कंपनियां इसको कम करना चाह रही हैं, लेकिन उनको उतनी सफलता हाथ नहीं लग रही है। इसको कम करने के लिए कई तरह के विकल्पों पर काम हो रहा है, लेकिन ग्रीन सीमेंट की लागत ज्यादा होने की वजह से कंपनियों को ग्राहक नहीं मिल रहे हैं। 

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सात फीसदी प्रदूषण के लिए जिम्मेदार 

ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार सीमेंट से पूरे विश्व में सात फीसदी कॉर्बन डाई ऑक्साइड (सीओ2) का उत्सर्जन हो रहा है। इतना सीओ2 पूरे विश्व में चल रहे ट्रकों से भी नहीं होता है। कई नामी सीमेंट बनाने वाली कंपनियां ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन कम करने की कोशिश कर रही हैं, लेकिन उनको ग्राहकों से किसी तरह का कोई सहयोग नहीं मिल रहा है। 

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बिल्डिंग, सड़क और पुल में सबसे ज्यादा उपयोग

सीमेंट बनाने का सबसे ज्यादा उपयोग बिल्डिंग, सड़क और पुल बनाने में हो रहा है। इसके चलते ग्रीन हाउस गैसों का भी उत्सर्जन काफी बढ़ गया है। इसको कम करने के लिए नीति नियामकों का ध्यान निर्माण में प्रयोग होने वाले मटेरियल पर गया है ताकि ग्लोबल वॉर्मिंग को कम किया जा सके।

प्रदूषण बढ़ाने में चूना पत्थर ज्यादा जिम्मेदार

सीमेंट बनाने के लिए चूना पत्थर (लाइमस्टोन) का इस्तेमाल किया जाता है। कंपनियों की माने तो फिर यह ग्रीनहाउस गैस का उत्सर्जन करने में सबसे बड़ा कारक होता है। लाइमस्टोन को 1400 डिग्री सेल्सियस पर भट्टी में गर्म किया जाता है। लाइमस्टोन में मौजूद कॉर्बन जब ऑक्सीजन के साथ मिलता है, तो फिर यह सीओ2 के तौर पर बाहर निकलता है। 


रिसर्च के मुताबिक एक टन सीमेंट तैयार करने में करीब आधा टन सीओ2 निकलता है। यह एक कार से निकलने वाले धुएं से भी काफी ज्यादा है। एक सिंगर मिक्सर ट्रक में 13 टन सीमेंट आता है। ऑफिस की बिल्डिंग को तैयार करने में हजार टन सीमेंट का उपयोग होता है। 

2050 तक 23 फीसदी बढ़ जाएगा उत्पादन

रिसर्च कंपनी आईईए के मुताबिक पूरे विश्व में सीमेंट का उत्पादन 2050 तक 12 से 23 फीसदी बढ़ने की संभावना है। लेकिन बदलाव लाना काफी कठिन प्रतीत हो रहा है। लंदन की डिप्टी मेयर शर्ली रोडरिग्स ने कहा कि हमने रियल एस्टेट डेवलपर्स और सीमेंट कंपनियों से कहा है कि वो सर्कुलर इकोनॉमी पर काम करना शुरू करें, ताकि पुराने मटेरियल का दोबारा से इस्तेमाल हो सके। 

कीमत बड़ा कारण

दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी सीमेंट कंपनी लाफॉर्ज ने कुछ समय पहले कॉर्बन मुक्त उत्पाद को लॉन्च किया था, लेकिन इसकी कीमत काफी ज्यादा थी क्योंकि इसको दूसरे तरीके से बनाया गया था। हालांकि ग्राहकों ने इसके इस्तेमाल में ज्यादा रूचि नहीं दिखाई। 

ग्रीन सीमेंट की कीमत 10 गुना ज्यादा

ग्रीन सीमेंट बनाने का खर्च इतना ज्यादा है कि इसे खरीदना हर किसी के बस में नहीं है। जहां विश्व में एक साधारण सीमेंट की बोरी खरीदने में लोगों को 51 डॉलर खर्च करने पड़ते हैं। वहीं ग्रीन सीमेंट की बोरी 161 डॉलर में मिलती है। 

राख हो सकता है विकल्प

सीमेंट को बनाने में क्लिंकर नाम का पदार्थ कच्चे माल होता है। यह जब पानी और रेत से मिलता है तो फिर इससे कंक्रीट को तैयार किया जाता है। कई कंपनियां सीमेंट में क्लिंकर की मात्रा को कम करने का प्रयास कर रही हैं। वहीं कुछ कंपनियां  राख (फ्लाई ऐश) को एक विकल्प के तौर पर देख रही हैं। फिलहाल इसका इस्तेमाल शुरू हो गया है लेकिन अभी कई जगह इसका ज्यादा मात्रा में मिलना काफी कठिन हो रहा है।  

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