Biz Updates: एमएसएमई क्षेत्र को मिले अधिक ऋण, बैंकों से कर्ज की मात्रा पर आई नई रिपोर्ट, जानिए इसमें क्या दावा
देश में बैंक ऋण विस्तार में माइक्रो, स्मॉल और मीडियम एंटरप्राइजेज (MSME) की भूमिका लगातार मजबूत होती जा रही है। एक्सिस बैंक की एक ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि हाल के वर्षों में एमएसएमई सेक्टर बैंक कर्ज बढ़ोतरी का अहम चालक बनकर उभरा है, जिसे मजबूत नीतिगत समर्थन, सरकार की क्रेडिट गारंटी योजनाओं और उद्यम पंजीकरण (Udyam) के जरिए बढ़ते औपचारिकीकरण से बल मिला है।
रिपोर्ट के मुताबिक, वित्त वर्ष 2024-25 (FY25) में गैर-खाद्य बैंक ऋण में हुई कुल बढ़ोतरी का 22 प्रतिशत हिस्सा अकेले एमएसएमई सेक्टर का रहा। इसके साथ ही कुल गैर-खाद्य बैंक ऋण में एमएसएमई की हिस्सेदारी बढ़कर 18 प्रतिशत तक पहुंच गई है, जो भारत की बैंकिंग प्रणाली में इस क्षेत्र के बढ़ते महत्व को दर्शाता है।
एक्सिस बैंक ने बताया कि एमएसएमई को कर्ज देने में आई इस स्थिर बढ़ोतरी के पीछे कई कारक जिम्मेदार हैं। इनमें अपेक्षाकृत कम ब्याज दरें, सरकार द्वारा दी जा रही क्रेडिट लॉस गारंटी और बैंकों द्वारा तकनीक आधारित, डेटा-ड्रिवन अंडरराइटिंग का बढ़ता इस्तेमाल प्रमुख है।
कनाडा और अमेरिका जनवरी में शुरू करेंगे एफटीए की समीक्षा पर औपचारिक बातचीत
कनाडा और अमेरिका अपने मुक्त व्यापार समझौते की समीक्षा को लेकर जनवरी के मध्य में औपचारिक बातचीत शुरू करेंगे। कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी के कार्यालय ने गुरुवार देर रात जारी एक बयान में यह जानकारी दी। बयान के मुताबिक, अमेरिका-कनाडा व्यापार संबंधों के लिए कनाडा के प्रमुख प्रतिनिधि डोमिनिक लेब्लांक जनवरी के मध्य में अमेरिकी अधिकारियों से मुलाकात कर औपचारिक चर्चा की शुरुआत करेंगे। प्रधानमंत्री कार्नी ने गुरुवार को कनाडा के प्रांतों के मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक कर अमेरिका के साथ चल रही व्यापार वार्ताओं की प्रगति से उन्हें अवगत कराया। यह बातचीत ऐसे समय में हो रही है, जब अमेरिका-मेक्सिको-कनाडा व्यापार समझौता (USMCA) वर्ष 2026 में समीक्षा के लिए निर्धारित है।
USMCA को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने पहले कार्यकाल के दौरान बातचीत कर लागू किया था। इस समझौते में 2026 में इसके पुनर्मूल्यांकन या संभावित पुनर्विचार का प्रावधान रखा गया है। कनाडा दुनिया के सबसे अधिक व्यापार-निर्भर देशों में से एक है और उसके कुल निर्यात का 75 फीसदी से अधिक हिस्सा अमेरिका को जाता है। हालांकि, मौजूदा USMCA के तहत अमेरिका को होने वाले अधिकांश कनाडाई निर्यात शुल्क से मुक्त हैं।
तकनीकी खराबी के कारण एयर इंडिया एक्सप्रेस की विशाखापत्तनम जाने वाली उड़ान रद्द
गन्नावरम एयरपोर्ट से विशाखापत्तनम जाने वाली एयर इंडिया एक्सप्रेस की एक उड़ान 18 दिसंबर की रात टेकऑफ से पहले तकनीकी खराबी पाए जाने के कारण रद्द कर दी गई। एयरपोर्ट अधिकारियों ने इसकी पुष्टि की है। उड़ान में कई वीआईपी यात्री भी सवार थे, जिनमें पूर्व उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू, आंध्र प्रदेश के कृषि मंत्री के. अच्चेन्नायडू और वाईएसआरसीपी के वरिष्ठ नेता बी. सत्यनारायण शामिल थे।
