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India-UK FTA: मुक्त व्यापार समझौते के बाद चाइनीज माल की एंट्री रोकने की चुनौती, घरेलू कंटेंट पर फोकस

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: नितिन गौतम Updated Tue, 13 May 2025 11:11 AM IST
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सार

केनरा बैंक की रिपोर्ट के अनुसार, अगर माल के उत्पादन वाली जगह की पुष्टि के लिए सख्त कदम नहीं उठाए गए तो चाइनीज माल की पिछले दरवाजे से दोनों देशों के बाजार में एंट्री हो सकती है और दोनों देशों के स्थानीय निर्यातकों को एफटीए का पूरा फायदा नहीं मिल पाएगा। 

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भारत ब्रिटेन में एफटीए - फोटो : पीटीआई
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भारत और ब्रिटेन के बीच मुक्त व्यापार समझौता हो चुका है। अब दोनों देशों के सामने चुनौती है कि वे चाइनीज माल की एंट्री को कैसे रोकें। इसके लिए दोनों देश अपने उत्पादों में घरेलू कंटेंट को बढ़ाने पर फोकस कर रहे हैं ताकि चीनी माल की पिछले दरवाजे से एंट्री को रोका जा सके। केनरा बैंक की रिपोर्ट में यह बात कही गई है। 
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रिपोर्ट में क्या कहा गया है
रिपोर्ट में कहा गया है कि माल का उत्पादन कहां हो रहा है, इसे पता लगाने के लिए सख्त कदम उठाए जाने चाहिए। रिपोर्ट में कहा गया है कि ब्रिटेन के साथ मुक्त व्यापार समझौता होना, भारत की बड़ी जीत है। इसके तहत ब्रिटेन के 99 प्रतिशत बाजार में भारतीय उत्पादों को ड्यूटी फ्री एंट्री मिलेगी। इससे भारतीय निर्यातकों को काफी फायदा होगा। केनरा बैंक की रिपोर्ट के अनुसार, अगर माल के उत्पादन वाली जगह की पुष्टि के लिए सख्त कदम नहीं उठाए गए तो चाइनीज माल की पिछले दरवाजे से दोनों देशों के बाजार में एंट्री हो सकती है और दोनों देशों के स्थानीय निर्यातकों को एफटीए का पूरा फायदा नहीं मिल पाएगा। 
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वित्तीय फर्म्स के लिए खुला बाजार
भारत ब्रिटेन व्यापार समझौते में कृषि और डेयरी उत्पादों को समझौते से बाहर रखा गया है। भारत की अभी यूरोपीय संघ और ऑस्ट्रेलिया के साथ भी मुक्त व्यापार समझौते पर बात हो रही है। भारत को इनके साथ होने वाले मुक्त व्यापार समझौते में डेयरी और कृषि उत्पादों को समझौते से बाहर रखने में खासी मशक्कत करनी पड़ रही है। एफटीए के तहत भारत और ब्रिटेन एक दूसरे देश के बैंकिंग और इंश्योरेंस सेक्टर को समान सुविधाएं देंगे। ऐसे में ब्रिटेन की वित्तीय फर्म्स भारत में विस्तार कर सकती हैं। वहीं भारतीय वित्तीय फर्म्स भी ब्रिटेन के बाजार में दाखिल हो सकती हैं। 

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