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Report: AI से बदलेगा MSME का भविष्य, 45 लाख करोड़ रुपये से अधिक मूल्य सृजन का मौका; रोजगार में भी होगी बढ़ोतरी
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: हिमांशु चंदेल
Updated Fri, 19 Dec 2025 04:53 AM IST
सार
AI Transform MSME Growth: फिक्की और बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप की रिपोर्ट के अनुसार, एमएसएमई क्षेत्र में एआई अपनाने से 45 लाख करोड़ रुपये से अधिक का आर्थिक मूल्य सृजित हो सकता है। हालांकि भारत एआई बाजार में तेजी से आगे बढ़ रहा है, लेकिन नवाचार, निवेश और पेटेंट के मामले में अभी खामियां हैं।
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एआई बदलेगा एमएसएमई का भविष्य
- फोटो : AI
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विस्तार
देश के सूक्ष्म, लघु और मझोले उद्यम यानी एमएसएमई भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ माने जाते हैं। अब इसी क्षेत्र में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी एआई बड़ा बदलाव लाने जा रहा है। एक नई रिपोर्ट के मुताबिक, अगर एमएसएमई क्षेत्र एआई को सही तरीके से अपनाता है, तो इससे 500 अरब डॉलर यानी करीब 45.1 लाख करोड़ रुपये से अधिक का आर्थिक मूल्य सृजित हो सकता है। यह बदलाव उत्पादन, लागत और रोजगार तीनों स्तर पर असर डालेगा।
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फिक्की और बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप की रिपोर्ट ‘इंडिया ट्रिपल एआई इम्पेरेटिव: सक्सीडिंग विद एआई इन इंडिया’ में बताया गया है कि भारत दुनिया के सबसे तेजी से बढ़ते एआई बाजारों में शामिल है। इसके बावजूद गहन नवाचार और वास्तविक लाभ हासिल करने में देश अभी पीछे है। रिपोर्ट में कहा गया है कि एमएसएमई क्षेत्र में एआई अपनाने से उत्पादकता बढ़ेगी, लागत घटेगी और कर्ज तक पहुंच आसान होगी।
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अपनाओ नहीं, अब आविष्कार करो
रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि अब भारत को ‘पहले अपनाओ’ की सोच से बाहर निकलकर ‘पहले आविष्कार करो’ की मानसिकता अपनानी होगी। डिजिटल बुनियादी ढांचे की कमी, एआई को लेकर जागरूकता का अभाव और कुशल मानव संसाधन तक सीमित पहुंच अभी भी बड़ी बाधाएं हैं। इन्हें दूर किए बिना एआई से पूरा लाभ नहीं लिया जा सकता।
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एआई तैयारियों में आगे, पेटेंट में पीछे
रिपोर्ट के अनुसार, एआई के लिए तैयारियों के मामले में भारत दुनिया के शीर्ष चार देशों में है। इसके बावजूद वैश्विक एआई पेटेंट में भारत की हिस्सेदारी एक फीसदी से भी कम है। रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि छोटी समस्याओं के समाधान तक सीमित रहने के बजाय एआई-प्रथम व्यवसाय मॉडल विकसित करने पर जोर देना होगा।
निवेश कम, उम्मीदें ज्यादा
रिपोर्ट में बताया गया है कि करीब 44 फीसदी अधिकारी अपने प्रौद्योगिकी बजट का 10 फीसदी से भी कम हिस्सा एआई में निवेश करते हैं। यही वजह है कि केवल 25 फीसदी कंपनियां ही एआई से वास्तविक मूल्य हासिल कर पा रही हैं। आम तौर पर कंपनियां एआई का इस्तेमाल छोटे सुधारों तक सीमित रखती हैं, जबकि इसकी असली ताकत बड़े बदलाव में है।
रोजगार और उत्पादकता दोनों को बढ़ावा
रिपोर्ट में अनुमान जताया गया है कि 2026 तक 70 से 80 फीसदी नियमित कार्य और 30 से 50 फीसदी तर्क-आधारित कार्य एआई के जरिये हो सकेंगे। फिक्की की महानिदेशक ज्योति विज ने कहा कि एआई अपनाने से न केवल उत्पादकता बढ़ेगी, बल्कि गुणवत्तापूर्ण रोजगार भी पैदा होंगे। बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप के निपुण कालरा ने कहा कि एआई-प्रथम सोच से नवाचार को नई दिशा मिलेगी।
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