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FDI: विदेशी निवेश को बढ़ाने के लिए सरकार कर रही बदलाव, इन क्षेत्र में नियमों में मिल सकती है और ढील

बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: पवन पांडेय Updated Sun, 09 Feb 2025 02:53 PM IST
सार

FDI: भारत में अधिक विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआई) आकर्षित करने के लिए सरकार कुछ क्षेत्रों में प्रक्रियाओं को आसान बनाने पर विचार कर रही है। वहीं सरकार कई क्षेत्र में नियमों में ढील देने पर भी विचार कर रही है।

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Govt looking at procedural easing to further promote FDI: Official, News in hindi
सांकेतिक तस्वीर - फोटो : ANI
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विस्तार
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भारत में अधिक विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआई) आकर्षित करने के लिए सरकार कुछ क्षेत्रों में प्रक्रियाओं को आसान बनाने पर विचार कर रही है। एक सरकारी अधिकारी ने यह जानकारी साझा की है। उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) ने इस विषय पर कई सरकारी विभागों, नियामकों, उद्योग संगठनों, कानूनी कंपनियों, पेंशन फंड्स, प्राइवेट इक्विटी और वेंचर कैपिटल निवेशकों के साथ चर्चा की है।
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अधिकारी ने बताया, 'हमने सभी हितधारकों से विचार-विमर्श पूरा कर लिया है। हमें अलग-अलग मुद्दों पर सुझाव मिले हैं। अभी कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है, लेकिन प्रक्रियागत नियमों को सरल बनाने पर विचार किया जा रहा है।' हालांकि, अधिकारी ने यह स्पष्ट नहीं किया कि किन क्षेत्रों में नियमों में ढील दी जा सकती है।  
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प्रमुख मुद्दे जो चर्चा में आए
ई-कॉमर्स क्षेत्र में – केवल निर्यात के लिए इन्वेंटरी आधारित ऑनलाइन व्यापार मॉडल में एफडीआई की अनुमति देने का प्रस्ताव है। वहीं, प्रेस नोट 3 में बदलाव – लाभकारी स्वामित्व की परिभाषा स्पष्ट करने की मांग की गई है। जबकि, सिंगल-ब्रांड रिटेल ट्रेडिंग – नीति में कुछ बदलाव का सुझाव भी आया है। बता दें कि, प्रेस नोट 3 के तहत भारत की सीमा से लगे देशों के निवेशकों को किसी भी सेक्टर में निवेश से पहले सरकारी मंजूरी लेनी होती है।

भारत में क्या है एफडीआई की स्थिति?
  • अप्रैल 2000 से सितंबर 2024 तक भारत में कुल 1 ट्रिलियन डॉलर से अधिक का एफडीआई आया।
  • अप्रैल-सितंबर 2024 में निवेश 45% बढ़कर 29.79 बिलियन डॉलर हो गया।
  • सेवाएं, आईटी, दूरसंचार, ऑटोमोबाइल, रसायन और दवा उद्योग जैसे सेक्टर सबसे ज्यादा एफडीआई आकर्षित कर रहे हैं। 

विशेषज्ञों ने क्या दिया सुझाव?
  • एफडीआई मंजूरी प्रक्रिया को समयबद्ध और पारदर्शी बनाया जाए।
  • सिंगल-विंडो क्लियरेंस सिस्टम लागू हो।
  • भूमि अधिग्रहण और विवाद समाधान को आसान बनाया जाए।
  • 'डीम्ड अप्रूवल' (निर्धारित समय सीमा में मंजूरी न मिलने पर आवेदन स्वतः स्वीकृत हो) लागू किया जाए।

मामले में डेलॉइट इंडिया की अर्थशास्त्री रुमकी मजूमदार ने कहा कि ग्रीनफील्ड निवेश (नए प्रोजेक्ट्स में निवेश) की संभावनाएं अधिक हैं, जिन्हें प्रभावी ढंग से उपयोग किया जाना चाहिए। वहीं कानूनी विशेषज्ञों ने यह भी सुझाव दिया कि एफडीआई नीति को सरल और स्पष्ट बनाया जाए, ताकि विदेशी निवेशकों को अनावश्यक देरी और अनिश्चितता से बचाया जा सके।
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