Data Protection Bill: डेटा प्रोटेक्शन से जुड़े मसौदा विधेयक को मंजूरी, अब इसे मानसून सत्र में किया जाएगा पेश
Data Protection Bill: डेटा प्रोटेक्शन बिल को कैबिनेट की मंजूरी, मॉनसून सत्र में किया जाएगा पेश
विस्तार
केंद्रीय कैबिनेट ने बुधवार को डेटा प्रोटेक्शन से जुड़े मसौदा विधेयक को मंजूरी दे दी है। विधेयक को संसद के आगामी मानसून सत्र में पेश किया जाएगा। जानकारी के मुताबिक, बिल के दायरे मेंं सभी व्यक्तिगत डेटा को लाया जाएगा। ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों डेटा इस बिल के दायरे में आएंगे। इसके अलावा डेटा प्रोटेक्शन बोर्ड के गठन की सिफारिश की गई है।
250 करोड़ रुपये तक का जुर्माना लगाने का प्रस्ताव
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण (डीपीडीपी) विधेयक 2023 के मसौदे को मंजूरी दे दी है ताकि इसे संसद के आगामी मानसून सत्र में पेश किया जा सके। विधेयक में नियमों के उल्लंघन की प्रत्येक घटना के लिए संस्थाओं पर 250 करोड़ रुपये तक का जुर्माना लगाने का प्रस्ताव है। उन्होंने कहा, 'मंत्रिमंडल ने डीपीडीपी विधेयक के मसौदे को मंजूरी दे दी है। इसे आगामी सत्र में संसद में पेश किया जाएगा।' संसद का मानसून सत्र 20 जुलाई से 11 अगस्त तक चलेगा।
प्रस्तावित कानून के तहत सरकारी इकाइयों को भी नहीं मिलेगी पूर्ण छूट
सूत्र के अनुसार विधेयक में पिछले मसौदे के लगभग सभी प्रावधान शामिल हैं जो इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय की ओर से परामर्श के लिए जारी किए गए थे। सूत्र ने कहा, "प्रस्तावित कानून के तहत सरकारी इकाइयों को पूर्ण छूट नहीं दी गई है।" उन्होंने कहा, "विवादों के मामले में डेटा संरक्षण बोर्ड फैसला करेगा। नागरिकों को सिविल कोर्ट का दरवाजा खटखटाकर मुआवजे का दावा करने का अधिकार होगा। बहुत सी चीजें हैं जो धीरे-धीरे विकसित होंगी। सूत्र ने कहा कि कानून लागू होने के बाद व्यक्तियों को अपने डेटा संग्रह, भंडारण और प्रसंस्करण के बारे में विवरण मांगने का अधिकार होगा।"
सामान-सेवाएं देने जैसे मामलों में भी होगा लागू
ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरह के डाटा को इस कानून के दायरे में रखा गया है। विदेश से भारतीय नागरिकों की प्रोफाइलिंग करने जैसे मामले, सामान या सेवाएं देने जैसे मामलों में भी यह कानून लागू होगा।
शिकायतों के निपटारे के लिए बनेगा बोर्ड
नए कानून के तहत उपभोक्ताओं की शिकायतों के निपटारे के लिए डाटा प्रोटेक्शन बोर्ड ऑफ इंडिया की स्थापना की जाएगी। डाटा इकट्ठा करने वालों को इसकी सुरक्षा की गारंटी भी लेनी होगी।
पहले भी किया जा चुका है प्रयास
केंद्र निजी डाटा के उपयोग पर पहले भी विधेयक का मसौदा पेश कर चुका है। हालांकि, तब भारी विरोध के चलते इसे वापस लेना पड़ा था। इसके बाद जनता से सुझाव और कई मंत्रालयों से व्यापक विचार-विमर्श कर इसका नया मसौदा तैयार किया गया है।
इसलिए पड़ी जरूरत
बीते कुछ समय से कई मौकों पर बैंक, बीमा, क्रेडिट कार्ड से जुड़ा डाटा लीक होने के कारण ऑनलाइन सुरक्षा को लेकर लोगों का भरोसा डिगा था। देश में इसकी सुरक्षा के लिए कानून के अभाव में कंपनियां व्यक्तिगत डाटा का मनमाना उपयोग करती थीं।
अहम प्रावधानों में ये भी-
- नए कानून के तहत बच्चों के डाटा तक पहुंच के लिए माता-पिता की अनुमति अनिवार्य होगी।
- राष्ट्रीय सुरक्षा-कानून व्यवस्था के आधार पर सरकारी एजेंसियों को मिलेगी डाटा इस्तेमाल की विशेष इजाजत।
- सोशल मीडिया पर अकाउंट डिलीट करने के बाद कंपनी के लिए डाटा डिलीट करना अनिवार्य।
- कंपनियां खुद के व्यावसायिक उद्देश्य के इतर नहीं कर पाएंगी डाटा का इस्तेमाल। यूजर को मिलेगा अपने निजी डाटा में सुधार करने या उसे मिटाने का अधिकार।
- बच्चों को नुकसान पहुंचाने वाले या लक्षित विज्ञापनों के लिए डाटा एकत्र करना होगा गैरकानूनी।