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RBI: आरबीआई गवर्नर ने स्टार्टअप पर दिया जोर, कहा- युवा अब एमएनसी में नौकरी करने की जगह उद्यमी बनना कर रहे पसंद

बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: बशु जैन Updated Mon, 28 Apr 2025 10:08 AM IST
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सार

वॉशिंगटन डीसी में भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) और अमेरिका-भारत सामरिक भागीदारी मंच (यूएसआईएसपीएफ) के कार्यक्रम में आरबीआई गर्वनर संजय मल्होत्रा ने कहा कि जब मैंने कॉलेज छोड़ा तो एमएनसी में नौकरी करना मेरा पसंदीदा विकल्प था। अब भारत तेजी से नौकरी चाहने वालों की बजाय नौकरी देने वालों का देश बनता जा रहा है।

RBI Governor said- youth are now preferring to become entrepreneurs instead of working in MNC
आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा - फोटो : PTI
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भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने स्टार्टअप पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ सालों में भारत की युवा पीढ़ी की मानसिकता बदली है। अब युवा बहुराष्ट्रीय कंपनियों (एमएनसी) में नौकरी की तलाश करने के बजाय उद्यमी बनना पसंद कर रहे हैं।

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वॉशिंगटन डीसी में भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) और अमेरिका-भारत सामरिक भागीदारी मंच (यूएसआईएसपीएफ) द्वारा आयोजित अमेरिका-भारत आर्थिक मंच में अपने भाषण में गर्वनर संजय मल्होत्रा ने कहा कि जब मैंने कॉलेज छोड़ा तो एमएनसी में नौकरी करना मेरा पसंदीदा विकल्प था। किसी ने भी अपना खुद का उद्यम शुरू करने के बारे में नहीं सोचा था। हाल के वर्षों में बड़ी संख्या में इंजीनियरिंग और प्रबंधन स्नातक उद्यमिता और स्टार्ट-अप की ओर रुख कर रहे हैं।
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उन्होंने कहा कि उद्यमिता की इस बढ़ती संस्कृति ने भारत को एक मजबूत स्टार्ट-अप इकोसिस्टम बनाने में मदद की है। देश में लगभग 150,000 मान्यता प्राप्त स्टार्ट-अप हैं, जिन्हें स्टार्ट-अप इंडिया, डिजिटल इंडिया और अटल इनोवेशन मिशन जैसी सरकारी पहलों का समर्थन प्राप्त है।

आरबीआई गर्वनर ने कहा कि भारत में अब दुनिया में तीसरी सबसे बड़ी संख्या में यूनिकॉर्न हैं, जिनमें से कई आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, फिनटेक और नवीकरणीय ऊर्जा जैसे उच्च तकनीक क्षेत्रों से उभर रहे हैं। भारत ने वैश्विक नवाचार सूचकांक में भी अपनी स्थिति में सुधार किया है। यह 2015 के 81वें स्थान से चढ़कर 2024 में 39वें स्थान पर आ गया है। निम्न-मध्यम आय वाले देशों में भारत अब पहले स्थान पर है।

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उन्होंने कहा कि यह जानकर खुशी होती है कि भारत तेजी से नौकरी चाहने वालों की बजाय नौकरी देने वालों का देश बनता जा रहा है। सार्वजनिक वितरण प्रणाली को आधार से जोड़ने जैसी विभिन्न योजनाओं के डिजिटलीकरण से भारी बचत हुई है। राज्य सरकारों को समय पर धन मिलने से केंद्र सरकार को अपने नकदी प्रवाह को बेहतर ढंग से प्रबंधित करने में भी मदद मिली है। उन्होंने यह भी कहा कि प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) जैसी पहलों ने सरकारी खर्च की दक्षता में काफी सुधार किया है। जिससे मार्च 2023 तक लगभग 40 बिलियन अमेरिकी डॉलर की बचत हुई है।

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