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FinMin Report: जीएसटी दरों में बदलाव से फायदा हुआ या नुकसान, वित्त मंत्रालय ने अपनी रिपोर्ट में बताया जानें

बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: रिया दुबे Updated Thu, 27 Nov 2025 03:23 PM IST
सार

वित्त मंत्रालय की रिपोर्ट में कहा गया कि जीएसटी दरों को युक्तिसंगत बनाने से उपभोग मांग को बढ़ावा मिला है। इसमें कहा गया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था चालू वित्त वर्ष के दौरान जोखिमों से निपटने व वृद्धि की गति को बनाए रखने के लिए अच्छी स्थिति में है।

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The Finance Ministry explained in its report whether the change in GST rates was beneficial or detrimental
सांकेतिक तस्वीर - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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भारत की मैक्रोइकॉनॉनिक (व्यापाक आर्थिक परिदृश्य) स्थिति मजबूत और सकारात्मक बनी हुई है। वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों के विभाग द्वारा गुरुवार को जारी अक्तूबर माह की मासिक आर्थिक समीक्षा में यह बात कही गई है। रिपोर्ट के अनुसार महंगाई में नरमी, घरेलू मांग में लगातार सुधार और नीतिगत हस्तांतरण में सुधार ने अर्थव्यवस्था को स्थिर और टिकाऊ विकास की राह पर बनाए रखा है। इसमें कहा गया है कि जीएसटी सुधार से अर्थव्यवस्था को लाभ मिलने लगा है। इससे उपभोग संकेतक विस्तार की ओर बढ़ रहे हैं और शहरी व ग्रामीण दोनों ही मांग को समर्थन मिल रहा है। 

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जीएसटी संग्रह में हुई नौ प्रतिशत की वृद्धि

रिपोर्ट में बताया गया है कि ई-वे बिल जेनरेशन सितंबर और अक्तूबर 2025 में साल-दर-साल आधार पर 14.4% की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। वहीं अप्रैल-अक्तूबर 2025 के लिए जीएसटी संग्रह में 9% की वृद्धि से संकेत मिलता है कि मजबूत खपत और बेहतर अनुपालन के चलते सरकार का राजस्व प्रवाह स्थिर बना हुआ है।

खुदरा मंहगाई अपने निम्न स्तर पर पहुंची

खुदरा महंगाई की बात करें तो अक्तूबर 2025 में यह घटकर 0.25% के ऐतिहासिक निम्न स्तर पर आ गई। यह कमी जीएसटी दरों में कटौती, अनुकूल आधार प्रभाव और खाद्य पदार्थों विशेषकर सब्जियों की कीमतों में 11 साल की सबसे भारी गिरावट से समर्थित रही।

कॉरपोरेट सेक्टर का प्रदर्शन रहा मजबूत 

कॉरपोरेट सेक्टर का प्रदर्शन भी मजबूती दिखाता रहा। वित्त वर्ष 2025-26 की दूसरी तिमाही में कंपनियों की नेट सेल्स 6.1% बढ़ीं, जबकि शुद्ध लाभ 12.3% उछला। रिपोर्ट में कहा गया है कि लाभ मार्जिन लगातार सुधर रहे हैं और कुल आय के मुकाबले PAT (प्रॉफिट आफ्टर टैक्स) का हिस्सा 11.1% तक पहुंच गया है, जो हाल के वर्षों में सबसे ऊंचे स्तरों में से एक है। समीक्षा के अनुसार, इन संकेतकों से स्पष्ट है कि कॉरपोरेट बैलेंस शीट्स मजबूत और स्थिर कमाई के सहारे सुदृढ़ बनी हुई हैं।

कृषि क्षेत्र का परिदृश्य रहा बेहतर 

रबी सीजन की शुरुआत अच्छी होने से कृषि क्षेत्र का परिदृश्य बेहतर हुआ है। कुल रबी बुवाई में वार्षिक आधार पर 14.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई। इसमें गेहूं की बुवाई 19.9 प्रतिशत और चने की बुवाई 8.9 प्रतिशत बढ़ी, जो जलाशयों के स्वस्थ स्तर और अनुकूल नमी की स्थिति के कारण संभव हुई। 20 नवंबर तक खरीफ की खरीद 170.9 लाख टन तक पहुंच चुकी है।

