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Wind Energy: 2030 तक 140 गीगावॉट पवन ऊर्जा का लक्ष्य, देश में नहीं हो रहा 96 प्रतिशत पवन ऊर्जा क्षमता का उपयोग

डिजिटल ब्यूरो अमर उजाला Published by: पवन पांडेय Updated Thu, 10 Oct 2024 07:10 PM IST
सार

विंड एनर्जी को लेकर 23 से 25 अक्तूबर तक चेन्नई ट्रेड सेंटर, चेन्नई में रिन्यूएबल एनर्जी सेक्टर का सबसे प्रतिष्ठित और ऐतिहासिक व्यापार मेला एवं सम्मेलन आयोजित होगा। बता दें कि पवन ऊर्जा के क्ष्रेत्र में भारत, एक वैश्विक लीडर होने के साथ ही वर्तमान में विंड एनर्जी इंस्टालेशन के मामले में चौथे स्थान पर है। 

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India's target to have 140 GW of wind power by 2030, but 96% of the wind power capacity is not being used.
2030 तक 140 गीगावॉट पवन ऊर्जा का लक्ष्य - फोटो : Freepik
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विस्तार
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पवन ऊर्जा के क्ष्रेत्र में भारत, एक वैश्विक लीडर होने के साथ ही वर्तमान में विंड एनर्जी इंस्टालेशन के मामले में चौथे स्थान पर है। मौजूदा समय की बात करें तो फिलहाल देश में 47 गीगावॉट से ज्यादा की स्थापित क्षमता है। साल 2030 तक 140 गीगावॉट पवन ऊर्जा का लक्ष्य रखा गया है। इन सबके बावजूद देश में अभी भी पवन ऊर्जा क्षमता का 96 प्रतिशत उपयोग नहीं कर पाता है। अगर इस बाबत ध्यान दिया जाए तो 2070 तक नेट जीरो हासिल करने के प्रयास तेज हो सकते हैं। विंड एनर्जी को लेकर 23 से 25 अक्तूबर तक चेन्नई ट्रेड सेंटर, चेन्नई में रिन्यूएबल एनर्जी सेक्टर का सबसे प्रतिष्ठित और ऐतिहासिक व्यापार मेला एवं सम्मेलन आयोजित होगा।
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विंड एनर्जी इंडिया के छठे संस्करण में शामिल होंगे 300 से अधिक प्रदर्शक
सुजलॉन ग्रुप के सीईओ जेपी चलसानी का कहना है कि दुनिया भर के 300 से अधिक प्रदर्शक विंड एनर्जी इंडिया के छठे संस्करण का हिस्सा बनने जा रहे हैं। विंड एनर्जी इंडिया 2024, पवन ऊर्जा को समर्पित एक खास उद्योग मंच है। तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेला और सम्मेलन है, जो भारत की अभिलाषी नवीकरणीय ऊर्जा के लक्ष्य को पाने और पवन ऊर्जा जगत में प्रगति लाने के लिए उद्योग जगत के लीडरों, पॉलिसी निर्माताओं व इन्नोवेटर को एक साथ लाएगा। विंडर्जी इंडिया को हाल ही में एग्जीबिशन एक्सीलेंस अवार्ड्स 2024 में भारत के सबसे फास्ट-ग्रोइंग शो के रूप में मान्यता दी गई है। ये पवन ऊर्जा उद्योग में, इन्नोवेटर, पॉलिसी निर्माताओं, नियंत्रकों और उद्योग जगत के दिग्गजों को एक साथ जोड़ता है।
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जेपी चलसानी के अनुसार, हम जिस चरण में हैं, यह पवन ऊर्जा के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण चरण है। लगातार मिल रहा पॉलिसी स्पोर्ट, घरेलू मैन्युफैक्चरिंग और इन्नोवेशन को मिलने वाला समर्थन व आरएलएमएम आवश्यकताओं को मजबूत करने जैसे उपायों के साथ हम भारत को रिन्यूएबल एनर्जी प्रोडक्शन के लिए वैश्विक केंद्र के रूप में कायम कर सकते हैं। 25 देशों के लगभग 300 प्रदर्शकों के साथ-साथ डेनमार्क, स्पेन, यूनाइटेड किंगडम जैसे इंटरनेशनल पवेलियन से आधुनिक समाधान पाने का अवसर मिलेगा, जो पवन ऊर्जा के वैश्विक स्तर की पुष्टि करते हैं। 7,000 किमी से अधिक लंबी तटरेखा के साथ, भारत में 500 गीगावॉट से अधिक अपतटीय पवन क्षमता उत्पन्न करने की योग्यता है। तमिलनाडु और गुजरात जैसे राज्य, अपतटीय विकास में आगे हैं।

