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Micro Finance: 'उधारदाताओं की ओर से उत्पीड़न के मामले कम हो रहे', एमएफआईएन के सीईओ का दावा
बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, मुंबई
Published by: रिया दुबे
Updated Tue, 12 Aug 2025 05:32 PM IST
सार
माइक्रो फाइनेंस इंडस्ट्री नेटवर्क के सीईओ और निदेशक आलोक मिश्रा ने बताया ऋण वितरण में गिरावट के बावजूद, वसूली धीरे-धीरे बढ़ रही है। वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में एमएफआईएन वित्तीय जागरुकता, डिजिटल साक्षरता और आसानी से महिला उद्यमियों को ऋण उपलब्ध करवाने के लिए प्रोग्राम शुरू किए गए हैं।
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सांकेतिक तस्वीर
- फोटो : adobe stock
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विस्तार
माइक्रो फाइनेंस उद्योग क्षेत्र में सुधार होने के साथ ऋण वितरण में गिरावट के बावजूद, वसूली धीरे-धीरे बढ़ रही है। माइक्रो फाइनेंस इंडस्ट्री नेटवर्क (एमएफआईएन) के सीईओ और निदेशक आलोक मिश्रा ने यह जानकारी दी। उन्होंने ने इस बात पर जो देते हुए कहा कि , ग्रामीण और छोटे क्षेत्रों में साहूकार और गैर विनियमित संस्थाएं हैं जहां से लोग ऋण लेते हैं और उसके बाद ऋण की वसूली करने पर वे ग्राहकों को परेशान व उनका उत्पीड़न करते हैं।
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यह वसूली साहूकार और गैर विनियमित संस्थाएं माइक्रोफाइनेंस ऋणदाता के नाम पर करती हैं। इसकी वजह से माइक्रोफाइनेंस संस्थाओं की छवि ग्रामीण और जरुरतमंद उपभोक्ताओं के बीच खराब होती है। इसको लेकर हम लगातार काम कर रहे है। इसके लिए हमने सरकार से कुछ नियमों को लाने की बात कही है, जिस पर काम चल रहा है।
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छोटे मूल्य के ऋणों पर अत्यधिक ब्याज
उनसे पूछे जाने पर कि सूक्ष्म ऋणदाता और गैर-बैंकिंग वित्तपोषक छोटे मूल्य के ऋणों पर अत्यधिक ब्याज दर लेते है, उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में निधियों की औसत वर्तमान में लगभग 11.5-12 प्रतिशत है, जबकि अच्छे संस्थान कम दरो पर उधार लेते हैं। कम वेतन स्तर के बावजूद परिचालन खर्च औसतन 6.5 प्रतिशत है, जबकि ऋण लागत 3 से 4 प्रतिशत के दायरे में है। वे कहते हैं कि अगर हम इन्हें जोड़ दें तो कुल लागत लगभग 22 प्रतिशत हो जाती है, इसलिए अगर मैं उधार देतो हूं तो हमारे पास केवल 2 प्रतिशत का ही मार्जिन बचता है। क्रेडिट इंफॉर्मेंशन कंपनी के आंकड़ों से पता चलता है कि 80 प्रतिशत ग्राहकों ने 1,20,000 करोड़ रुपये से कम का कर्ज लिया है और 95 प्रतिशत ग्राहकों ने तीन से कम ऋणदाताओं से ऋण लिया है। साथ ही एनबीएफसी और एमएफआई द्वारा रिपोर्ट कि किए गए पोर्टफोलियों के अनुसार अप्रैल से जून तिमाही के लिए औसत ऋण दर 23.66 प्रतिशत है।
सूक्ष्म ऋणदाताओं ने गारंटी योजना की मांग
माइक्रोफाइनेंस इंस्टीट्यूशंस नेटवर्क (एमएफआईएन) ने 15,000-20,000 करोड़ रुपये की गारंटी योजना मांग की है और 15 जुलाई को सरकार को पत्र लिखा है, मिश्रा ने कहा कि प्रस्तावित योजना कोई सामान्य उधारकर्ता स्तरीय गारंटी नहीं है। यह (पहले की गारंटी योजना) के 7,500 करोड रुपये की थी, जिसका पूरा पैसा वापस आ गया और किसी ने गारंटी नहीं तोड़ी है। इसने एक बार फिर से अच्छा चक्र शुरू किया है और इसका कोई राजकोषीय प्रभाव नहीं हुआ है। उनका कहना है कि बैंकरों के साथ विचार विर्मश चल रहा है और मौजूदा तरतला चुनौतियों का समाधान अगले एक से दो महीनों में होने की संभावना है। माइक्रोफाइनेंस ऋणदाताओं को बैंकों द्वारा ऋण देने की गति धीमि हुई है और अगर गारंटी योजना को मंजूरी मिलती है तो इससे बैंकों का आत्मविश्वास बढ़ेगा। इससे बैंक माइक्रोफाइनेंस संस्थानों (एमएफआई) को कम ब्याज दरों पर ऋण दे सकेंगे, जिसका फायदा एमएफआई अपने ग्राहकों को दे सकेंगे।
एनबीएफसी-एमएफआई के आंकड़े
आंकड़ों के अनुसार इस उद्योग में गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी-सूक्ष्म वित्त संस्थान (एनबीएफसी-एमएफआई) और अन्य गैर बैंकिंग लघु वित्त बैंक और सूक्ष्म ऋण देने वाले ऋणदाता शामिल हैं। 30 जून तक एनबीएफसी और एमएफआई की कुल बकाया सूक्ष्म वित्त ऋण में 39 प्रतिशत हिस्सेदारी थी इसके बाद यह हिस्सेदारी 33 प्रतिशत हो गई।
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ग्रामीण क्षेत्रों में बढ़ रही जागरूकता
मिश्रा का कहना है कि ग्रामीण क्षेत्रों में एमएफआईएन वित्तीय जागरुकता, डिजिटल साक्षरता और आसानी से महिला उद्यमियों को ऋण उपलब्ध करवाने के लिए प्रोग्राम शुरू किए गए हैं। वहीं ग्रामीण क्षेत्रों, दूर दराज इलाकों में लोगों के साथ माइक्रोफाइनेंस के नाम पर धोखाधड़ी की घटानाओं पर भी हम ध्यान दे रहे हैं।
सकल ऋण पोर्टफोलियो में आई गिरावट
उद्योग निकाय एमएफआईएन का माइक्रोफाइनेंस क्षेत्र में सकल ऋण पोर्टफोलियो सालाना आधार पर 13.5 प्रतिशत से घटकर मार्च 2025 के अंत तक 3,75,030 करोड़ रुपये हो गया, जबकि मार्च 2024 के अंत तक यह 4,33,697 करोड़ रुपये था।
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