Share Market: सेंसेक्स-निफ्टी ने तोड़े सारे रिकॉर्ड, 2026 में पलटेगी बाजी या शेयर सूचकांक लगाएंगे लंबी छलांग?
Share Market All Time High: घरेलू शेयर बाजार में लौटती हरियाली के बीच वैश्विक ब्रोकरेज हाउस भारतीय शेयरों को लेकर बेहद आशावादी हो गए हैं। जेपी मॉर्गन, मैक्वेरी, मॉर्गन स्टैनली, गोल्डमैन सैक्स और एसएसबीसी जैसे दिग्गज अब भारत को एक लंबी अवधि के ग्रोथ साइकिल के केंद्र में देख रहे हैं। 2026 में बाजार की चाल कैसी रह सकती है, आइए समझने की कोशिश करें।
विस्तार
भारतीय शेयर बाजार गुरुवार को कुछ ऐसा हुआ जिसने दलाल स्ट्रीट को रोमांचित कर दिया। सेंसेक्स पहली बार 86,000 के पार पहुंच गया, जबकि निफ्टी50 ने भी सितंबर 2024 के पुराने रिकॉर्ड को तोड़ते हुए नई ऊंचाई छू ली। अमेरिकी फेडरल रिजर्व की संभावित दर कटौती और विदेशी निवेशकों की बढ़ती दिलचस्पी ने बाजार को नई ऊंचाइयों पर पहुंचा दिया। लगातार दूसरे दिन बढ़त के साथ, 30 शेयरों वाला बीएसई सेंसेक्स 110.87 अंक या 0.13 प्रतिशत चढ़कर 85,720.38 पर बंद हुआ। कारोबार के दौरान, यह 446.35 अंक या 0.52 प्रतिशत की उछाल के साथ 86,055.86 के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गया। बेंचमार्क का इससे पहले का सर्वकालिक उच्च स्तर 27 सितंबर, 2024 को 85,978.25 था।
50 शेयरों वाला निफ्टी भी नए हाई पर
50 शेयरों वाला एनएसई निफ्टी 10.25 अंक या 0.04 प्रतिशत की मामूली बढ़त के साथ 26,215.55 पर बंद हुआ। दिन के कारोबार के दौरान, बेंचमार्क 105.15 अंक या 0.40 प्रतिशत की बढ़त के साथ 26,310.45 के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया। इससे पहले, व्यापक सूचकांक ने 27 सितंबर, 2024 को 26,277.35 के अपने रिकॉर्ड इंट्रा-डे उच्च स्तर को छुआ था।
ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद से गुलजार बाजार
सेंसेक्स-निफ्टी में बुधवार और गुरुवार को आया उछाल महज एक तकनीकी उछाल नहीं है, बल्कि इसके पीछे एक बड़ा मैक्रोइकोनॉमिक संकेत भी है। वह है-अगले महीने तक अमेरिकी फेडरल रिजर्व और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की ओर से संभावित ब्याज दर कटौती। अगर यह अनुमान सही साबित होता है, तो भारतीय इक्विटी में उस स्तर पर इजाफा हो सकता है, जिससे आने वाले वर्षों में बाजार की दिशा ही बदल सकती है।
ब्रोकरेज हाउस बुलिश मूड में, 2026 को लेकर क्यों बढ़ी उम्मीदें?
