Japan: अमेरिकी टैरिफ के बावजूद जापान का निर्यात बढ़ा, महीने के अंत तक ट्रंप-ताकाइची की मुलाकात होने की उम्मीद
जापानी वित्त मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार अमेरिकी टैरिफ के बावजूद सितंबर में जापान के निर्यात में 4.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। वहीं मेरिका को निर्यात में 13.3 प्रतिशत की गिरावट आई। अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप इस महीने के अंत में जापान का दौरा करेंगे, जहां उनकी मुलाकात प्रधानमंत्री ताकाइची से होने की संभावना है।
विस्तार
अमेरिकी टैरिफ के बावजूद सितंबर में जापान के निर्यात और आयात में वृद्धि हुई है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार सितंबर में जापान के निर्यात में 4.2 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई।
ये भी पढ़ें: FDI: वैश्विक चुनौतियों के बीच प्रत्यक्ष विदेशी निवेश 208% बढ़ा, 76 फीसदी रही इन पांच देशों की हिस्सेदारी
अमेरिका को निर्यात में आई 13.3 प्रतिशत की गिरावट
जापानी वित्त मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, पिछले महीने एशिया को जापान का निर्यात पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 9.2 प्रतिशत बढ़ा। अमेरिका को निर्यात में 13.3 प्रतिशत की गिरावट आई। यह लगातार छठे महीने गिरावट का संकेत है। वहीं चीन को निर्यात में पिछले वर्ष की तुलना में 5.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
सितंबर में अमेरिका को होने वाले ऑटो शिपमेंट में 24.2% की गिरावट आई। टोयोटा मोटर कॉर्प जैसी ऑटो निर्माता कंपनियां जापान की अर्थव्यवस्था के स्तंभ हैं। इसी महीने में जापान का आयात कुल मिलाकर 3.3% बढ़ा, एशिया में 6% की वृद्धि हुई, जिसमें चीन से आयात में 9.8% की वृद्धि शामिल है।
ताकाइची बनी जापान की पहली महिला प्रधानमंत्री
यह निष्कर्ष साने ताकाइची को संसदीय मतदान में देश का प्रधानमंत्री चुने जाने के एक दिन बाद आया है। इसके साथ ही वह जापान का नेतृत्व करने वाली पहली महिला बन गईं।
ट्रंप और ताकाइची की मुलाकात की संभावना
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप इस महीने के अंत में जापान का दौरा करेंगे, जहां उनकी मुलाकात प्रधानमंत्री ताकाइची से होने की संभावना है। इससे पहले जुलाई में ट्रंप ने जापान के साथ एक नया व्यापार ढांचा घोषित किया था, जिसके तहत जापानी वस्तुओं पर 15% कर लगाया गया है।
इस समझौते के तहत जापान ने अमेरिका में 550 अरब डॉलर का निवेश करने और अपने बाजार को अमेरिकी ऑटोमोबाइल व चावल के लिए और अधिक खोलने का वादा किया है। यह टैक्स दर पहले प्रस्तावित 25% से घटाकर 15% कर दी गई है, जिसे दोनों देशों के बीच आर्थिक सहयोग की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है।