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E-commerce: ई-कॉमर्स दिग्गजों के अनैतिक कारोबारी तरीकों का विरोध करेंगे व्यापारी, श्वेत पत्र में बड़ा खुलासा
सार
E-commerce: चांदनी चौक के सांसद और कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीण खंडेलवान ने कहा, इस श्वेत पत्र में ई-कॉमर्स कंपनियां, अमेजन और फ्लिपकार्ट द्वारा भारत के रिटेल इकोसिस्टम पर डाले जा रहे गंभीर प्रभावों का उल्लेख किया गया है।
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घरेलू खुदरा विक्रेताओं को समान अवसर नहीं, अब कड़े विरोध की तैयारी
- फोटो : अमर उजाला ग्राफिक्स
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विस्तार
भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) की रिपोर्ट के मद्देनजर, कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने मंगलवार को ऑल इंडिया मोबाइल रिटेलर्स एसोसिएशन (एमरा) के साथ मिलकर एक श्वेत पत्र जारी किया है। इसमें देशभर के व्यापारियों द्वारा ई-कॉमर्स दिग्गजों के अनैतिक कारोबारी तरीकों का विरोध करने का निर्णय लिया गया है। गलत तरीकों के कारण, घरेलू खुदरा विक्रेताओं को समान अवसर नहीं मिल पा रहा है।
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चांदनी चौक के सांसद और कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीण खंडेलवान ने कहा, इस श्वेत पत्र में ई-कॉमर्स कंपनियां, अमेजन और फ्लिपकार्ट द्वारा भारत के रिटेल इकोसिस्टम पर डाले जा रहे गंभीर प्रभावों का उल्लेख किया गया है। यह श्वेत पत्र उन नियमों के उल्लंघनों को विस्तार से बताता है, जिनकी अवहेलना इन कंपनियों द्वारा विशेष रूप से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) नीति और अन्य ई-कॉमर्स से संबंधित नियामक ढांचों के तहत किया जा रहा है। कैट के राष्ट्रीय महामंत्री ने मोबाइल व्यापार नेताओं को संबोधित करते हुए कहा, ई-कॉमर्स दिग्गजों के अनैतिक व्यापारिक तरीकों का कड़ा विरोध किया जाए।
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ये कंपनियां, घरेलू व्यापार के विकास के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दृष्टिकोण को विकृत करने पर तुली हुई हैं। अब समय आ गया है कि व्यापारिक समुदाय, इन कंपनियों की भारत के खुदरा व्यापार को हड़पने की योजना का जोरदार प्रतिकार करे। खंडेलवाल ने केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल और केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का हवाला देते हुए कहा, इन्होंने कुछ दिन पहले इन कंपनियों को अपने निहित स्वार्थों को त्यागने और एक समान स्तर का खेल मैदान बनाने के लिए काम करने की चेतावनी दी थी। अब भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग 'सीसीआई' की रिपोर्ट ने उन सभी आरोपों की पुष्टि की है, जो कैट और अन्य संगठनों ने लगभग 4 साल पहले लगाए थे।
सीसीआई को कानून के तहत इन कंपनियों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए। श्वेत पत्र के निष्कर्ष दिखाते हैं कि अमेजन और फ्लिपकार्ट ने लगातार उन एफडीआई मानदंडों को दरकिनार किया है, जो घरेलू खुदरा विक्रेताओं के लिए समान अवसर सुनिश्चित करने के लिए बनाए गए थे। चुनिंदा विक्रेताओं को तरजीह उपचार, गहरे छूट वाले उत्पादों और विशेष उत्पाद लॉन्च के माध्यम से, इन कंपनियों ने खुदरा बाजार को विकृत कर दिया है। इससे देशभर में छोटे और मध्यम खुदरा विक्रेताओं पर गंभीर प्रभाव पड़ा है।
कैट और एमरा ने अमेजन और फ्लिपकार्ट के खिलाफ तत्काल और सख्त कार्रवाई की मांग की है। वजह, इन्होंने एफडीआई नीति और नियमों का स्पष्ट रूप से उल्लंघन किया है। खुदरा समुदाय, सरकार से आग्रह करता है कि वह तुरंत हस्तक्षेप करे। भारतीय खुदरा विक्रेताओं के हितों की रक्षा करने और निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा के सिद्धांतों को बनाए रखने के लिए सुधारात्मक कदम उठाए। अपने श्वेत पत्र में कैट और एमरा ने नीति और नियामक कार्रवाईयों के लिए कुछ सिफारिशें प्रस्तावित की हैं।
इन सिफारिशों में उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत ई-कॉमर्स नियमों का तुरंत जारी होना। अमेजन, फ्लिपकार्ट और उनकी संबद्ध कंपनियों के व्यापारिक संचालन को तुरंत निलंबित करना, उन्हें केवल तभी बहाल करना जब वे नियमों और कानूनों का पालन करें, एक मजबूत नीतिगत ढांचे की स्थापना हो जो नियामक खामियों को बंद कर सके। इनके सबके मद्देनजर निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा और उपभोक्ता संरक्षण सुनिश्चित किया जाए। उपभोक्ता शिकायतों को हल करने के लिए एक फास्ट ट्रैक प्रणाली हो, जिसे एक लोकपाल द्वारा संचालित किया जाए। इसकी मदद से धोखाधड़ीपूर्ण गतिविधियों को रोका जा सकेगा। समय पर हस्तक्षेप सुनिश्चित होगा।
ई-कॉमर्स लेनदेन के लिए जीएसटी इनपुट क्रेडिट पर छूट देना, जिससे कर चोरी को कम किया जा सके और राजस्व हानि को रोका जा सके। कैशबैक, प्रतिस्पर्धा विरोधी है। यह ग्रे मार्केट संचालन को प्रोत्साहित करता है। इस पर प्रतिबंध से बाजार की निष्पक्षता बहाल होगी। ये बिक्री, जो अक्सर हेरफेर और मिलीभगत के लिए एक मंच के रूप में कार्य करती हैं, को तब तक निलंबित किया जाना चाहिए, जब तक कि पहचाने गए मुद्दों का समाधान न हो जाए।
ई-कॉमर्स प्लेटफार्मों के माध्यम से बेचे जाने वाले उच्च श्रेणी के उत्पादों पर एक विलासिता कर लगाया जाना चाहिए। इससे ऑनलाइन और ऑफलाइन खुदरा विक्रेताओं के बीच समानता आ सकती है। यह भारत के खुदरा क्षेत्र के लिए एक महत्वपूर्ण क्षण है। इन मुद्दों को हल करने में किसी भी तरह की देरी, देश की अर्थव्यवस्था और खुदरा इकोसिस्टम को अपूरणीय क्षति पहुंचा सकती है।