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Byju's: सरकारी जांच में बायजू को राहत का दावा; प्रशासन में खामियां मिलीं पर धोखाधड़ी किए जाने के सबूत नहीं
बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: कुमार विवेक
Updated Wed, 26 Jun 2024 01:48 PM IST
सार
Byju's: मामले की जानकारी रखने वाले लोगों ने बताया कि कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय की ओर से बायजू की साल भर चली जांच में फंड की हेराफेरी या वित्तीय खातों में हेराफेरी जैसे गलत कामों का कोई सबूत नहीं मिला। हालांकि जांच में, कंपनी के प्रशासन में कमियां मिलीं जिन्होंने स्टार्टअप के बढ़ते घाटे में योगदान दिया। नाम सार्वजनिक ना करने की शर्त पर सूत्रों ने कहा, जांचकर्ताओं की रिपोर्ट को अभी तक सार्वजनिक नहीं है।
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बायजू
- फोटो : X.com: @BYJUS
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विस्तार
भारत सरकार की एक जांच में बायजू के प्रशासन में खामियां पाई गईं, लेकिन वित्तीय धोखाधड़ी के आरोपों पर ऑनलाइन-शिक्षा स्टार्टअप को राहत दी गई है। मामले की जानकारी रखने वाले लोगों ने बताया कि कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय की साल भर चली जांच में फंड की हेराफेरी या वित्तीय खातों में हेराफेरी जैसे गलत कामों का कोई सबूत नहीं मिला। हालांकि जांच में, कंपनी के प्रशासन में कमियां मिलीं जिन्होंने स्टार्टअप के बढ़ते घाटे में योगदान दिया। नाम सार्वजनिक ना करने की शर्त पर सूत्रों ने कहा, जांचकर्ताओं की रिपोर्ट को अभी तक सार्वजनिक नहीं है।
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ब्लूमबर्ग के अनुसार सरकार की यह जांच रिपोर्ट संस्थापक बायजू रवींद्रन के लिए बहुत हद तक राहत की तरह है। उनपर असंतुष्ट निवेशकों की ओर से कुप्रबंधन का आरोप लगाया गया है। प्रोसस वेंचर्स और पीक एक्सवी पार्टनर्स, पूर्व में सिकोइया कैपिटल इंडिया सहित तीन शेयरधारकों ने व्यावसायिक प्रक्रियाओं और आंतरिक नियंत्रण जैसे मुद्दों पर रवींद्रन के साथ मतभेदों के कारण पिछले साल बायजू के बोर्ड को छोड़ दिया था।
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रिपोर्ट ने कम से कम अस्थायी रूप से उन मुद्दों पर भारतीय अधिकारियों द्वारा कंपनी पर किसी नई जांच की संभावना को भी समाप्त कर दिया गया है, जिनकी पहले से ही जांच हो चुकी है। कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय, बायजू, पीक एक्सवी और प्रोसस के प्रतिनिधियों ने फिलहाल इस विषय पर टिप्पणी के अनुरोधों का जवाब नहीं दिया। रिपोर्ट में सीधे तौर पर यह नहीं बताया गया है कि क्या रवींद्रन व्यक्तिगत रूप से कंपनी के शासन में चूक के लिए दोषी हैं या क्या वह कंपनी चलाने के लिए योग्य हैं?
बता दें कि असंतुष्ट निवेशकों ने प्रबंधन और अनुपालन विफलताओं का हवाला देते हुए उन्हें हटाने की मांग की है। हालांकि यह रिपोर्ट कंपनी की व्यापक समस्याओं को दूर करने की दिशा में कम ही सही पर राहत प्रदान करती है। घाटे से जूझ रहे स्टार्टअप के त्वरित विस्तार के कारण इसे नकदी की कमी और इसके मूल्यांकन में गिरावट जैसी समस्याओं से जूझना पड़ा। फिलहाल कंपनी स्टार्टअप भारत और अमेरिका में कई मुकदमें लड़ रहा है। सूत्रों ने कहा कि जांच में पाया गया कि कमजोर कॉरपोरेट गवर्नेंस और अनुपालन प्रथाओं के साथ-साथ फंडिंग के माहौल में बदलाव से कंपनी नकारात्मक रूप से प्रभावित हुआ। जांचकर्ताओं ने यह भी निष्कर्ष निकाला कि स्टार्टअप वित्त और अनुपालन की देखरेख के लिए पेशेवरों को लाने में विफल रहा, जिससे नुकसान हुआ।
रिपोर्ट में कहा गया है कि बायजू ने सभी निदेशकों के साथ अधिग्रहण के पूर्ण विवरण का खुलासा नहीं किया और इस तरह के सौदों को मंजूरी देने के लिए बैठकें अल्प सूचना पर बुलाई गई थीं। हालांकि, रिपोर्ट के अनुसार यह संस्थापकों का यह तर्क भी सही है कि कुछ निदेशक प्रतिद्वंद्वी कंपनियों में निवेशक भी थे। एड-टेक कंपनी का मूल्य अपने चरम पर 22 अरब डॉलर था। कोविड-19 महामारी के दो वर्षों के दौरान व्यवसाय में वृद्धि हुई, लेकिन जैसे-जैसे संक्रमण कम हुआ और कक्षाएं फिर से शुरू हुईं, इसकी नकदी सिकुड़ती गई। यह अब भारत और विदेशों में दिवालियापन से जुड़े कई मामलों से जूझ रहा है। हालांकि बायजू ने नए शेयर जारी करके मौजूदा निवेशकों से 100 मिलियन डॉलर से अधिक जुटाने में कामयाबी हासिल की है, लेकिन एक भारतीय अदालत ने उस पैसे का उपयोग करने से रोक दिया है।
वर्तमान में रवींद्रन अपनी कंपनी के मुख्य व्यवसाय के पुनर्निर्माण के लिए संघर्ष कर रहे हैं। प्रत्येक छात्र के लिए उनकी आवश्यकताओं के अनुसार जनरेटिव आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के इस्तेमाल पर भी जोर दे रहे हैं। वे कंपनी को बचाए रखने और व्यक्तिगत ऋण बढ़ाने सहित वित्तीय दबावों को कम करने के लिए सभी पड़ावों पर अपनी लड़ाई जारी रखे हुए हैं।