OIL: समुद्र की गहराइयों में नई खोज की तैयारी, ओआईएल- टोटलएनर्जीज की साझेदारी से बढ़ी भारत की ऊर्जा उम्मीदें
ऑयल इंडिया लिमिटेड ने गहरे समुद्री क्षेत्रों में तेल और प्राकृतिक गैस की खोज को तेज करने के लिए फ्रांस की ऊर्जा कंपनी टोटलएनर्जीज के साथ साझेदारी की है। इसके समझौते के तहत टोटलएनर्जीज ओआईएल के मौजूदा और भविष्य के ऑफशोर पोर्टफोलियो में अपनी उन्नत तकनीक और विशेषज्ञता उपलब्ध कराएगी।
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ऑयल इंडिया लिमिटेड (OIL) ने गहरे और अति-गहरे समुद्री क्षेत्रों में तेल और प्राकृतिक गैस की खोज को तेज करने के लिए फ्रांस की ऊर्जा कंपनी टोटलएनर्जीज के साथ हाथ मिलाया है। कंपनी ने बुधवार को बताया कि तकनीकी सहायता प्रदान करने के लिए दोनों संस्थाओं के बीच 19 नवंबर 2025 को नई दिल्ली में टेक्नोलॉजी सर्विस एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर किए गए।
बयान के अनुसार, यह सहयोग भारतीय अवसादी बेसिनों के गहरे समुद्री क्षेत्रों में अन्वेषण गतिविधियों को मजबूत करने पर केंद्रित है। इसमें उन स्तरीय कुओं की ड्रिलिंग भी शामिल है, जिन्हें केंद्र सरकार ने अनिवार्य किया है।
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टोटलएनर्जीज ओआईएल को उन्नत तकनीक और विशेषज्ञता उपलब्ध कराएगी
इसके समझौते के तहत टोटलएनर्जीज ओआईएल के मौजूदा और भविष्य के ऑफशोर पोर्टफोलियो में अपनी उन्नत तकनीक और विशेषज्ञता उपलब्ध कराएगी। कंपनी के अनुसार, सहयोग में अंडमान बेसिन के उथले समुद्री क्षेत्रों में गैस खोज से जुड़े चल रहे मूल्यांकन कार्यक्रम, साथ ही महानदी और कृष्णा-गोदावरी बेसिनों के अति-गहरे जल क्षेत्रों में अन्वेषण कार्य शामिल हैं।
ओआईएल ने अंडमान द्वीप समूह के पास प्राकृतिक गैस भंडार की पुष्टि की थी
सितंबर में ओआईएल ने अंडमान द्वीप समूह के पास स्थित एक ब्लॉक में प्राकृतिक गैस भंडार की उपस्थिति की पुष्टि की थी। यह संकेत विजयपुरम-2 कुएं से मिले थे, हालांकि कंपनी ने कहा था कि भंडार की क्षमता और वाणिज्यिक उपयोगिता का आकलन करने के लिए आगे परीक्षण की आवश्यकता है। अब टोटलएनर्जीज इस गैस खोज की संभावनाओं और उसके व्यावसायिक रूप से उत्पादित किए जा सकने की क्षमता का आकलन करने में मदद करेगी।
ओआईएल और ओएनजीसी अंडमान सागर में हाइड्रोकार्बन की खोज में जुटे
ओआईएल और ओएनजीसी अंडमान सागर में हाइड्रोकार्बन खोज की कोशिशों में जुटे हैं, ताकि ऐसी खोज हो सके जो भारत की 88% तेल आयात निर्भरता और 50% गैस आयात निर्भरता को कम करने में मदद करे। कंपनी ने कहा कि यह रणनीतिक सहयोग ओआईएल के ऑफशोर फ्रंटियर में हाइड्रोकार्बन खोज को आगे बढ़ाने और भारत के ऊर्जा भविष्य को सुरक्षित बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।