वैश्विक ब्रोकरेज हाउस भारतीय शेयरों को लेकर बेहद आशावादी हो गए हैं। जेपी मॉर्गन, मैक्वेरी, मॉर्गन स्टैनली, गोल्डमैन सैक्स और HSBC जैसे दिग्गज अब भारत को एक लंबी अवधि के ग्रोथ साइकिल के केंद्र में देख रहे हैं। उनके मॉडल्स बताते हैं कि 2026 भारत के लिए एक ‘इन्फ्लेक्शन पॉइंट’ हो सकता है, जहां कंजम्पशन रिवाइवल, फिस्कल डिसिप्लिन, कैपेक्स विजिबिलिटी और मजबूत घरेलू मांग मिलकर एक सुपर साइकिल की नींव रखेंगे।
जेपी मॉर्गन ने निफ्टी50 का टारगेट 2026 के अंत तक 30,000 कर दिया है और एमएससीआई इंडिया की अर्निंग्स ग्रोथ 2026 में 13% और 2027 में 14% रहने का अनुमान लगाया है। मैक्वेरी ने कहा कि रिस्क का बैलेंस अब पॉजिटिव है और निफ्टी के 2026 में 30,000 के करीब रहने की संभावना ज्यादा है। मॉर्गन स्टैनली ने सेंसक्स का बियर केस टारगेट 95,000 और बुल केस में 107,000 तक रखा है। गोल्डमैन सैक्स ने निफ्टी का अनुमान 29,000 लगाया है। वहीं, एसएसबीसी ने भारतीय शेयरों को ओवरवेट आंका है।ये संकेत हैं कि विदेशी निवेशकों की नजर भारत पर टिकी हुई है।
बाजार में भरोसा और विदेशी पैसा दोनों बढ़े
कोटक सिक्योरिटीज के श्रीकांत चौहान ने कहा, “निफ्टी का ऑल-टाइम हाई पार करना बाजार के मजबूत भरोसे और स्थिर आर्थिक गति को दिखाता है। यह मील का पत्थर धैर्य, अनुशासन और डेटा से बनता है, शॉर्ट-टर्म शोर से नहीं।” 26 नवंबर को विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) ने ₹4,778 करोड़ और घरेलू संस्थागत निवेशकों (DII) ने ₹6,247 करोड़ की खरीदारी की। यह संकेत है कि बाजार में टैक्टिकल ट्रेड से डायरेक्शनल पोजिशनिंग की ओर शिफ्ट हो रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि गिरती ब्याज दरें, मजबूत रुपया और बढ़ती तरलता निकट भविष्य में इक्विटी को सपोर्ट करेंगी। पीएल कैपिटल के विक्रम कसाट ने सलाह दी कि निवेशक पोर्टफोलियो को गिरती दरों के लिए तैयार करें और सरकारी बॉन्ड और रेट-सेंसिटिव सेक्टर (बैंक, NBFC, रियल एस्टेट) में निवेश बढ़ाएं।

2020 से 2024 के बीच सेंसेक्स -निफ्टी का हाल।
अक्तूबर महीने में बढ़ी मांग से बाजार को होगा फायदा
जियोजित इन्वेस्टमेंट्स के डॉ. वीके विजयकुमार ने कहा कि तकनीकी और फंडामेंटल दोनों ही टेलविंड्स मौजूद हैं। अक्तूबर में दिखी कंजम्पशन बूम Q3 और Q4 FY26 में अर्निंग्स ग्रोथ में बदल सकती है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि फेड रेट कट और रूस-यूक्रेन शांति समझौते की उम्मीद ने वैश्विक इक्विटी बाजारों में सेंटीमेंट सुधारा है। हालांकि, उन्होंने चेतावनी दी कि वैल्यूएशन अभी भी प्रीमियम पर हैं, इसलिए तेज और स्थायी अपट्रेंड की गुंजाइश सीमित है। जेपी मॉर्गन ने कहा कि जबकि वैल्यूएशन ऊंचे हैं, उभरते बाजारों के मुकाबले का गैप अब लॉन्ग-टर्म एवरेज से नीचे है। समन्वित मौद्रिक नरमी इक्विटी को स्ट्रक्चरल री-रेट कर सकती है, क्योंकि यह कैपिटल की लागत घटाएगी और रेट-सेंसिटिव सेक्टर्स में रिस्क प्रीमियम को कम करेगी।
उम्मीदों के साथ सावधानी भी जरूरी
हालांकि चॉइस इक्विटी ब्रोकिंग की अमृता शिंदे के अनुसार मौजूदा वोलैटिलिटी और ग्लोबल अनिश्चितता के बीच ट्रेडर्स को सेलेक्टिव बाय-ऑन-डिप्स, प्रूडेंट लीवरेज मैनेजमेंट और टाइट स्टॉप-लॉस की नीति अपनानी चाहिए। फिलहाल के लिए नए लॉन्ग पोजिशन तभी लें जब निफ्टी 26,300 के ऊपर स्थिर हो। बाजार में बीते कुछ महीनों में उतार-चढ़ाव को देखते हुए बड़ा सवाल है- क्या वर्तमान स्तर भारतीय बाजार का वह टर्निंग प्वाइंट है, जहां से देशी शेयर वैश्विक मंच पर अपनी धमाल मचाने वाले हैं? या निवेशकों को आने वाले कुछ महीनों में संयम बरतने की जरूरत है। अगर ब्रोकरेज हाउस सही साबित होते हैं, तो 2026 भारत के लिए सुपर साइकिल का साल हो सकता है।