विजयवाड़ा एयरपोर्ट के निदेशक लक्ष्मीकांत रेड्डी ने बताया कि विमान रनवे की ओर टैक्सी कर रहा था, तभी इंजन में समस्या का पता चला। इसके बाद विमान को वापस बे तक लाया गया और सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए उड़ान रद्द करने का फैसला लिया गया। उन्होंने कहा कि यह तकनीकी खराबी गुरुवार रात करीब 8:30 बजे सामने आई। इस बीच, एयर इंडिया एक्सप्रेस के प्रवक्ता ने कहा कि इंजन से जुड़ी समस्या का पता उड़ान के प्रस्थान से पहले ही लगा लिया गया था, जिसके बाद सभी सुरक्षा प्रक्रियाओं का पालन करते हुए उड़ान को रद्द किया गया।
पैक्स सिलिका से बाहर होने पर बोले सज्जन जिंदल, घरेलू खनन पर जोर
अमेरिका के नेतृत्व वाली ‘पैक्स सिलिका पहल’ से भारत को बाहर रखे जाने के कुछ दिनों बाद जेएसडब्ल्यू समूह के चेयरमैन सज्जन जिंदल ने शुक्रवार को देश में खनिजों, खासकर रेयर अर्थ तत्वों के घरेलू अन्वेषण पर अधिक ध्यान देने की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि भारत के पास रेयर अर्थ खनिजों का पर्याप्त भंडार है, लेकिन अब तक इस दिशा में गंभीरता से काम नहीं किया गया।
23 अरब डॉलर के जेएसडब्ल्यू समूह का नेतृत्व कर रहे जिंदल ने कहा कि हमारे देश में रेयर अर्थ खनिजों की कोई कमी नहीं है। लेकिन हमने इनके अन्वेषण और विकास पर पर्याप्त मेहनत नहीं की। इसी वजह से हम अब तक अपनी खनिज संपदा का पूरा लाभ नहीं उठा पाए। उन्होंने कहा कि चीन से मिले हालिया झटके के बाद अब देश इस दिशा में गंभीरता से आगे बढ़ रहा है। जिंदल के मुताबिक, मौजूदा हालात ने यह साफ कर दिया है कि रेयर अर्थ जैसे रणनीतिक खनिजों के मामले में आत्मनिर्भरता बेहद जरूरी है।
जापान की मित्सुबिशी श्रीराम फाइनेंस में खरीदेगी 20% हिस्सेदारी, 39618 करोड़ रुपये में होगा सौदा
जापान की मित्सुबिशी यूएफजे फाइनेंशियल ग्रुप इंक यानी एमयूएफजी भारत की एनबीएफसी श्रीराम फाइनेंस लिमिटेड में 20 प्रतिशत अल्पसंख्यक हिस्सेदारी खरीदेगी। यह सौदा 39,618 करोड़ रुपये यानी लगभग 4.4 बिलियन डॉलर में हो रहा है। भारत के वित्तीय क्षेत्र में सीमा पार से किया गया यह अब तक का सबसे बड़ा निवेश है।
श्रीराम फाइनेंस ने एक बयान में कहा, "एमयूएफजी तरजीही इक्विटी शेयरों के माध्यम से अल्पसंख्यक हिस्सेदारी हासिल करेगी। बयान में कहा गया है कि एमयूएफजी बैंक के साथ निश्चित समझौतों पर हस्ताक्षर से भारत के ऋण और वित्तीय सेवा क्षेत्र के मूलभूत सिद्धांतों और भविष्य की विकास क्षमता में विश्वास मजबूत होता है, साथ ही इससे एसएफएल का पूंजी आधार भी मजबूत होगा और इसकी विकास गति में तेजी आएगी।"
कंपनी ने कहा एमयूएफजी बैंक की ओर से प्रस्तावित निवेश शेयरधारकों की मंजूरी, नियामक स्वीकृतियों और प्रथागत समापन की शर्तों के अधीन है। बयान में कहा गया है, "यह सहयोग एसएफएल की स्थापित घरेलू फ्रेंचाइजी और व्यापक वितरण नेटवर्क को एमयूएफजी बैंक की वैश्विक विशेषज्ञता और वित्तीय मजबूती के साथ जोड़ता है। इस निवेश से एसएफएल की पूंजी में उल्लेखनीय वृद्धि होगी, इसकी बैलेंस शीट मजबूत होगी और कंपनी को लंबे समय में विकास के लिए पूंजी मिलेगी।" इसमें कहा गया है कि इस साझेदारी से प्रौद्योगिकी, नवाचार और ग्राहक जुड़ाव में तालमेल बढ़ने और सतत विकास को गति मिलने की उम्मीद है।