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RBI: 'नियम ऐसे हों जो वित्तीय समावेशन को नुकसान न पहुंचाएं', मनी लॉन्ड्रिंग व अवैध वित्तपोषण पर ये बोले गवर्नर

बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, मुंबई Published by: नविता स्वरूप Updated Wed, 26 Mar 2025 01:39 PM IST
सार

RBI Governor Sanjay Malhotra: प्राइवेट सेक्टर कोलैबोरेटिव फोरम 2025 के उद्घाटन समारोह में बोलते हुए भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा है कि नियम ऐसे होने चाहिए जो वित्तीय समावेशन को नुकसान न पहुंचाएं। उन्होंने मनी लॉन्ड्रिंग और अवैध वित्तपोषण के तरीकों को रोकने की प्रक्रिया को और बेहतर बनाने की भी वकालत की। आरबीआई गवर्नर ने और क्या कहा, आइए जानें।

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RBI is continuously working to make the financial systems safe from money laundering says governor
संजय मल्होत्रा - फोटो : PTI
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विस्तार
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"नीति निर्माता ध्यान रखें कि धन शोधन गतिविधियों पर अंकुश लगाने के लिए उठाए गए कदमों से अति उत्साहित न हों और वैध निवेशों को बाधित न करें।" प्राइवेट सेक्टर कोलैबोरेटिव फोरम 2025 के उद्घाटन समारोह में बोलते हुए भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने यह बात कही। मल्होत्रा ने कहा कि केंद्रीय बैंक वित्तीय प्रणालियों को धन शोधन और आतंकवादी वित्तपोषण से सुरक्षित बनाने के लिए लगातार काम कर रहा है।

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मुंबई में आयोजित निजी क्षेत्र के सहयोगात्मक फोरम में वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (एफएटीएफ) के अध्यक्ष की उपस्थिति में बोलते हुए गवर्नर ने कहा प्रौद्योगिकी ने कारोबार को और अधिक आसान बना दिया है। इसने मनी लॉन्ड्रिंग और अवैध वित्तपोषण के नए और बहुत ही परिष्कृत तरीकों के इजाद को भी बढ़ावा दिया है। उन्होंने कहा कि इसे ध्यान में रखते हुए जोखिम मूल्यांकन मॉडल को परिष्कृत और बेहतर बनाने की आवश्यकता है।
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अपने संबोधन में गवर्नर मल्होत्रा ने कहा कि विनियमनों को वित्तीय समावेशन में अनपेक्षित अवरोध नहीं पैदा करना चाहिए। मल्होत्रा ने कहा, "हमें उचित परिश्रम की आवश्यकताओं को पूरा करते हुए ग्राहकों के अधिकारों और सुविधा का ध्यान रखना चाहिए।"

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गवर्नर मल्होत्रा ने कहा कि मनी लॉन्ड्रिंग के उभरते परिदृश्य को देखते हुए, नियामकों को उचित प्रणाली संवर्द्धन करने के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) और मशीन लर्निंग (एमएल) के जोखिम मूल्यांकन ढांचे को लगातार मजबूत बनाने की आवश्यकता होगी।

उन्होंने केंद्रीय बैंकों से वित्तीय दुनिया में नवीनतम रुझानों और विकास को समझने का भी आग्रह किया, जिसका आपराधिक तत्वों द्वारा फायदा उठाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि इसे समझते हुए, केंद्रीय बैंकों को ऐसे नियम और रूपरेखा विकसित करनी चाहिए जो संदिग्ध लेनदेन का पहले ही पता लगा सकें और पहले से ही कार्रवाई कर सकें। मल्होत्रा ने कहा कि आरबीआई 2027 तक समावेशी सीमापार भुगतान की दिशा में जी-20 रोडमैप के अगले चरण को प्रभावी ढंग से लागू करने की प्रतिबद्धता को पूरा करने की दिशा में काम करना जारी रखेगा।

मल्होत्रा ने कहा, हम सभी जानते हैं कि वहां बहुत काम किए जाने की जरूरत है। मुझे लगता है कि यह केवल समय की बात है कि सीमा पार भुगतान भी बहुत आसान और लागत प्रभावी हो जाएगा। उन्होंने कहा कि सीमा पार भुगतान को तेज, सस्ता, सुविधाजनक और पारदर्शी बनाने के जी20 उद्देश्य को पूरा करने के लिए यात्रा नियमों को प्रौद्योगिकी  बढ़ाना होगा। मल्होत्रा ने कहा कि भारत ने वित्तीय समावेशन की दिशा में पर्याप्त प्रगति की है और अब 94 प्रतिशत वयस्कों के पास बैंक खाता है। उन्होंने कहा कि यह स्थिति नियामकों के लिए एक चुनौती भी है।

उन्होंने कहा, "यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि विनियमन वित्तीय समावेशन में अनपेक्षित बाधाएं उत्पन्न न करें। हमें उचित परिश्रम संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करते समय ग्राहकों के अधिकारों और सुविधा का ध्यान रखना चाहिए।" मल्होत्रा ने कहा कि कानूनों और विनियमों को केवल अवैध और गैरकानूनी लोगों को ही "शल्य चिकित्सा सटीकता" के साथ लक्षित करना चाहिए, न कि उन्हें ऐसे कुंद हथियार के रूप में इस्तेमाल करना चाहिए जो अनजाने में ईमानदार लोगों को चोट पहुंचाते हों।

गवर्नर ने कहा, "जबकि हम अपनी वित्तीय प्रणालियों को धन शोधन और आतंकवादी वित्तपोषण के विरुद्ध सुरक्षित बनाने का प्रयास कर रहे हैं, हमें नीति निर्माताओं के रूप में यह भी ध्यान रखना होगा कि हमारे उपाय अति उत्साही न हों और वैध गतिविधियों और निवेशों को बाधित न करें।" "संतुलित विनियमन" की वकालत करते हुए मल्होत्रा ने कहा कि जोखिम आधारित दृष्टिकोण अपनाना लाभकारी होगा तथा लोगों और व्यवसायों पर पड़ने वाले प्रभाव का आकलन करना आवश्यक है।

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मल्होत्रा ने कहा कि हितधारकों को बेहतर समन्वय स्थापित करने की आवश्यकता है और लोगों को बार-बार अपने ग्राहक को जानो (केवाईसी) आवश्यकताओं से गुजरने के लिए मजबूर करने की "अनावश्यक" प्रक्रिया से बचने पर ध्यान देने की आवश्यकता है। प्रौद्योगिकी के बारे में बोलते हुए मल्होत्रा ने कहा कि जहां इससे कारोबार करना आसान हुआ है, वहीं इसने धन शोधन और अवैध वित्तपोषण के परिष्कृत साधनों को भी बढ़ावा दिया है। उन्होंने कहा, "हम अवैध वित्तीय गतिविधियों को रोकने और उनसे निपटने के लिए अपनी वित्तीय प्रणाली को और मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।"

उन्होंने कहा कि तीन दिवसीय सेमिनार में विचार-विमर्श से भारत को अपने देश में नए गोपनीयता कानून को बेहतर ढंग से लागू करने में मदद मिलेगी। वैश्विक मंच को संबोधित करते हुए मल्होत्रा ने कहा कि यात्रा नियम को प्रौद्योगिकी तटस्थ बनाना "वांछनीय" होगा- जिसके तहत वित्तीय संस्थाओं और वर्चुअल एसेट सर्विस प्रोवाइडर्स (वीएएसपी) को वित्तीय लेनदेन के आरंभकर्ता और लाभार्थी के बारे में विशिष्ट जानकारी साझा करने का आदेश दिया गया है।

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