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IATA: 'GPS हस्तक्षेप की बढ़ती घटनाएं चिंता का विषय', वैश्विक एयरलाइंस समूह ने पायलटों को दी सतर्क रहने की सलाह
बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, जिनेवा/नई दिल्ली।
Published by: निर्मल कांत
Updated Sun, 14 Dec 2025 02:52 PM IST
सार
IATA: आईएटीए ने कहा कि उड़ानों में जीपीएस सिग्नल में बाधा डालने की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं, जिससे पायलटों को ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है। भारत के कई प्रमुख हवाई अड्डों पर भी ऐसी घटनाएं सामने आई हैं।
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विमान (सांकेतिक तस्वीर)
- फोटो : फ्रीपिक
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विस्तार
वैश्विक एयरलाइंस संगठन इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन (आईएटीए) ने कहा कि उड़ानों के दौरान जीपीएस प्रणाली को बाधित करने घटनाएं बढ़ती जा रही हैं, जो चिंता का विषय हैं और पायलटों को पहले से ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है।
आईएटीए दुनिया की करीब 360 एयरलाइंस का प्रतिनिधित्व करता है, जो वैश्विक हवाई यातायात का 80 हिस्सा से ज्यादा हिस्सा संभालती हैं। एअर इंडिया, इंडिगो, एयर इंडिया एक्सप्रेस और स्पाइसजेट भी इस संगठन का हिस्सा हैं। हाल के समय में दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, अमृतसर, हैदराबाद, बंगलूरू और चेन्नई हवाई अड्डे पर भी जीपीएस स्पूफिंग (गलत सिग्नल भेजकर भ्रमित करना) और इंटरफेरेंस (बाधा डालना) की घटनाएं सामने आई हैं।
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इस हफ्ते जिनेवा में हुई बातचीत के दौरान आईएटीए के अधिकारियों ने कहा कि जीपीएस प्रणाली में बाधा डालने की घटनाओं में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। आईएटीए के महानिदेशक विली वॉल्श ने कहा कि गलत सिग्नल भेजकर भ्रमित करने और बाधा पहुंचाने की घटनाओं के कारण पालयटों को ऑपरेशन के दौरान ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है। उन्होंने कहा, यह समस्या अब पूरी दुनिया में मौजूद है।
अंतरराष्ट्रीय विमानन संगठन (आईसीएओ) जीएनएसएस (वैश्विक नेविगेशन उपग्रह प्रणाली) की स्पूफिंग को अंतरराष्ट्रीय रेडियो फ्रीक्वेंसी इंटरफेरेंस का एक रूप मानता है। आईएटीए के वरिष्ठ उपाध्यक्ष (संचालन और सुरक्षा) निक कैरिन ने कहा कि शुरुआत में ऐसी घटनाएं पश्चिम एशिया में देखी गई थीं और रूस-यूक्रेन संघर्ष के बाद यह पूर्वी यूरोप में भी बढ़ीं।
ये भी पढ़ें: भारत टैक्स पारदर्शिता में मजबूत अगुवा: विदेशी टैक्स चोरी पर 29 हजार करोड़ का हुआ खुलासा, OECD ने की सराहना
उन्होंने कहा, अब भारत, एशिया और वेनेजुएला में भी ऐसी घटनाएं हो रही हैं। आईएटीए के आंकड़ों के अनुसार, प्रति 1,000 उड़ानों पर जीपीएस सिग्नल खोने की दर 2022 में 31 थी, जो 2025 में बढ़कर 59 होने का अनुमान है। ये आंकड़े फ्लाइट डेटा एक्सचेंज (एफडीएक्स) से लिए गए हैं, जो वैश्विक विमानन डाटा प्रबंधन कार्यक्रम का हिस्सा है और इसमें कई एयरलाइंस अपना डाटा साझा करती हैं। 2024 में यह दर 56 थी, जिससे लगातार बढ़ोतरी का रुझान दिखता है। निक कैरिन ने कहा कि यह बढ़ोतरी गंभीर और चिंताजनक है और इससे साफ होता है कि जीपीएस प्रणाली में बाधा डालने की घटनाएं केवल उड़ानों की संख्या बढ़ने के कारण नहीं हो रही हैं।
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आईएटीए दुनिया की करीब 360 एयरलाइंस का प्रतिनिधित्व करता है, जो वैश्विक हवाई यातायात का 80 हिस्सा से ज्यादा हिस्सा संभालती हैं। एअर इंडिया, इंडिगो, एयर इंडिया एक्सप्रेस और स्पाइसजेट भी इस संगठन का हिस्सा हैं। हाल के समय में दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, अमृतसर, हैदराबाद, बंगलूरू और चेन्नई हवाई अड्डे पर भी जीपीएस स्पूफिंग (गलत सिग्नल भेजकर भ्रमित करना) और इंटरफेरेंस (बाधा डालना) की घटनाएं सामने आई हैं।
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इस हफ्ते जिनेवा में हुई बातचीत के दौरान आईएटीए के अधिकारियों ने कहा कि जीपीएस प्रणाली में बाधा डालने की घटनाओं में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। आईएटीए के महानिदेशक विली वॉल्श ने कहा कि गलत सिग्नल भेजकर भ्रमित करने और बाधा पहुंचाने की घटनाओं के कारण पालयटों को ऑपरेशन के दौरान ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है। उन्होंने कहा, यह समस्या अब पूरी दुनिया में मौजूद है।
अंतरराष्ट्रीय विमानन संगठन (आईसीएओ) जीएनएसएस (वैश्विक नेविगेशन उपग्रह प्रणाली) की स्पूफिंग को अंतरराष्ट्रीय रेडियो फ्रीक्वेंसी इंटरफेरेंस का एक रूप मानता है। आईएटीए के वरिष्ठ उपाध्यक्ष (संचालन और सुरक्षा) निक कैरिन ने कहा कि शुरुआत में ऐसी घटनाएं पश्चिम एशिया में देखी गई थीं और रूस-यूक्रेन संघर्ष के बाद यह पूर्वी यूरोप में भी बढ़ीं।
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उन्होंने कहा, अब भारत, एशिया और वेनेजुएला में भी ऐसी घटनाएं हो रही हैं। आईएटीए के आंकड़ों के अनुसार, प्रति 1,000 उड़ानों पर जीपीएस सिग्नल खोने की दर 2022 में 31 थी, जो 2025 में बढ़कर 59 होने का अनुमान है। ये आंकड़े फ्लाइट डेटा एक्सचेंज (एफडीएक्स) से लिए गए हैं, जो वैश्विक विमानन डाटा प्रबंधन कार्यक्रम का हिस्सा है और इसमें कई एयरलाइंस अपना डाटा साझा करती हैं। 2024 में यह दर 56 थी, जिससे लगातार बढ़ोतरी का रुझान दिखता है। निक कैरिन ने कहा कि यह बढ़ोतरी गंभीर और चिंताजनक है और इससे साफ होता है कि जीपीएस प्रणाली में बाधा डालने की घटनाएं केवल उड़ानों की संख्या बढ़ने के कारण नहीं हो रही हैं।