केंद्र ने अपतटीय पवन ऊर्जा प्रोजेक्ट को दी मंजूरी
एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए केंद्रीय मंत्रिमंडल ने हाल ही में 7,453 करोड़ रुपये के निवेश के साथ गुजरात और तमिलनाडु में 1 गीगावॉट की अपतटीय पवन ऊर्जा प्रोजेक्ट को मंजूरी दी है। इस प्रोजेक्ट से सालाना 3.72 बिलियन यूनिट नवीकरणीय बिजली का उत्पादन होने की उम्मीद है, जिससे 2.98 मिलियन टन CO2 उत्सर्जन कम होगा। यह ऊर्जा परिवर्तन को आगे बढ़ाने और अपने नेट जीरो 2070 लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए भारत के उद्देश्य को दर्शाता है। जेपी चलसानी ने बताया, इस क्षेत्र के अंतर्गत देश में रिसर्च एंड डेवलेपमेंट सेंटर का विस्तार हो रहा है। न्यू टरबाइन और एआई के साथ इस क्षेत्र में आगे बढ़ रहे हैं। विंड एनर्जी के विकास से जॉब का सृजन होता है। भारत में ही टरबाइन के सौ प्रतिशत पार्ट तैयार हो रहे हैं। इस क्षेत्र में अभी तक चुनौतियां भी हैं।

इन राज्यों में विंड एनर्जी की नई संभावनाओं का काम होगा
देश में विंड एनर्जी को लेकर ग्रीड, जमीन और टैरिफ जैसी कई चुनौतियां मौजूद हैं। गुजरात, तमिलनाडु, कर्नाटक, ओडिशा, मध्यप्रदेश और राजस्थान आदि राज्यों में विंड एनर्जी की नई संभावनाओं का काम होगा। एक सवाल के जवाब में सेनवियन विंड टेक्नोलॉजी के सीईओ और प्रबंध निदेशक, अमित कंसल ने कहा, लद्दाख में विंड एनर्जी की अपार संभावनाएं हैं, लेकिन वहां पर खर्चा बहुत आता है। लद्दाख में टरबाईन और विंग्स स्थापित पहुंचाना आसान नहीं है। देश के दूसरे हिस्सों में भी विंग्स को पहुंचाना एक चुनौतीपूर्ण कार्य है। इस आयोजन को उद्योग जगत के प्रमुख दिग्गजों के साथ-साथ कई अन्य प्रमुख संगठनों जैसे मैन्युफैक्चरर ऑफ कंपोनेंट, विंड टरबाइन और सॉफ्टवेयर सॉल्यूशन के निर्माताओं के साथ-साथ सर्विस प्रोवाइडर और कंसलटेंट का समर्थन प्राप्त है। 

इंडियन विंड टर्बाइन मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (आईडब्ल्यूटीएमए) और बेंगलुरु स्थित व्यापार मेला आयोजक पीडीए वेंचर्स प्राइवेट लिमिटेड द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित, विंडर्जी इंडिया को बिजली मंत्रालय, नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय, नीति आयोग द्वारा समर्थित किया गया है। इतना ही नहीं, इस आयोजन को मेक इन इंडिया पहल के तहत भी मान्यता प्राप्त है। 

'पवन', भारत के ऊर्जा परिवर्तन को बढ़ाना है' सम्मेलन विषय
'पवन', भारत के ऊर्जा परिवर्तन को बढ़ाना, विंडर्जी इंडिया 2024 के इस दो दिवसीय सम्मेलन का यही विषय रखा गया है। यह आयोजन पवन क्षेत्र के नए विकास पर चर्चा करेगा। बेस्ट इन्नोवेशन का प्रदर्शन करेगा। पॉलिसी फ्रेमवर्क, टेक्नोलॉजी ट्रेंड और इंवेस्टमेंट स्ट्रैटेजी पर चर्चा में भी अपना योगदान देगा। यह क्यूरेटेड सेशन आश्वासन देते हैं कि इस सत्र के दौरान, भारत में पवन ऊर्जा के भविष्य को मज़बूत करने, देश के 2030 के नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए इनोवेटिव ऑक्शन मैकेनिज्म और ग्रीन एनर्जी रेवॉल्यूशन पोस्ट-COP28 के लिए नए फाइनेंशियल अवेन्यू जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर खास विचार-विमर्श किया जाएगा।

