Piyush Pandey: 'मिले सुर मेरा तुम्हारा' से 'दो बूंद जिंदगी की' तक, पीयूष पांडे की विरासत जो हमेशा जीवित रहेगी
Piyush Pandey: विज्ञापन जगत के दिग्गज और एडगुरु के नाम से मशहूर पीयूष पांडे का शुक्रवार को निधन हो गया। फेविकोल, कैडबरी और एशियन पेंट्स जैसे चर्चित विज्ञापनों को डिजाइन करने वाले पांडे 70 वर्ष के थे। पांडे ने ही 90 के दशक में मशहूर गीत मिले सुर मेरा तुम्हारा लिखा था। आइए उनके बारे में जानें विस्तार से।
विस्तार
विज्ञापन जगत के दिग्गज और एडगुरु के नाम से मशहूर पीयूष पांडे का शुक्रवार को निधन हो गया। फेविकोल, कैडबरी और एशियन पेंट्स जैसे चर्चित विज्ञापनों को डिजाइन करने वाले पांडे 70 वर्ष के थे। पांडे ने ही 90 के दशक में मशहूर गीत मिले सुर मेरा तुम्हारा लिखा था। पीयूष पांडे संक्रमण से पीड़ित थे। उनका अंतिम संस्कार शुक्रवार को मुंबई के शिवाजी पार्क में हुआ।
चार दशकों तक विज्ञापन जगत पर पीयूष पांडे ने छोड़ी छाप
पीयूष पांडे लगभग चार दशकों से विज्ञापन उद्योग में कार्यरत थे। वे ओगिल्वी के विश्वव्यापी मुख्य रचनात्मक अधिकारी और भारत में कार्यकारी अध्यक्ष थे। पांडे 1982 में ओगिल्वी से जुड़े और उन्होंने अपना पहला विज्ञापन सनलाइट डिटर्जेंट के लिए लिखा। छह साल बाद, वे कंपनी के क्रिएटिव विभाग में शामिल हो गए और फेविकोल, कैडबरी, एशियन पेंट्स, लूना मोपेड, फॉर्च्यून ऑयल और कई अन्य ब्रांडों के लिए उल्लेखनीय विज्ञापन बनाए। पीयूष पांडे ने भारतीय विज्ञापन जगत में विभिन्न ब्रांड्स के लिए क्या स्वाद है जिंदगी में, मिले सुर मेरा तुम्हारा, अबकी बार मोदी सरकार, दो बूंद जिंदगी की, एमपी गजब है, ठंडा मतलब कोका-कोला, बुलंद भारत की बुलंद तस्वीर, हमारा बजाज, हर घर कुछ कहता है, भाई, हच है ना! जैसे कई आइकॉनिक लाइन्स दिए। ये लाइन्स हर किसी की जुबान पर चढ़ गए और उनसे जुड़े उत्पादों को घर-घर में पहचान मिली। उनके नेतृत्व में ओगिल्वी इंडिया को एक स्वतंत्र सर्वेक्षण में 12 वर्षों तक नंबर एक एजेंसी का दर्जा दिया गया। पांडे ने कई पुरस्कार जीते हैं। 2016 में उन्हें पद्मश्री से भी सम्मानित किया गया।
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अभिनय की दुनिया में भी रखा कदम
पांडे ने अभिनय में भी कदम रखा और 2013 में जॉन अब्राहम अभिनीत फिल्म "मद्रास कैफे" और मैजिक पेंसिल प्रोजेक्ट वीडियोज (आईसीआईसीआई बैंक की ओर से चलाया गया एक मार्केटिंग अभियान) में काम किया। पांडे ने "मिले सुर मेरा तुम्हारा" गीत लिखा था। यह गीत 90 के दशक में देश में राष्ट्रीय एकता और विविधता बढ़ावा देने वाला एक कालजयी गीत था, जो टेलीविजन के जरिए घर-घर तक पहुंच गया था। पांडे ने चर्चित फिल्म 'भोपाल एक्सप्रेस' की पटकथा भी लिखी थी।
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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी दी श्रद्धांजलि
व्यापार, विज्ञापन और राजनीति जगत के लोगों ने पीयूष पांडे को श्रद्धांजलि दी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लिखा, "पीयूष पांडे जी अपनी रचनात्मकता के लिए जाने जाते थे। उन्होंने विज्ञापन और संचार जगत में अभूतपूर्व योगदान दिया। मैं वर्षों तक हमारे बीच हुई बातचीत को हमेशा संजो कर रखूंगा। उनके निधन से दुखी हूं। मेरी संवेदनाएं उनके परिवार और प्रशंसकों के साथ हैं। ॐ शांति।"
एक्स पर एक पोस्ट में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा, "भारतीय विज्ञापन जगत के एक दिग्गज थे पीयूष पांडे, उन्होंने रोजमर्रा के मुहावरों, हास्य और वास्तविक गर्मजोशी को इसमें लाकर संचार को बदल दिया।" सीतारमण ने कहा, "विभिन्न अवसरों पर उनसे बातचीत करने के अवसर मिले। उनके परिवार, मित्रों और संपूर्ण रचनात्मक बिरादरी के प्रति मेरी हार्दिक संवेदना। उनकी विरासत आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी।"
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उदय कोटक बोले- पीयूष का छोड़कर चले जाना दुखद
कोटक महिंद्रा बैंक के संस्थापक उदय कोटक ने कहा, "पीयूष पांडे का हमें छोड़कर चले जाना दुखद है। उन्होंने 2003 में एक अभियान के साथ कोटक महिंद्रा बैंक की शुरुआत की थी और बैंकिंग को 'सामान्य ज्ञान' बताया था। वह अद्भुत, अलग सोच रखने वाले और विनम्र व्यक्ति थे। उन्होंने रचनात्मकता को भारतीय संदर्भ में पिरोया। हमें उनकी कमी खलेगी।" पांडे को अपना 'सबसे प्रिय मित्र' बताते हुए लेखक-स्तंभकार सुहेल सेठ ने कहा, "भारत ने न सिर्फ एक महान विज्ञापन दिमाग खोया है, बल्कि एक सच्चे देशभक्त और एक बेहतरीन जेंटलमेंन व्यक्ति को भी खोया है। अब स्वर्ग भी 'मिले सुर मेरा तुम्हारा' पर नाचेगा।"