NSE: घरेलू निवेशकों ने इस साल इक्विटी बाजार में डाले 4.5 लाख करोड़ रुपये, एनएसई की रिपोर्ट में दावा
एनएसई की रिपोर्ट के अनुसार, घरेलू निवेशकों ने इस वर्ष म्यूचुअल फंड और अन्य अप्रत्यक्ष माध्यमों से इक्विटी बाजार में करीब 4.5 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया। इसके उलट विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों की भागीदारी कमजोर रही, लेकिन घरेलू निवेश ने बाजार को स्थिरता दी।
विस्तार
घरेलू निवेशकों ने इस वर्ष म्यूचुअल फंड और अन्य अप्रत्यक्ष चैनलों के माध्यम से इक्विटी बाजारों में लगभग 4.5 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया है। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) की एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है। रिपोर्ट के अनुसार यह आंकड़ा घरेलू बचत में बाजार से जुड़े परिसंपत्तियों की ओर लगातार हो रहे बदलाव को दर्शाता है।
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महामारी के बाद भारत के खुदरा निवेशकों में हुई जबरदस्त वृद्धि
इसमें कहा गया है कि महामारी के बाद भारत में खुदरा निवेशकों के आधार में हुई वृद्धि ने जबरदस्त गति पकड़ी है। व्यक्तिगत निवेशकों की संख्या 2019 में लगभग तीन करोड़ से बढ़कर 2025 में 12 करोड़ से अधिक हो गई। इस वृद्धि के साथ-साथ प्रत्यक्ष इक्विटी निवेश और म्यूचुअल फंड जैसे अप्रत्यक्ष माध्यमों से भी निवेशकों की भागीदारी बढ़ी है।
2020 से, बाजार से जुड़े साधनों में संचयी घरेलू निवेश 17 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया है, जो बचत व्यवहार में संरचनात्मक परिवर्तन को रेखांकित करता है।
रिपोर्ट के अनुसार व्यक्तिगत निवेशकों का विस्तार 2019 में लगभग 3 करोड़ निवेशकों से बढ़कर 2025 में 12 करोड़ से अधिक हो जाना अब बाजार से जुड़े परिसंपत्तियों की ओर घरेलू बचत में वृद्धि के साथ हो रहा है।
विदेशी निवेशकों का भरोसा भारतीय बाजारों पर हुआ कमजोर
इसके विपरीत, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) की रुचि पूरे वर्ष कमजोर बनी रही, और विदेशी निवेशकों ने भारतीय शेयरों में अपना निवेश कम करना जारी रखा । रिपोर्ट में कहा गया है कि घरेलू भागीदारी ने अस्थिर विदेशी प्रवाह के प्रभाव को काफी हद तक कम कर दिया है, जिससे बाजारों को बाहरी झटकों को झेलने में मदद मिली है।
2025 में जुटाई गई पूंजी ने तोड़े सारे रिकॉर्ड
प्राथमिक बाजारों ने इस घरेलू मजबूती को दर्शाया। 2024 में रिकॉर्ड तोड़ प्रदर्शन के बाद, 2025 में जुटाई गई पूंजी पहले के उच्चतम स्तरों को पार कर चुकी है, जो वैश्विक अनिश्चितता के बीच भी पूंजी मध्यस्थता करने की भारतीय बाजार की क्षमता को उजागर करती है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि चुनौतीपूर्ण वैश्विक परिस्थितियों के बावजूद, घरेलू खुदरा और संस्थागत भागीदारी ने धन जुटाने की गतिविधियों को समर्थन दिया है।
अमेरिकी टैरिफ और व्यापारिक अनिश्चितता ने डाला असर
इस वर्ष व्यापार संबंधी अनिश्चितता एक प्रमुख वैश्विक विशेषता के रूप में उभरी। द्विपक्षीय व्यापार समझौते की दिशा में बातचीत जारी रहने के बावजूद, भारत को अमेरिका को निर्यात पर लगाए गए शुल्कों में भारी वृद्धि का सामना करना पड़ा, जिसमें शुल्कों में 50 प्रतिशत की अतिरिक्त वृद्धि हुई। व्यापारिक व्यवधानों के कारण वर्ष के प्रारंभिक भाग में कंपनियों की आय और पूंजी प्रवाह पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा।
हालांकि, रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि अस्थिरता ने समायोजन के लिए गुंजाइश भी पैदा की। घरेलू निवेशकों ने बाजार के उतार-चढ़ाव को सहन किया, सितंबर तिमाही तक कंपनियों की आय में सुधार हुआ और वित्तीय साक्षरता में सुधार ने अधिक स्थिर और लंबी अवधि के निवेश प्रवाह में योगदान दिया।
निफ्टी ने वार्षिक आधार पर की 10.2% की वृद्धि
साथ ही, निवेश संकेतकों ने पूंजीगत व्यय में मजबूती का संकेत दिया, जो मध्यम अवधि में विकास की बेहतर संभावनाओं को दर्शाता है। हालांकि, सोने की कीमतों में आई तेजी लगातार बनी हुई वैश्विक और भू-राजनीतिक अनिश्चितता को दर्शाती है। निफ्टी 50 सूचकांक में साल-दर-साल 10.2 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई, जो वैश्विक चुनौतियों के बावजूद मामूली बढ़त और आंतरिक बाजार में बेहतर स्थिरता को दर्शाती है।