MPC: आरबीआई के फैसले से बॉन्ड यील्ड में गिरावट की संभावना, रेपो रेट में कटौती से कैसे पड़ेगा असर, जानें
आरबीआई ने ब्याज दरों में कटौती करने के साथ 26,000 करोड़ के सरकारी बॉन्ड की पुनर्खरीद का फैसला किया है। इससे मध्यअवधि के लिए बॉन्ड यील्ड में गिरावट की संभावना बनी रहेगी। आइए जानते हैं कि इस कटौती से बॉन्ड यील्ड पर कैसे पड़ेगा असर।
विस्तार
भारतीय रिजर्व बैंक की रेपो रेट में कटौती के बाद बॉन्ड यील्ड में गिरावट की संभावना है। केंद्रीय बैंक ने ब्याज दरों में 50 आधार अंक की कटौती की। साथ ही, 26,000 करोड़ के सरकारी बॉन्ड (जी-सेक) की पुनर्खरीद का भी एलान कर दिया गया है।
बॉन्ड यील्ड से आप क्या समझते हैं?
सबसे पहले समझते हैं कि बॉन्ड क्या है, कंपनी या सरकार को जब पैसों की जरूरत पड़ी है तो वह लोगों से उधार लेती है। इसके लिए वे अपने बॉन्ड जारी करते हैं, जिन्हें लोग खरीदतें हैं, वे खरीदार को बदले में ब्याज देते हैं। बॉन्ड यील्ड का मतलब है कि बॉन्ड खरीदार की कितनी कमाई हो रही है, यानी रिटर्न।
इसे निकालने का फॉर्मुला
बॉन्ड यील्ड= आपको मिलने वाला ब्याज / आपने जितने में बॉन्ड खरीदा × 100
मान लीजिए आपने 1000 रुपये में बॉन्ड खरीदा, उसपर आपकों सालाना 70 रुपये ब्याज मिल रहा है, तो आपका बॉन्ड यील्ड ये होगा
बॉन्ड यील्ड = 70/1000 × 100 = 7%
ब्याज दरों का असर कैसे बॉन्ड की कीमतों और रिटर्न पर पड़ता है ?
- ब्याज दरें बढ़ती हैं, तो बॉन्ड की कीमतें गिरती हैं, जबकि रिटर्न बढ़ता है।
- ब्याज दरें घटती हैं, तो बॉन्ड की कीमतें बढ़ती हैं, जबकि रिटर्न घटता है।
अर्थशास्त्रियों की क्या है राय?
पिरामल समूह के मुख्य अर्थशास्त्री देबोपम चौधरी ने बताया कि दरों में होने वाली कटौती से बॉन्ड यील्ड में कमी आने की संभावना है। केंद्रीय बैंक की तटस्थ रुख के संकेतों के कारण आगे बड़े उतार-चढ़ाव हो सकते हैं। उन्होंने आगे कहा कि यह प्रभाव थोड़े समय के लिए रहेगा और बाजार में अस्थिरता कम होने पर बॉन्ड यील्ड पर दबाव पड़ेगा। हालांकि निवेशक बॉन्ड की कीमतों में तेजी के बाद मुनाफावसूली की ओर देख सकते हैं, जिससे भविष्य में दबाव उभर सकता है। इसके अलावा अमेरिकी फेडरल रिजर्व भी अपनी टर्मिनल ब्याज दरों को घटाकर 4 प्रतिशत तक कर सकता है। इससे आरबीआई की ब्याज दरों में कटौती का सिलसिला जारी रहने की उम्मीद है।
बैंक ऑफ बड़ौदा के अर्थशास्त्री दीपन्विता मजूमदार ने कहा कि भारत की दिर्घकालिक यील्ड खासतौर पर 10-वर्षीय बेंचमार्क बॉन्ड की कीमत में कटौती हो सकती है। यह काफी स्तर तक सिमित रहेगा क्योंकि भविष्य में होने वाली मौद्रिक नीति की बैठक में बदलाव करने की कम संभावना है।
12 जून को होगी बॉन्ड यील्ड की नीलामी
बॉन्ड की पुर्नखरिद को 12 जून 2025 को एक नीलामी के माध्यम से किया जाएगा। इसमें 2026 की पांच मैचुरिंग यील्ड शामिल होंगी। अर्थशास्त्री को लगता है कि इस कदम से बॉन्ड यील्ड में मध्यम अवधि की गिरावट जारी रहेगी लेकिन बाजार में तरलता बनी रहेगी और उधार लेने की लागत कम होगी।