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Share Market: विदेशी निवेशकों की तगड़ी बिकवाली से हिला बाजार! सेंसेक्स-निफ्टी टूटे, जानकार बोले- अब आगे क्या?

बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, मुंबई Published by: नविता स्वरूप Updated Sat, 22 Feb 2025 06:02 PM IST
सार

Share Market: एक रिपोर्ट के अनुसार एक फरवरी से 15 फरवरी 2025 तक के पखवाड़े के दौरान एफपीआई का निवेश सबसे कम रहा है। वहीं इसी पखवाड़े के दौरान बाजार से एफपीआई ने 21,272 करोड़ रुपये की शुद्ध निकासी की। इसमें सबसे अधिक बिकवाली वित्तीय सेवा क्षेत्र जिसमें 5,344 करोड़ रुपये दर्ज की गई, इसकी तुलना में निवेश की बात करें तो सबसे अधिक एफपीआई निवेश दूरसंचार क्षेत्र यानी टेलिकॉम सेक्टर में 2,337 करोड़ रुपये का किया गया।

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Foreign investors withdraw from financial sector, but focus on telecom sector
शेयर बाजार में विदेशी निवेशकों की बिकवाली। - फोटो : amarujala.com

भारतीय बाजारों से विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों  (एफपीआई) लगातार अपना निवेश निकाल कर सुरक्षित बाजारों और परिसंपत्तियों की ओर जा रहे हैं, इससे उभरते बाजारों जिसमें भारत भी शामिल है भारी मात्रा में निकासी देखी जा रही है। घरेलू बाजार में 2024 में एफपीआई के प्रवाह यानी इनफ्लो (निवेश) में भारी गिरावट देखने मिली जो कि पिछले साल की तुलना में शुद्ध निवेश में 99 प्रतिशत कमी को दर्शता है। बाजार के विशेषज्ञ मानते हैं कि जब तक वैश्विक आर्थिक परिस्थितियां ठीक नहीं हो जाती हैं, तब तक भारतीय शेयर बाजार से एफपीआई की निकासी जारी रहेगी।

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सैमको सिक्योरिटीज की ओर से जारी एक रिपोर्ट के अनुसार एक फरवरी से 15 फरवरी 2025 तक के पखवाड़े के दौरान एफपीआई का निवेश सबसे कम रहा है। वहीं इसी पखवाड़े के दौरान बाजार से एफपीआई द्वारा शुद्ध निकासी 21,272 करोड़ रुपये की गई। इसमें सबसे अधिक निकासी वित्तीय सेवा क्षेत्र जिसमें 5,344 करोड़ रुपये दर्ज की गई, इसकी तुलना में निवेश की बात करें तो सबसे अधिक एफपीआई निवेश दूरसंचार क्षेत्र यानी टेलिकॉम सेक्टर में 2,337 करोड़ रुपये का किया गया।

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Foreign investors withdraw from financial sector, but focus on telecom sector
शेयर बाजार - फोटो : PTI

2025 के पहले दो महीनों में एक लाख करोड़ रुपये की निकासी

नेशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी लिमिटेड (एनएसडीएल) द्वारा जारी आंकड़ों पर नजर डाले तो, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने 2025 के पहले दो महीनों में भारतीय बाजारों से एक लाख करोड़ रुपये अधिक की इक्विटी निकाली है। इस साल अब तक एफपीआई द्वारा कुल निकासी 1,01737 करोड़ रुपये है, जो देश के शेयर बाजार में सबसे बड़ी पूंजी पलायन है। 17 फरवरी से 21 फरवरी के बीच एफपीआई ने 2,437.04 करोड़ रुपये के शेयर बेचे। यह पिछले सप्ताह की तुलना में बिक्री की तीव्रता में कमी दर्शाता है। वही भारती एयरटेल के शेयरों में भारी मात्रा में निवेश के कारण बिक्री दबाव में कमी आई है, जिससे बाजार को कुछ राहत मिली।

बीते चार पखवाड़ों में सात क्षेत्रों से एफपीआई ने निकाले पैसे

सैमको सिक्योरिटीज की रिपोर्ट के अनुसार लगातार चार पखवाड़ों से सात प्रमुख सेक्टर में एफपीआई की ओर से निकासी देखी गई है, जो एफपीआई के मंदी को रुख को दर्शाता है। पिछले कुछ महीनों में वित्तीय क्षेत्र में एफपीआई की ओर से काफी मंदी और दबाव रहा है। जिसमें चार पखवाड़े में सबसे अधिक 34,631 करोड़ रुपये की निकासी दर्ज की गई है। इसके बाद दूसरा एफएमसीजी सेक्टर है जहां 10,898 करोड़ रुपये की निकासी की गई है। रिपोर्ट के अनुसार कंट्रक्शन मटेरियल सेक्टर में 2,024 करोड़ रुपये की निकासी हुई है, जिससे एफपीआई होल्डिंग्स में 1,16,187 करोड़ रुपये के पिछले एसेट अंडर कस्टडी (एयूसी) से 1.74 प्रतिशत की कमी आई।  वहीं ऑयल गैस सेक्टर में  2,434 करोड़ रुपये की निकासी हुई।

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शेयर बाजार - फोटो : ANI

बिकवाली के बीच टेलीकॉम सेक्टर में निवेश बढ़ा रहे विदेशी निवेशक

एफपीआई की ओर से निवेश की बात की जाए तो टेलीकॉम सेक्टर ने अपने पिछले एयूसी की तुलना में एफपीआई के सबसे अधिक प्रवाह यानी निवेश प्राप्त किया है, जो टेलिकॉम शेयरों में सकारात्मक गति ला सकता है। इससे पहले इस सेक्टर का एयूसी 2,78,276 करोड़ रुपये था और पिछले पखवाड़े में इस सेक्टर ने 2,337 करोड़ रुपये का नया निवेश आकर्षित किया।

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शेयर बाजार - फोटो : Agency

राष्ट्रपति ट्रंप की नीतियों के कारण भी बाजार में उतार-चढ़ाव 

बाजार विशेषज्ञ व सीएनआई इंफोएक्सचेंज के किशोर ओतस्वाल कहते हैं वैश्विक अनिश्चितताओं, बढ़ते अमेरकी बॉन्ड यील्ड और भू राजनीतिक तनावों की वजह से निवेशकों को सतर्क रहने की जरूरत है और वे सर्तक बन गए हैं। भारत जैसे उभरते बाजारों से पूंजी को दूर करने वाला एक प्रमुख कारण अमेरिका के नए राष्ट्रपति ट्रंप की नीतियां भी है। अमेरिका में उनकी वापसी ने अमेरिकी अर्थव्यवस्था को मजबूत किया है, इससे निवेशक एक बार फिर अमेरिकी बाजारों की ओर देख रहे हैं। ओतस्वाल ने कहा, "हम काफी आर्श्चयचकित हैं कि जहां एक ओर एफपीआई कहते हैं कि भारत का वैल्यूवेशन काफी अधिक है और इसलिए वे भारतीय बाजारों से जा रहे हैं, दूसरी ओर, किसी सेक्टर विशेष में निवेश करते हैं।एफपीआई साल 2013 से भारतीय बाजारों को मैन्यूप्यूलेट करते रहे हैं, लेकिन 2014 के बाद से वे बाजार में बड़ी हेरफेर नहीं कर सके हैं।

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