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Bank Report: कमजोर ऋण वृद्धि और मार्जिन से बैंकिंग सेक्टर की आय पर पड़ा असर, PAT में दो प्रतिशत की गिरावट संभव

बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: रिया दुबे Updated Tue, 01 Jul 2025 03:00 PM IST
सार

आईआईएफएल कैपिटल की रिपोर्ट के अनुसार कमजोर ऋण वृद्धि, कम मार्जिन, मौसमी रूप से नरम शुल्क आय और उच्च स्लिपेज बैंकिंग क्षेत्र के प्रदर्शन पर असर डाल सकते हैं। बैंकों के कर पश्चात लाभ (पीएटी) में 2 प्रतिशत की वार्षिक गिरावट की संभावना है। 

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Weak loan growth and margins impact banking sector's income, PAT may fall by two percent
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विस्तार
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चालू वित्त वर्ष 2026 की पहली तिमाही में बैंकों की आय में गिरावट देखने को मिल सकती है। आईआईएफएल कैपिटल की रिपोर्ट में यह दावा किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार कमजोर कमजोर ऋण वृद्धि, कम मार्जिन, मौसमी रूप से नरम शुल्क आय और उच्च स्लिपेज बैंकिंग क्षेत्र के प्रदर्शन पर असर डाल सकते हैं। इसमें बताया गया कि पहली तिमाही में बैंकों का कर पश्चात लाभ (पीएटी) साल-दर-साल आधार पर 2 फीसदी और तिमाही आधार पर 4 फीसदी तक घट सकता है।

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प्रणाली ऋण वृद्धि दर में आई गिरावट 
रिपोर्ट में कहा गया कि तिमाही के दौरान कारोबारी गति धीमी रही। वहीं, प्रणाली-व्यापी ऋण और जमा वृद्धि कुछ हद तक स्थिर रही। प्रणाली ऋण वृद्धि दर पिछले वर्ष की 11 प्रतिशत से घटकर 9.6 प्रतिशत रह गई। 3 जून तक की तिथि पर, ऋण वृद्धि मात्र 0.4 प्रतिशत रही, जबकि आमतौर पर पहली तिमाही में यह 1.5 से 2.0 प्रतिशत के बीच होती है।

एमएसएमई ऋण में हुई वृद्धि 
सभी क्षेत्रों में ऋण वृद्धि धीमी रही, सिवाय एमएसएमई ऋण के, जिसमें वृद्धि दर मध्यम स्तर पर रही। गैर-सरकारी वित्तीय संस्थान (एनबीएफसी) ऋण स्थिर रहा, बबड़ी कंपनियों को सिर्फ 1 प्रतिशत का लाभ हुआ, वाहन ऋण में 6 प्रतिशत, और आवास व असुरक्षित ऋणों में 9 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई।

शुद्ध ब्याज मार्जिन में गिरावट की संभावना 
रिपोर्ट के अनुसार पहली तिमाही में बैंकों के शुद्ध ब्याज मार्जिन में 8 से 25 आधार अंक की गिरावट हो सकती है। ऋण दरों में 10 से 20 आधार अंक की गिरावट ने जमा दरों में कमी से होने वाले लाभ को भी संतुलित कर दिया।

जमा दरों में आई कमी 
दिसंबर 2024 से बचत खाता दरों में 20 से 350 आधार अंकों की कटौती की गई है। वहीं खुदरा सावधि जमा दरों में भी 20 से 100 आधार अंक की गिरावट आई है। थोक जमा दरों में भी 1 प्रतिशत तक की नरमी देखी गई।

तरलता और शुल्क आय में असर
सिस्टम तरलता औसतन 2 लाख करोड़ रुपये के अधिशेष में रही, जो पिछली तिमाही में ₹1.7 लाख करोड़ के घाटे में थी। लेकिन कम ऋण मांग और घटती जमा दरों के चलते मई तक औसत मार्जिन में गिरावट आई। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के औसत बकाया प्रसार में 9 आधार अंकों की गिरावट आई है, जबकि निजी बैंकों के लिए यह गिरावट 26 आधार अंकों की है। 

PPOP पर दबाव
मौसमी रूप से कमजोर शुल्क आय और अस्थिर परिचालन खर्चों के कारण बैंकों की कोर प्री-प्रोविजन ऑपरेटिंग प्रॉफिट (PPOP) वृद्धि लगभग स्थिर रह सकती है। इसके अलावा, मौसमी वृद्धि और पुराने प्रावधानों के कारण ऋण लागत में वृद्धि होने की संभावना है।

भविष्य में सुधार के संकेत 
रिपोर्ट का अनुमान है कि दूसरी तिमाही तक मार्जिन में कुल 22 से 35 आधार अंकों की और गिरावट आ सकती है। हालांकि तीसरी तिमाही से मार्जिन स्थिर होने और चौथी तिमाही से फिर से बढ़ने की संभावना जताई गई है।
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