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राजस्व में गिरावट से 3.5 फीसदी तक पहुंच सकता है राजकोषीय घाटा

बिजनेस डेस्क, अमर उजाला Updated Mon, 26 Nov 2018 06:09 PM IST
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current account deficit may cross 3.5 percent by this fiscal
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तमाम आश्वासनों के बावजूद अप्रत्यक्ष करों और गैर-कर राजस्व में कमी के कारण भारत वित्त वर्ष 2018-19 में अपने राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के अनुपात में 3.3 फीसदी तक सीमित नहीं कर पाएगा।
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घरेलू रेटिंग एजेंसी इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च ने कहा कि राजकोषीय घाटा व्यापक आर्थिक स्वास्थ्य का निर्धारण करने वाला एक महत्वपूर्ण कारक होता है, जो वित्त वर्ष 2019 में जीडीपी के अनुपात में 3.5 फीसदी पर आ जाएगा।
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यह लगातार तीसरा वर्ष होगा, जब राजकोषीय अंतर संख्या 3.5 फीसदी होगा। राजकोषीय घाटा कुल राजस्व और सरकार के कुल व्यय का अंतर होता है, जो बजट के 6.24 लाख करोड़ के लक्ष्य के मुकाबले बढ़कर 6.67 लाख करोड़ रुपये हो जाएगा। फिच समूह की इस एजेंसी का कहना है कि सरकार के वित्त पर दबाव मुख्य रूप से राजस्व के कारण उत्पन्न होता है। खासतौर पर अप्रत्यक्ष कर और गैर-कर राजस्व से। 

कुल अप्रत्यक्ष कर वृद्धि महज 4.3 फीसदी

एजेंसी ने अप्रत्यक्ष कर मोर्चे पर 22,400 करोड़ रुपये के कर राजस्व की कमी की आशंका जताई है। उसके मुताबिक, जुलाई, 2017 में जीएसटी की शुरुआत के बाद इसके तहत अप्रत्यक्ष कर राजस्व का एक बड़ा हिस्सा कम हो रहा है।

हालांकि, ई-वे बिल के आने से सरकार के जीएसटी संग्रह में आ रही कमी की काफी हद तक भरपाई हुई है। वित्त वर्ष 2019 की पहली छमाही के लिए कुल अप्रत्यक्ष कर वृद्धि केवल 4.3 फीसदी रही, जबकि पूरे वित्त वर्ष के लिए यह लक्ष्य 22.2 फीसदी था। 

लाभांश प्राप्ति में आएगी कमी

current account deficit may cross 3.5 percent by this fiscal

एजेंसी के मुताबिक, गैर-कर राजस्व 2.45 लाख करोड़ रुपये के बजट अनुमान के मुकाबले 16,200 करोड़ रुपये कम होने की आशंका है। यह सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों और आरबीआई के लाभांश, संचार सेवाओं से कम प्राप्ति और कम विघटन के लिए जिम्मेदार है।

आरबीआई के मामले में कहा गया है कि केंद्रीय बैंक ने मार्च, 2018 से पहले सरकार को वित्त वर्ष 2018 के मुनाफे से अंतरिम लाभांश दिया था, जिस कारण लाभांश प्राप्ति में कमी आएगी। वहीं, विघटन के मामले में कहा गया है कि पहली छमाही में 80,000 करोड़ रुपये के बजट लक्ष्य के मुकाबले केवल 15,247 करोड़ की प्राप्ति हुई।

करना पड़ा रहा दबावों का सामना

एजेंसी ने आगे कहा है कि पहली छमाही में राजस्व व्यय वृद्धि बजट आंकड़ों से कम है, लेकिन खरीफ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में तेजी से बढ़ोतरी और आयुष्मान भारत योजना के कार्यान्वयन से दबावों का सामना करना पड़ता है। एजेंसी ने चेतावनी देते हुए कहा कि पूंजीगत व्यय को कम कर सरकार फिर से राजस्व घाटे में कुल व्यय और प्राप्तियों में कमी के प्रतिकूल प्रभाव को कम करने की कोशिश करेगी। सरकार बार-बार कह रही है कि वह समग्र राजकोषीय रोडमैप के तहत अपनी प्रतिबद्धताएं पूरी करेगी।

आरबीआई से पैसे की जरूरत नहीं

पिछले शनिवार को वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा था कि राजकोषीय घाटे के लक्ष्यों को पूरा करने के लिए केंद्र सरकार को आरबीआई से पैसे लेने की जरूरत नहीं है। वित्तीय वर्ष के पहले छमाही के लिए यह अंतर 5.9 4 लाख करोड़ रुपये के बजट स्तर के 95 फीसदी तक पहुंच गया था।

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