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Estate Planning: परिवार में कभी नहीं होगा झगड़ा, अगर आप करेंगे सही ढंग से प्लानिंग

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Updated Wed, 28 May 2025 05:15 PM IST
सार

स्टेट प्लानिंग वह प्रक्रिया है, जिसमें आप कानूनी रूप से यह तय करते हैं कि आपके निधन के बाद आपकी संपत्ति का बंटवारा कैसे होगा। यह केवल अमीरों के लिए नहीं, बल्कि हर उस व्यक्ति के लिए जरूरी है, जिसके पास संपत्ति है। आइए इस बारे में विस्तार से जानते हैं। 

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Why Estate Planning Matters: Avoid Asset Disputes with Wills and Trusts
रीयल एस्टेड सेक्टर - फोटो : amarujala.com
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विस्तार
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आपने जीवन भर मेहनत से संपत्ति अर्जित की, लेकिन क्या आपने यह सुनिश्चित किया कि आपके बाद यह संपत्ति सही हाथों में जाए? स्टेट प्लानिंग की कमी से आपकी संपत्ति परिवार में विवाद का कारण बन सकती है। आगरा के व्यापारी राकेश वर्मा के मामले में, वसीयत न होने के कारण उनके बच्चों के बीच संपत्ति को लेकर कोर्ट तक विवाद पहुंचा, जिससे समय और धन दोनों की बर्बादी हुई। NEXGEN Estate Planning Solutions के फाउंडर डायरेक्टर डॉ. दीपक जैन के अनुसार, स्टेट प्लानिंग हर परिवार की जरूरत है, चाहे संपत्ति कम हो या ज्यादा इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। स्टेट प्लानिंग से न केवल संपत्ति का बंटवारा सुनिश्चित होता है, बल्कि पारिवारिक शांति और वित्तीय अनुशासन भी बना रहता है। 

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स्टेट प्लानिंग क्या है और क्यों जरूरी है?

डॉ. दीपक जैन बताते हैं कि स्टेट प्लानिंग वह प्रक्रिया है, जिसमें आप कानूनी रूप से यह तय करते हैं कि आपके निधन के बाद आपकी संपत्ति का बंटवारा कैसे होगा। यह केवल अमीरों के लिए नहीं, बल्कि हर उस व्यक्ति के लिए जरूरी है, जिसके पास संपत्ति है। लोग अक्सर स्टेट प्लानिंग से इसलिए बचते हैं, क्योंकि वे मानते हैं कि उनकी सारी संपत्ति पति/पत्नी को मिल जाएगी, नॉमिनी या जॉइंट अकाउंट धारक को सब कुछ मिलेगा, ऐसा करना अपशकुन होता है, या उनके बच्चे आपस में नहीं लड़ेंगे। ये सभी धारणाएं गलत हैं। नॉमिनी केवल संपत्ति का केयरटेकर होता है, न कि मालिक, और जॉइंट अकाउंट में भी संपत्ति सभी कानूनी वारिसों में बंटती है। स्टेट प्लानिंग न करने से संपत्ति कानूनी वारिसों में बराबर बंटती है, जो आपकी इच्छा के खिलाफ हो सकता है।

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लोग स्टेट प्लानिंग से क्यों बचते हैं?

डॉ. जैन के अनुसार, लोग स्टेट प्लानिंग से बचने के पांच मुख्य कारण बताते हैं: 1) यह मानना कि सारी संपत्ति पति/पत्नी को मिल जाएगी, 2) नॉमिनेशन या जॉइंट अकाउंट ही काफी है, 3) वसीयत बनाना अपशकुन है, 4) बच्चे आपस में नहीं लड़ेंगे, और 5) यह समय और धन की बर्बादी है। ये सभी गलतफहमियां हैं। उदाहरण के लिए, एक हिंदू पुरुष की संपत्ति उसकी मां, पत्नी, और बच्चों में बराबर बंटती है, भले ही नॉमिनी केवल पत्नी हो। स्टेट प्लानिंग एक साधारण प्रक्रिया है, जिसमें कम समय और लागत लगती है, और यह परिवार को कोर्ट-कचहरी के चक्कर से बचाती है।

स्टेट प्लानिंग में आम गलतियां

डॉ. जैन बताते हैं कि स्टेट प्लानिंग केवल वसीयत बनाने तक सीमित नहीं है। इसके लिए अन्य दस्तावेज जैसे लेटर ऑफ गार्डियनशिप (नाबालिग बच्चों के लिए), स्प्रिंगिंग ड्यूरेबल फाइनेंशियल पावर ऑफ अटॉर्नी (अक्षमता की स्थिति के लिए), और लिविंग विल (मृत्यु शय्या की स्थिति के लिए) भी जरूरी हैं। एक एसेट इन्फॉर्मेशन शीट बनाना भी महत्वपूर्ण है, जिसमें आपकी सारी संपत्ति और दस्तावेजों की जानकारी हो। लोग अक्सर भौतिक संपत्ति (जैसे जमीन, ज्वेलरी) को प्रतिशत में बांटने की गलती करते हैं, बिना यह स्पष्ट किए कि कौन सा हिस्सा किसे मिलेगा, जिससे विवाद हो सकता है। साथ ही, वसीयत में एग्जीक्यूटर नियुक्त न करना और इसे एक बार बनाकर अपडेट न करना भी बड़ी भूल है।

ट्रस्ट का महत्व और डिजिटल संपत्ति की प्लानिंग

वसीयत के विपरीत, प्राइवेट फैमिली ट्रस्ट कानूनी विवादों से बचाता है, क्योंकि यह जीते जी संपत्ति ट्रांसफर करता है और चैलेंज नहीं हो सकता। ट्रस्ट के जरिए आप अपनी मृत्यु के बाद भी संपत्ति के उपयोग को नियंत्रित कर सकते हैं, जैसे बच्चों को मासिक खर्च देना या उनकी मेहनत के आधार पर अतिरिक्त राशि देना (मैचिंग ट्रस्ट)। डिजिटल संपत्ति जैसे क्रिप्टोकरेंसी, सोशल मीडिया अकाउंट्स, और ईमेल्स को भी वसीयत में शामिल करना चाहिए, जिसमें प्रत्येक प्लेटफॉर्म के नियमों को समझकर उनकी जानकारी देनी होगी। स्टेट प्लानिंग को नियमित रूप से अपडेट करना भी जरूरी है, क्योंकि परिवार, संपत्ति, और कानून बदलते रहते हैं।

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