सेवा निर्यात को बाहरी क्षेत्र का समर्थन मिला

रिकॉर्ड सेवा निर्यात से बाहरी क्षेत्र को समर्थन मिला। सोने और चांदी के आयात के कारण अक्तूबर में वस्तु निर्यात में कमी आई। वहीं सेवा निर्यात रिकॉर्ड 38.5 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया, जो वस्तु व्यापार घाटे का 48 प्रतिशत था। वित्त वर्ष 2026 के अप्रैल-अक्तूबर के दौरान, कुल निर्यात में 4.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जिसमें सेवाओं में 9.7 प्रतिशत की वृद्धि प्रमुख रही।

विदेशी मुद्रा भंडार 687 अरब डॉलर पर पहुंचा

भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 687 अरब डॉलर पर पहुंच गया, जिससे 11 महीने का आयात कवर मिल गया। अक्तूबर में रुपया 87.8-88.8 प्रति अमेरिकी डॉलर के सीमित दायरे में कारोबार करता रहा, जो बाजार की स्थिरता को दर्शाता है।

शेयर बाजार को मिला घरेलू निवेशकों का समर्थन 

शेयर बाजारा को घरेलू निवशका का समर्थन मिलता रहा और अक्तूबर में इनका प्रदर्शन मजबूत रहा। घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) ने स्थिर भूमिका निभाना जारी रखा और उनकी बाजार हिस्सेदारी बढ़कर 18.3 प्रतिशत हो गई, जो 13 वर्षों में पहली बार एफआईआई से आगे निकल गई।

बैंक ऋण वृद्धिर दर बढ़कर 10.4 प्रतिशत पहुंची

सितंबर तक बैंक ऋण वृद्धि दर बढ़कर 10.4 प्रतिशत सालाना हो गई। एमएसएमई ऋण 19.7 प्रतिशत सालाना वृद्धि के साथ मजबूत बना रहा और सूक्ष्म व लघु उद्यमों के ऋण में 22 प्रतिशत की वृद्धि हुई। सोने की बढ़ती कीमतों के कारण आभूषणों पर ऋण में 114.9 प्रतिशत की वृद्धि हुई।

रोजगार क्षमता में महिलाओं ने पुरुषों को छोड़ा पीछे

वित्त वर्ष 2026 की दूसरी तिमाही में श्रम बल भागीदारी मामूली रूप से बढ़कर 55.1 प्रतिशत हो गई, जबकि बेरोजगारी दर घटकर 5.2 प्रतिशत रह गई। सीएमआईई के अनुसार, मौसमी बदलावों के कारण अक्तूबर में कृषि रोजगार में वृद्धि हुई और ग्रामीण बेरोजगारी में अस्थायी वृद्धि हुई।

नियुक्ति का दृष्टिकोण आशावादी बना हुआ है, 2026 तक नियुक्ति की प्रवृत्ति 11 प्रतिशत रहने का अनुमान है, जिसमें एआई/एमएल भूमिकाओं की मांग उल्लेखनीय है। रोजगार क्षमता बढ़कर 56.4 प्रतिशत हो गई है, जिसमें पहली बार महिलाओं ने पुरुषों को पीछे छोड़ दिया है।

वैश्विक अनिश्चितता को देखते हुए नीतिगत सतर्कता जारी रखने पर जोर

समीक्षा में निष्कर्ष निकाला गया है कि भारत वित्त वर्ष 2026 की दूसरी छमाही में स्थिर और लचीले विकास पथ पर प्रवेश करेगा, जिसे मुद्रास्फीति में कमी, सार्वजनिक पूंजीगत व्यय, स्वस्थ वित्तीय बाजार और ग्रामीण-शहरी मांग में मजबूती का समर्थन प्राप्त होगा। हालांकि, मासिक आर्थिक समीक्षा में चेतावनी दी गई है कि वैश्विक अनिश्चितताओं, व्यापार नीति में बदलाव, भू-राजनीतिक जोखिम और वित्तीय अस्थिरता के कारण नीतिगत सतर्कता जारी रखने की आवश्यकता है। 

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