{"_id":"6951185d68f8e5d1bb01f481","slug":"govt-notifies-guidelines-of-2-shipbuilding-initiatives-with-rs-44-700-cr-outlay-mopsw-2025-12-28","type":"story","status":"publish","title_hn":"MoPSW: केंद्र सरकार ने दो जहाज निर्माण योजनाओं के लिए जारी किए दिशा-निर्देश, ₹44,700 करोड़ से अधिक का निवेश","category":{"title":"Business Diary","title_hn":"बिज़नेस डायरी","slug":"business-diary"}}
MoPSW: केंद्र सरकार ने दो जहाज निर्माण योजनाओं के लिए जारी किए दिशा-निर्देश, ₹44,700 करोड़ से अधिक का निवेश
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: पवन पांडेय
Updated Sun, 28 Dec 2025 05:15 PM IST
सार
केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने कहा कि ये दिशा-निर्देश जहाज निर्माण उद्योग को नई जान देंगे, घरेलू उत्पादन बढ़ाएंगे और देश की समुद्री सुरक्षा व आर्थिक मजबूती को सशक्त करेंगे। दोनों योजनाएं 31 मार्च 2036 तक लागू रहेंगी, जिन्हें आगे 2047 तक बढ़ाने का प्रस्ताव है।
विज्ञापन
सर्बानंद सोनोवाल, केंद्रीय बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्री
- फोटो : ANI
विज्ञापन
विस्तार
देश के समुद्री भविष्य को मजबूत करने की दिशा में सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। केंद्रीय बंदरगाह, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय ने जहाज निर्माण से जुड़ी दो अहम योजनाओं के दिशा-निर्देश अधिसूचित कर दिए हैं। इन दोनों योजनाओं पर कुल मिलाकर ₹44,700 करोड़ से अधिक खर्च किए जाएंगे।
ये हैं दो योजनाएं
इसमें, शिपबिल्डिंग फाइनेंशियल असिस्टेंस स्कीम (SBFAS) और शिपबिल्डिंग डेवलपमेंट स्कीम (SbDS) शामिल हैं। इनका मकसद देश की घरेलू जहाज निर्माण क्षमता को बढ़ाना और वैश्विक स्तर पर भारत को प्रतिस्पर्धी बनाना है।
यह भी पढ़ें - Year Ender 2025: टैरिफ का असर, फिर भी भारत के निर्यात की मजबूत उड़ान; 2026 में भी रफ्तार बरकरार रहने की उम्मीद
जहाज निर्माण पर सीधी आर्थिक मदद
एसबीएफएएस योजना के तहत सरकार ₹24,736 करोड़ का कोष बनाएगी। इसके अंतर्गत जहाज बनाने पर उसकी श्रेणी के अनुसार 15 से 25 प्रतिशत तक वित्तीय सहायता दी जाएगी। छोटे, बड़े और विशेष प्रकार के जहाजों के लिए अलग-अलग दरों पर सहायता तय की गई है। यह राशि चरणबद्ध तरीके से, तय माइलस्टोन को पूरा करने पर दी जाएगी। दूसरी योजना एसबीडीएस का बजट ₹19,989 करोड़ है। यह योजना भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए बुनियादी ढांचे, तकनीक और कौशल विकास पर केंद्रित है।
राष्ट्रीय जहाज निर्माण मिशन
इन योजनाओं के बेहतर क्रियान्वयन के लिए नेशनल शिपबिल्डिंग मिशन की स्थापना का प्रावधान किया गया है, जिससे योजनाओं में समन्वय और पारदर्शिता बनी रहे।
जहाज तोड़ने पर मिलेगा क्रेडिट
सरकार ने एक नई व्यवस्था भी शुरू की है। इसके तहत भारत में जहाज स्क्रैप कराने वाले जहाज मालिकों को स्क्रैप मूल्य का 40 प्रतिशत क्रेडिट नोट मिलेगा। इससे पुराने जहाजों की रिसाइक्लिंग और नए जहाजों के निर्माण को बढ़ावा मिलेगा और सर्कुलर इकॉनमी को मजबूती मिलेगी।
रोजगार और उद्योग को बड़ा लाभ
सरकारी बयान के मुताबिक, अगले 10 वर्षों में एसबीएफएएस से करीब ₹96,000 करोड़ के जहाज निर्माण प्रोजेक्ट्स को समर्थन मिलने की उम्मीद है। इससे देश में मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा मिलेगा और समुद्री क्षेत्र में बड़े पैमाने पर रोज़गार पैदा होगा।
यह भी पढ़ें - Coal India: 2030 तक कोल इंडिया की सभी सहायक कंपनियां होंगी शेयर बाजार में सूचीबद्ध, PMO का बड़ा फैसला
