Tariff: 'रूसी तेल की खरीद को लेकर भारत पर अमेरिका का अतिरिक्त टैरिफ अनुचित', GTRI ने की तुरंत हटाने की मांग
जीटीआरआई ने कहा कि रूसी तेल को लेकर भारत पर लगाया गया 25% अतिरिक्त टैरिफ अनुचित है। भारत ने अमेरिकी चिंताओं पर कार्रवाई की है, इसलिए अब वाशिंगटन को बिना किसी देरी के इस शुल्क को हटाने के लिए कदम उठाना चाहिए, न कि इसे व्यापक, समय लेने वाली व्यापार वार्ताओं से जोड़ना चाहिए।
विस्तार
ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव ने भारतीय वस्तुओं पर रूसी तेल श्रेणी के तहत लगाए गए 25% अतिरिक्त शुल्क को अनुचित करार देते हुए इसे तुरंत हटाने की मांग की है। जीटीआरआई का कहना है कि भारत ने रूस से कच्चे तेल की खरीद में भारी कमी कर दी है, इसके बाद इस दंडात्मक शुल्क का कोई मतलब नहीं रह गया है।
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भारत ने रूसी तेल खरीदना काफी हद तक बंद कर दिया
रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने भी स्वीकार किया है कि भारत ने अब रूस से तेल खरीदना काफी हद तक बंद कर दिया है। उन्होंने 11 नवंबर को पुष्टि की कि अतिरिक्त शुल्क केवल भारत के पूर्व आयात को देखते हुए लगाया गया था और भरोसा दिलाया कि हम टैरिफ कम करने जा रहे हैं।
टैरिफ को बरकारा रखना भारत को अनुचित रूप से लक्षित करने के समान है
जीटीआरआई ने कहा कि भारत ने अमेरिकी चिंताओं पर कार्रवाई की है, इसलिए अब वाशिंगटन को बिना किसी देरी के इस शुल्क को हटाने के लिए कदम उठाना चाहिए, न कि इसे व्यापक, समय लेने वाली व्यापार वार्ताओं से जोड़ना चाहिए। इस स्तर पर टैरिफ को बरकरार रखना भारतीय निर्यातकों को दंडित करने और एक ऐसे साझेदार को अनुचित रूप से लक्षित करने के समान है, जो अमेरिकी ऊर्जा आपूर्तिकर्ताओं की ओर काफी हद तक स्थानांतरित हो चुका है।
इस उपाय को लंबा खींचने से रिश्तों की सद्भावना हो सकती है कमजोर
जीटीआरआई ने चेतावनी दी है कि इस उपाय को लंबा खींचने से सद्भावना कमजोर हो सकती है व चल रही व्यापार वार्ताओं में प्रगति धीमी हो सकती है। थिंक टैंक ने तर्क दिया कि शीघ्र वापसी से राष्ट्रपति ट्रम्प की प्रतिबद्धता का सम्मान होगा, भारत की अमेरिकी कच्चे तेल और एलपीजी की ओर तेजी से झुकाव को बढ़ावा मिलेगा, अमेरिकी ऊर्जा शिपमेंट को बढ़ावा मिलेगा, और द्विपक्षीय संबंधों में एक अड़चन दूर होगी।
चीन बिना किसी दंड के बड़ी मात्रा रूसी तेल खरीदना जारी रखे हुए है
इससे अन्य प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं, खासकर चीन के साथ समानता बहाल हो जाएगी, जो तुलनात्मक दंड का सामना किए बिना बड़ी मात्रा में रूसी तेल खरीदना जारी रखे हुए हैं।
भारत ने अमेरिकी पेट्रोलियम कच्चे तेल आयात में की बढ़ोतरी
व्यापार आंकड़े भारत की स्थिति का समर्थन करते हैं। अप्रैल और सितंबर 2025 के बीच, भारत का अमेरिकी पेट्रोलियम कच्चे तेल का आयात 66.9 प्रतिशत बढ़कर 5.7 अरब डॉलर हो गया। इससे भारत को कुल अमेरिकी पेट्रोलियम और उत्पाद निर्यात 36.3 प्रतिशत बढ़कर 7.5 अरब डॉलर हो गया।
भारत के पेट्रोलियम उत्पादों के निर्यात में आई गिरावट
इसके विपरीत, अमेरिका को भारत का पेट्रोलियम उत्पादों का निर्यात 15 प्रतिशत घटकर 2.3 अरब डॉलर रह गया, जिससे पहले यह चिंता कम हो गई कि भारतीय रिफाइनरियां अमेरिकी बाजारों में दोबारा निर्यात के लिए रूसी कच्चे तेल का प्रसंस्करण कर रही हैं।
भारत-अमेरिका का ऊर्जा सहयोग
भारत ने अमेरिका के साथ गहन ऊर्जा सहयोग का भी संकेत दिया है। भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) ने नवंबर और मार्च के बीच डिलीवरी के लिए 10 मिलियन बैरल यूएस मिडलैंड क्रूड का अनुबंध किया है। वहीं नई दिल्ली ने 2026 में लगभग 2.2 मिलियन टन अमेरिकी तरलीकृत पेट्रोलियम गैस के आयात के लिए अपने पहले संरचित सौदे को अंतिम रूप दिया है, जो देश की वार्षिक एलपीजी आवश्यकता का लगभग 10 प्रतिशत है। जीटीआरआई ने कहा कि भारत अब उन कुछ प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में शामिल है, जो अमेरिका से तेल और एलपीजी की खरीद में उल्लेखनीय वृद्धि कर रही है।