मुख्य सम्मेलन के अलावा होंगे कई अन्य कार्यक्रम
मुख्य सम्मेलन के अलावा, विंडर्जी इंडिया 2024 उद्योग विशेषज्ञों के नेतृत्व में राउंड टेबल सेशन और सेमिनार की मेजबानी करेगा, जिसमें अंतरराष्ट्रीय आयोग और ग्रीन हाइड्रोजन एसोसिएशन (जीएच2), डेनमार्क में इन्वेस्टमेंट, डिपार्टमेंट ऑफ बिजनेस एंड ट्रेड, ब्रिटिश हाई कमीशन और डेवलपमेंट ऑफ इंडस्ट्रियल टेक्नोलॉजी (सीडीटीआई), स्पेन जैसे प्रमुख संगठन शामिल होंगे। कार्यक्रम का आखिरी दिन भारत के पवन ऊर्जा क्षेत्र के भविष्य पर केंद्रित होगा, जिसमें छात्रों और शिक्षा जगत पर विशेष जोर दिया जाएगा। इसमें पवन ऊर्जा प्रणालियों के तकनीकी पहलुओं, हरित अर्थव्यवस्था के परिवर्तन में नवीकरणीय ऊर्जा की भूमिका और स्किल डेवेलपमेंट के माध्यम से स्थायी नौकरियों के निर्माण पर गहन जानकारी और पवन गियरबॉक्स पर तकनीकी निरीक्षण सत्र होंगे, जो स्किल काउंसिल फॉर ग्रीन जॉब्स (एससीजीजे), नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ विंड एनर्जी, नॉर्डेक्स और जेडएफ विंड पावर द्वारा आयोजित किए जाएंगे। 

भारत के पवन ऊर्जा क्षेत्र में उल्लेखनीय वृद्धि
सेनवियन विंड टेक्नोलॉजी के सीईओ और प्रबंध निदेशक, अमित कंसल ने बताया, 2024 तक 47 गीगावॉट से अधिक की स्थापित क्षमता के साथ भारत के पवन ऊर्जा क्षेत्र में उल्लेखनीय वृद्धि देखने को मिल रही है। हाइब्रिड पवन-सौर परियोजनाओं की ओर रुझान परिदृश्य अब बदल रहा है। सरकार का 2030 तक 140 गीगावॉट पवन ऊर्जा का लक्ष्य और हाल ही में नवीकरणीय ऊर्जा में सालाना 10 बिलियन डॉलर से अधिक का होने वाला निवेश, भारत के नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्यों को पूरा करने और निरंतर विकास को आगे बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण है।

विंड इंडिपेंडेंट पावर प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन (डब्ल्यूआईपीपीए) के अध्यक्ष, पराग शर्मा ने कहा, पवन ऊर्जा क्षेत्र के प्रमुख दिग्गजों को एक साथ लाकर, यह मंच भारत के ऊर्जा परिवर्तन में पवन उद्योग की भूमिका को और मजबूत बनाएगा। इस अगस्त में 47 गीगावॉट की कुल स्थापित पवन ऊर्जा क्षमता के आंकड़े को पार करने और 2030 तक 140 गीगावॉट लक्ष्य के साथ, उद्योग एक अहम मोड़ पर पहुंच चुका है। बेशक हम क्षमताएं बढ़ाने के लिए तैयार हैं, लेकिन निर्णायक एवं निरंतर पॉलिसी समर्थन और समय पर पीपीए, तत्काल निवेश को आकर्षित करने के लिए महत्वपूर्ण हैं। इससे भर्तियां बढ़ेंगी और क्षेत्र में स्मार्ट नवाचार आएगा। स्ट्रैटेजिक कोलेब्रेशन, कोस्ट इफ़ेक्टिव टैरिफ और सपॉर्टिव मार्किट मेकैनिज्म, क्षमता वृद्धि में तेजी लाएंगे, जिससे यह सुनिश्चित होगा कि पवन ऊर्जा भारत के नवीकरणीय भविष्य में अग्रणी भूमिका निभाएं।
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