नए क्लस्टर और टेक्नोलॉजी सेंटर
इन योजनाओं के तहत, नए ग्रीनफील्ड शिपबिल्डिंग क्लस्टर बनाए जाएंगे, मौजूदा शिपयार्ड का आधुनिकीकरण किया जाएगा, इंडियन मैरीटाइम यूनिवर्सिटी में इंडिया शिप टेक्नोलॉजी सेंटर स्थापित होगा, जहां रिसर्च, डिजाइन, नवाचार और स्किल डेवलपमेंट पर काम होगा। ग्रीनफील्ड क्लस्टर को साझा ढांचे के लिए 100 प्रतिशत पूंजी सहायता मिलेगी, जबकि पुराने शिपयार्ड को विस्तार के लिए 25 प्रतिशत तक सहायता दी जाएगी।
2047 तक बड़ी छलांग का लक्ष्य
आधुनिक ढांचे और कुशल श्रमिकों के दम पर वर्ष 2047 तक भारत की जहाज निर्माण क्षमता 4.5 मिलियन ग्रॉस टन प्रति वर्ष तक पहुंचने का अनुमान है।
अन्य वीडियो-
Trending Videos
ये हैं दो योजनाएं
इसमें, शिपबिल्डिंग फाइनेंशियल असिस्टेंस स्कीम (SBFAS) और शिपबिल्डिंग डेवलपमेंट स्कीम (SbDS) शामिल हैं। इनका मकसद देश की घरेलू जहाज निर्माण क्षमता को बढ़ाना और वैश्विक स्तर पर भारत को प्रतिस्पर्धी बनाना है।
विज्ञापन
विज्ञापन
यह भी पढ़ें - Year Ender 2025: टैरिफ का असर, फिर भी भारत के निर्यात की मजबूत उड़ान; 2026 में भी रफ्तार बरकरार रहने की उम्मीद
जहाज निर्माण पर सीधी आर्थिक मदद
एसबीएफएएस योजना के तहत सरकार ₹24,736 करोड़ का कोष बनाएगी। इसके अंतर्गत जहाज बनाने पर उसकी श्रेणी के अनुसार 15 से 25 प्रतिशत तक वित्तीय सहायता दी जाएगी। छोटे, बड़े और विशेष प्रकार के जहाजों के लिए अलग-अलग दरों पर सहायता तय की गई है। यह राशि चरणबद्ध तरीके से, तय माइलस्टोन को पूरा करने पर दी जाएगी। दूसरी योजना एसबीडीएस का बजट ₹19,989 करोड़ है। यह योजना भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए बुनियादी ढांचे, तकनीक और कौशल विकास पर केंद्रित है।
राष्ट्रीय जहाज निर्माण मिशन
इन योजनाओं के बेहतर क्रियान्वयन के लिए नेशनल शिपबिल्डिंग मिशन की स्थापना का प्रावधान किया गया है, जिससे योजनाओं में समन्वय और पारदर्शिता बनी रहे।
जहाज तोड़ने पर मिलेगा क्रेडिट
सरकार ने एक नई व्यवस्था भी शुरू की है। इसके तहत भारत में जहाज स्क्रैप कराने वाले जहाज मालिकों को स्क्रैप मूल्य का 40 प्रतिशत क्रेडिट नोट मिलेगा। इससे पुराने जहाजों की रिसाइक्लिंग और नए जहाजों के निर्माण को बढ़ावा मिलेगा और सर्कुलर इकॉनमी को मजबूती मिलेगी।
रोजगार और उद्योग को बड़ा लाभ
सरकारी बयान के मुताबिक, अगले 10 वर्षों में एसबीएफएएस से करीब ₹96,000 करोड़ के जहाज निर्माण प्रोजेक्ट्स को समर्थन मिलने की उम्मीद है। इससे देश में मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा मिलेगा और समुद्री क्षेत्र में बड़े पैमाने पर रोज़गार पैदा होगा।
यह भी पढ़ें - Coal India: 2030 तक कोल इंडिया की सभी सहायक कंपनियां होंगी शेयर बाजार में सूचीबद्ध, PMO का बड़ा फैसला
नए क्लस्टर और टेक्नोलॉजी सेंटर
इन योजनाओं के तहत, नए ग्रीनफील्ड शिपबिल्डिंग क्लस्टर बनाए जाएंगे, मौजूदा शिपयार्ड का आधुनिकीकरण किया जाएगा, इंडियन मैरीटाइम यूनिवर्सिटी में इंडिया शिप टेक्नोलॉजी सेंटर स्थापित होगा, जहां रिसर्च, डिजाइन, नवाचार और स्किल डेवलपमेंट पर काम होगा। ग्रीनफील्ड क्लस्टर को साझा ढांचे के लिए 100 प्रतिशत पूंजी सहायता मिलेगी, जबकि पुराने शिपयार्ड को विस्तार के लिए 25 प्रतिशत तक सहायता दी जाएगी।
2047 तक बड़ी छलांग का लक्ष्य
आधुनिक ढांचे और कुशल श्रमिकों के दम पर वर्ष 2047 तक भारत की जहाज निर्माण क्षमता 4.5 मिलियन ग्रॉस टन प्रति वर्ष तक पहुंचने का अनुमान है।
अन्य वीडियो-