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FTA: 'भारत को मैन्युफैक्चरिंग हब बनाने के लिए एफटीए और मजबूत नीतियों की जरूरत', उद्योग जगत ने दिया सुझाव
बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: रिया दुबे
Updated Wed, 20 Aug 2025 02:51 PM IST
सार
उद्योग जगत का कहना है कि भारत को वैश्विक मैन्युफैक्चरिंग हब बनने के लिए मुक्त व्यापार समझौते और मजबूत नीतियाों की जरूरत की जरूरत है। उन्होंने सरकार से व्यापार वार्ता में तेजी लाने, टिकाऊ उद्योगों को उत्पादन प्रोत्साहन देने और बुनियादी ढांचे में निवेश करने का आग्रह किया।
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FICCI का 14वां मासमेराइज सम्मेलन
- फोटो : ANI
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विस्तार
उद्योग जगत ने भारत के मुक्त व्यापार समझौतों (एफटीए) के दायरे को बढ़ाने की जरूरत पर जोर दिया है। उनका कहना है कि भारत को वैश्विक विनिर्माण केंद्र के रूप में स्थापित करने के लिए स्थिरता और नीति समर्थन महत्वपूर्ण है।
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रिटेल, FMCG और ई-कॉमर्स ने सरकार से किया आग्रह
फिक्की के 14वें मासमेराइज सम्मेलन का विषय था "मेक इन इंडियाः एफएमसीजी, रिटेल और ई-कॉमर्स के भविष्य को सशक्त बनाना"। इस सम्मेलन में रिटेल, एफएमसीजी और ई-कॉमर्स क्षेत्रों के शीर्ष अधिकारी शामिल हुए। उन्होंने सरकार से व्यापार वार्ता में तेजी लाने, टिकाऊ उद्योगों को उत्पादन प्रोत्साहन देने और बुनियादी ढांचे में निवेश करने का आग्रह किया।
भारत को प्रतिस्पर्धियों से आगे निकलने की जरूरत
मोहनलाल संस के सीईओ और मालिक मयंक मोहन ने कहा कि भारत को बांग्लादेश, वियतनाम और तुर्की जैसे प्रतिस्पर्धियों के साथ निर्यात अंतर को कम करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश और वियतनाम जैसे देश परिधान और वस्त्रों के मामले में पहले से ही भारत से ज्यादा निर्यात कर रहे हैं। अगर भारत ब्रिटेन और अमेरिका जैसे प्रमुख बाजारों के साथ एफटीए पर बातचीत करता है, तो हमें लागत में जरूरी बढ़त मिलेगी।
पीएलआई योजना का विस्तार
मोहन ने जोर देकर कहा कि उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना का विस्तार उन क्षेत्रों तक करना जो टिकाऊ कपड़ों और बड़े पैमाने पर गुणवत्तापूर्ण उत्पादन को प्रोत्साहित करते हैं, इससे सही दिशा मिलेगी। इस योजना का उद्देश्य घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देना और आयात पर निर्भरता कम करना है
पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने पर जोर
लोरियल इंडिया के कंट्री मैनेजिंग डायरेक्टर असीम कौशिक ने कहा कि कंपनी पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने के लिए अपने उत्पाद डिजाइन की पुनःकल्पना कर रही है। उन्होंने कहा कि हमारे सभी ब्रांड प्लास्टिक के इस्तेमाल को कम करने और उत्पादों को दोबारा इस्तेमाल योग्य बनाने पर जोर दे रहे हैं। उदाहरण के लिए, हमारे सभी परफ्यूम अब रिफिल करने योग्य बोतलों में आते हैं, जिससे कांच, धातु और प्लास्टिक का इस्तेमाल लगभग 50 प्रतिशत कम हो जाता है।
इसी तरह, स्किनकेयर भी रिसाइकिल करने योग्य 1-लीटर पाउच की ओर बढ़ रहा है। कौशिक ने कहा कि हालांकि लग्जरी उपभोक्ता शुरू में उत्पादों को दोबारा भरवाने में हिचकिचा सकते हैं, लेकिन ब्रांड इक्विटी और जागरूकता अभियान व्यवहार में बदलाव ला सकते हैं।
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