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Cashless Treatment: अस्पतालों में कैशलेस इलाज से जुड़ा विवाद सुलझा, एएचपीआई और बजाज आलियांज के बीच बनी सहमति

बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, मुंबई Published by: नविता स्वरूप Updated Fri, 29 Aug 2025 05:59 PM IST
सार

बजाज आलियांज जनरल इंश्योरेंस के पॉलिसीधारक कैशलेस स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ उठाना जारी रख सकेंगे। 28 अगस्त को हुई एसोसिएशन ऑफ हेल्थकेयर प्रोवाइडर्स ऑफ इंडिया (एएचपीआई) और बजाज एलियाजं के सदस्यों की एक बैठक में के बाद यह निर्णय लिया गया है।

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Dispute related to cashless treatment in hospitals resolved, agreement reached between AHPI and Bajaj Allianz
सांकेतिक तस्वीर - फोटो : Adobestock
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विस्तार
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बजाज आलियांज जनरल इंश्योरेंस के पॉलिसीधारकों के लिए कैशलेस सेवाओं पर लगी रोक हटा ली गई है। 28 अगस्त को हुई एसोसिएशन ऑफ हेल्थकेयर प्रोवाइडर्स ऑफ इंडिया (एएचपीआई) और बजाज एलियाजं के सदस्यों की एक बैठक में के बाद यह निर्णय लिया गया है। एएचपीआई ने एक एडवाइजरी जारी कर बताया कि बजाज आलियांज जनलर इंश्योरेंस के पॉलिसीधारकों के लिए कैशलेस सेवाओं को बहाल कर दिया गया है। एडवाइजरी में कहा गया है कि आपस में बातचीत कर एक सहमति बनी है। इसमें 29 सितंबर 2025 तक एएचपीआई को पैरा वाइज औपचारिक कार्रवाई प्रस्तुत करने पर सहमति व्यक्त की गई है। 

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मरीजों को उठाना पड़ता है अतिरिक्त वित्त का बोझ

परिपत्र में इस मामले पर टिप्पणी करते हुए कहा गया है कि हमारा लक्ष्य सभी कंपनियों के साथ मिलकर बातचीत करके मरीजों के हितों के मुद्दों का समाधान करना है। इसमें हम सभी बीमा कंपनियों में कैशलेस सेवाओं को बहाल करें, क्योंकि इस तरह की परेशानियों से मरीजों को अतिरिक्त वित्त का बोझ उठाना पड़ता है। उन्हें पुरानी दरों को संशोधिक करने, पारदर्शी शिकायती तंत्र को स्थापित करने और सदस्य अस्पतालों के साथ नियमित रूप से संपर्क बनाए रखने को एक साथ मिलकर काम करने की जरूरत पर जोर दिया है। 

कैशलेस सुविधा स्वास्थ्य बीमा की रीढ़

जनरल इंश्योरेंस काउंसिल के अध्यक्ष (बजाज आलियांज जनरल इंश्योरेंस कंपनी के प्रबंध निदेशक एवं सीईओ भी हैं) तपन कुमार सिंघल ने अपने एक बयान में कहा कि हमें खुशी है कि पॉलिसीधारकों और नागरिकों के हित में यह मामला सुलझाया गया है। इन्हें कैशलेस स्वास्थ्य सेवा तक पहुंचने में कभी कोई रुकावट नहीं आनी चाहिए। कैशलेस सुविधा स्वास्थ्य बीमा की रीढ़ है और इससे कभी समझौता नहीं होने चाहिए। इसमें परिचालन संबंधि सभी समस्याओं को दूर करने के लिए अस्पतालों के साथ सीधे काम किया जाता रहा है और हम साझेदारी की भावना के साथ इसको आगे भी जारी रखेंगे।

कैशलेस सेवाओं को बंद नहीं किया, स्पष्टीकरण की मांग

एएचपीआई  के अध्यक्ष के अध्यक्ष डॉ गिरधर ज्ञानी  ने अपने एक बयान में कहा है कि केयर हेल्थ इंश्योरेंस की किसी भी कैशलेस सेवा को बंद नहीं किया गया है। इसके लिए हमने उनसे स्पष्टीकरण मांगा था और इसका जवाब उन्होंने दे दिया है। जिस पर विचार किया जाएगा।  22 अगस्त को एएचपीआई ने उत्तर भारत के अपने सदस्य अस्पतालों में 1 सितंबर से बजाज आलियांज और केयर हेल्थ के पॉलिसीधाराकों के लिए कैशलेस सेवाओं को बंद करने की सलाह दी थी। एसोसिएशन ने कई मुद्दों को सूचीबद्ध कर इसको बंद करने की बात कही थी। इसमें पुराने दावो, निलंबित भुगतान और अस्विकार दावे मुख्य थे।

कंपनियों के पास कैशलेस बंद होने का कोई सर्कुलर नहीं

अमर उजाला डॉटकॉम द्वारा निवा बुपा  से संपर्क करने पर कंपनी ने बताया कि इसको लेकर अभी तक हमारे पास को सर्कुलर नहीं आया है, कि कंपनी अपनी कैशलेस सेवाएं बंद कर रही है। मीडिया में हमें लेकर कई तरह की खबरे हैं, लेकिन कंपनी ने किसी भी तरह की कैशलेस सुविधा को बंद नहीं किया है। अन्य स्वास्थ्य बीमा कंपनियों से संपर्क करने पर उन्होंने कहा इस तरह का कोई भी सर्कुलर उनके पास नहीं आया है।

क्या था पूरा मामला?

देश के निजी अस्पताल मैक्स हॉस्पिटल में निवा बुपा, स्टार हेल्थ इंश्योरेंस की पूरे भारत में मैक्स हॉस्पिटल से कैशलेस सुविधा बंद कर दिया है। कंपनियों का कहना है कि मैक्स हॉस्पिटल की देशभर में किसी भी ब्रांच में कैशलेस मेडिकल ट्रीटमेंट की सुविधा नहीं दी जाएगी। इससे पहले अस्पताल ने बजाज आलियांज की कैशलेस सुविधा को बंद करने की घोषणा की थी। कई मीडिया रिपोर्ट के अनुसार स्वास्थ्य बीमा कंपनियों ने कहा है अगर मरीज को अस्पताल में इलाज करना जरूरी है, तो वह मॉड में क्लेम कर सकते हैं। यानी पहले मरीज को अपने इलाज का पूरा खर्च देना होगा और उसके बाद बीमा कंपनी उसे दस्तावेजों के आधार पर क्लेम देगी।

वहीं एएचपीआई द्वारा बयान में भी यह कहा गया कि स्वास्थ्य बीमा कंपनियां दावा निपटाने में देरी करती हैं। इसकी वजह से अस्पतालों को परेशानी होती है, क्योंकि भारत में स्वास्थ्य खर्च में 7 से 8 प्रतिशत की वृद्धि हो रही है। इसमें अस्पताल के कर्मचारियों, मेडिकल उपकरणों, बिजली, पानी और स्वास्थ्य संबंधी चीजों पर खर्च बढ़ जाता है। अस्पताल अपनी लागत को कम करने के लिए कोशिश कर रहे हैं, लेकिन पुराने रेट को समाप्त करन पाना संभव नहीं है।

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