FTA: जर्मन दूतावास ने टैरिफ बाधाओं को बताया बड़ी चुनौती, बोले- भारत-ईयू एफटीए साल के अंत तक होने की उम्मीद
जर्मन दूतावास के उप राजदूत जॉर्ज एंजवेइलर ने कहा कि टैरिफ मुक्त व्यापार में बड़ी चुनौती है। भारत और जर्मनी के बीच द्विपक्षीय व्यापारिक संबंधों पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि मौजूदा वैश्विक अस्थिरता के बीच दोनों देशों के हित एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। उन्होंने कहा कि उम्मीद है कि साल के अंत तक भारत-ईयू एफटीए वार्ता को एक सार्थक परिणाम पर पहुंचते देखेंगे।
विस्तार
टैरिफ मुक्त व्यापार में एक बड़ी बाधा है। उच्च अमेरिकी टैरिफ पर प्रतिक्रिया देते हुए भारत में जर्मन दूतावास के उप राजदूत जॉर्ज एंजवेइलर ने यह बात कही। उन्होंने कहा कि जर्मनी हमेशा टैरिफ को न्यूनतम स्तर तक कम करने के पक्ष में रहेगा।
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भारत और जर्मनी के हित एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं
भारत और जर्मनी के बीच द्विपक्षीय व्यापारिक संबंधों पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि मौजूदा वैश्विक अस्थिरता के बीच दोनों देशों के हित एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। हम मिलकर यह अस्थिर अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को स्थिर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
साल के अंत भारत-ईयू एफटीए पूरा होने की संभावना
भारत और यूरोपीय संघ के बीच हो रहे मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) पर एंजवेइलर ने कहा कि हमें जो संकेत मिल रहे हैं वे बहुत सकारात्मक हैं। हमें उम्मीद है कि साल के अंत तक वार्ता को एक सार्थक परिणाम पर पहुंचते देखेंगे।
मई की बैठक में किन-किन बातों पर दिया गया जोर
- मई में वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल और व्यापार एवं आर्थिक सुरक्षा के लिए यूरोपीय आयुक्त मारोस सेफकोविक ने वैश्विक व्यापार चुनौतियों का सामाधान करने के लिए एक अग्रगामी और ठोस वार्ता में भाग लिया। इसमें भारत 2025 के अंत तक भारत-ईयू एफटीए को संपन्न करने के अपने साझा संकल्प की पुष्टि भी की गई ।
- भारत और साझेदार देश के बीच उच्चस्तरीय वार्ता ने इस बात को रेखांकित किया कि दोनों पक्ष एक वाणिज्यिक रूप से सार्थक, परस्पर लाभकारी, संतुलित और न्यायपूर्ण व्यापार साझेदारी को महत्व देते हैं, जो आर्थिक लचीलापन और समावेशी विकास को बढ़ावा दे।
- बैठक में विभिन्न वार्ताकार स्तरों पर हुई प्रगति पर चर्चा हुई और मासिक वार्ता दौर व सतत वर्चुअल संवाद के जरिए गति बनाए रखने की आवश्यकता पर बल दिया गया। दोनों पक्षों ने लंबित मुद्दों को आपसी सम्मान और व्यावहारिक दृष्टिकोण के साथ सुलझाने की प्रतिबद्धता दोहराई।
- भारत ने जोर दिया कि सार्थक प्रगति के लिए केवल टैरिफ चर्चाओं पर नहीं, बल्कि गैर-टैरिफ बाधाओं (एनटीबी) पर भी समान रूप से ध्यान देना जरूरी है। साथ ही नियामक ढांचे को समावेशी, डिजिटल परिवर्तन का समर्थन करके, संतुलित और व्यापार को सीमित करने से बचाने वाला होना चाहिए।