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Crisil Ratings: क्रिसिल ने क्यों बढ़ाया भारत के विकास दर का अनुमान? जानें रिपोर्ट में वजह

बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: रिया दुबे Updated Mon, 15 Dec 2025 12:07 PM IST
सार

क्रिसिल ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि हमें उम्मीद है कि वित्त वर्ष 2026 में जीडीपी 7 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी, जबकि वित्त वर्ष 2025 में यह 6.5 प्रतिशत थी। इसमें कहा गया है कि कहा गया है कि घरेलू खपत से विकास को गति मिलने की संभावना है, जिसे कम मुद्रास्फीति, जीएसटी सुधार और आयकर राहत का समर्थन प्राप्त होगा।

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Why did Crisil raise India's growth forecast? Learn the reason in the report
सांकेतिक तस्वीर - फोटो : Adobestock
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विस्तार
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भारत की जीडीपी वित्त वर्ष 2026 में 7 प्रतिशत की दर से बढ़ने के लिए तैयार है। क्रिसिल रेटिंग्स ने विकास पूर्वानुमान को बढ़ाया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि देश ने पहली छमाही में मजबूत वृद्धि दर्ज की है। इसके बाद एजेंसी ने अपने अनुमानों को 50 आधार अंकों तक बढ़ा दिया है। 

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भारत-अमेरिका व्यापार समझौता को लेकर सतर्क 

रिपोर्ट में कहा गया है कि घरेलू खपत से विकास को गति मिलने की संभावना है, जिसे कम मुद्रास्फीति, जीएसटी सुधार और आयकर राहत का समर्थन प्राप्त होगा। हालांकि, इसमें चेतावनी दी गई है कि अमेरिकी टैरिफ भारत के निर्यात और निवेश के लिए जोखिम पैदा करते हैं। साथ ही अमेरिका-भारत व्यापार समझौते पर नजर रखी जा सकती है।

जीडीपी दर दूसरी तिमाही में बढ़कर 8.2 प्रतिशत

वित्तीय वर्ष 2026 की दूसरी तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर पिछले वर्ष की तुलना में 7.8 प्रतिशत से बढ़कर छह तिमाहियों के उच्चतम स्तर 8.2 प्रतिशत पर पहुंच गई। यह वृद्धि मजबूत उपभोग और सितंबर 2025 में जीएसटी सुधार के कारण हुई। हालांकि, नाममात्र जीडीपी वृद्धि दर 8.8 प्रतिशत से घटकर 8.7 प्रतिशत हो गई।सभी कारकों को ध्यान में रखते हुए, आरबीआई ने पूरे वर्ष के लिए अपने जीडीपी वृद्धि अनुमान को बढ़ाकर 7.3 प्रतिशत कर दिया है, जो आधा प्रतिशत अंक की वृद्धि है। 

खाद्य मुद्रास्फीती नियंत्रण में रहने की उम्मीद 

मुद्रास्फीति के मोर्चे पर, क्रिसिल को उम्मीद है कि खुदरा महंगाई वित्त वर्ष 2025 में 4.6 प्रतिशत से घटकर वित्त वर्ष 2026 में 2.5 प्रतिशत हो जाएगी। क्रिसिल ने कहा कि स्वस्थ कृषि विकास, अनुकूल वैश्विक कच्चे तेल की कीमतें और जीएसटी दर में कटौती के लाभों से इस वित्तीय वर्ष में खाद्य मुद्रास्फीति को नियंत्रण में रखने की उम्मीद है।

खुदरा मुद्रास्फीति (सीपीआई) अक्तूबर में घटकर 0.3 प्रतिशत हो गई, जो सितंबर में 1.4 प्रतिशत थी और मौजूदा सीपीआई शृंखला में सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई। हालांकि, नवंबर में यह मामूली रूप से बढ़कर 0.71 प्रतिशत (अस्थायी) हो गई।

क्रिसिल का ब्याज कटौती को लेकर अनुमान 

आरबीआई ने 2025-26 के लिए अपने सीपीआई मुद्रास्फीति पूर्वानुमान को संशोधित करके मात्र 2.0 प्रतिशत कर दिया है। यह पहले के 2.6 प्रतिशत के अनुमान से कम है। क्रिसिल ने कहा कि इस पृष्ठभूमि में, अनुकूल मुद्रास्फीति के बीच आरबीआई की मौद्रिक नीति ब्याज दरों में कटौती के लिए खुली रहेगी, लेकिन अनिश्चित वैश्विक माहौल को देखते हुए आरबीआई संभवतः आंकड़ों पर आधारित दृष्टिकोण पर कायम रहेगा।

आरबीआई ने दिसंबर में की ब्याज दरों में कटौती 

उम्मीदों के मुताबिक, मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने दिसंबर की बैठक में नीतिगत दरों में 25 आधार अंकों की कटौती की। आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने भारत की मौजूदा व्यापक आर्थिक स्थिति को एक दुर्लभ स्वर्णिम काल बताया, जिसमें वर्तमान में उच्च आर्थिक विकास और असाधारण रूप से कम मुद्रास्फीति देखी जा रही है। ये टिप्पणियां तब आईं जब रिजर्व बैंक ने इस महीने की शुरुआत में हुई तीन दिवसीय समीक्षा बैठक के बाद रेपो दर में 25 आधार अंक की कटौती करते हुए इसे 5.25 प्रतिशत करने का अपना नवीनतम मौद्रिक नीतिगत निर्णय घोषित किया।

कच्चे तेल की कीमतें औसतन 60-65 डॉलर प्रति बैरल रहने की उम्मीद 

इसके अलावा, कच्चे तेल के बारे में, जो किसी भी अर्थव्यवस्था का एक और प्रमुख संकेतक है, क्रिसिल ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि कैलेंडर वर्ष 2026 में कच्चे तेल की कीमतें औसतन 60-65 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल रहेंगी, जबकि 2025 में यह अनुमानित 65-70 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल थी। नवंबर में ब्रेंट क्रूड ऑयल की कीमतें औसतन 63.6 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल तक गिर गईं, जो मासिक आधार पर 1.6 प्रतिशत और वार्षिक आधार पर 14.5 प्रतिशत कम है।


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