ज्यादा ईंधन बिल दिखाकर जेट एयरवेज ने की हेराफेरी, SFIO ने भी शुरू की जांच
बंद हो चुकी जेट एयरवेज के प्रबंधकों द्वारा किए वित्तीय घपलों की एक-एक कड़ी अब सामने निकल के आ रही है। कंपनी के प्रबंधकों ने घाटे के बावजूद अनुचित तरीकों का पालन करके फंड को दूसरी कंपनी में डायवर्ट किया। इसके अलावा ईंधन और जेपी माइल्स के लिए फ्रॉड तरीकों से बिलों को जेनरेट किया गया। अब एसबीआई के अलावा एसएफआईओ ने भी अपनी जांच को शुरू कर दिया है।
एसबीआई ने शुरू करवाया फोरेंसिक ऑडिट
भारतीय स्टेट बैंक ने कंपनी के खिलाफ फोरेंसिक ऑडिट को शुरू कर दिया है। जांच में पता चला है कि कंपनी ने बिलों को बढ़ाचढ़ा कर बनवाया। इसमें ईंधन के बिल भी शामिल हैं, जिनका भुगतान करने से पहले किसी भी स्तर उनको वैरिफाई नहीं किया गया।
जेट लाइट को दिया गया 3353 करोड़ का लोन
फोरेंसिक ऑडिट कर रही ईवाई ने अपनी जांच में पाया कि जेट एयरवेज ने घाटे में रहने के बावजूद चार सालों के लिए अपनी सहयोगी कंपनी जेट लाइट को 3353 करोड़ रुपये का लोन देने का प्रोविजन कर दिया। हालांकि इसके लिए कंपनी ने बोर्ड के साथ ही शेयरहोल्डर से भी इसके लिए किसी तरह की कोई मंजूरी नहीं ली। 2015 से ही जेट को घाटा होने लगा था और उसके मुनाफे में भी कमी आ रही थी।
SFIO भी कर रही है जांच
कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय ने भी जेट एयरवेज के खिलाफ एसएफआईओ से जांच शुरू करवा दी है। जेट एयरवेज पर कुल 25 हजार करोड़ रुपये की देनदारी है, जिसमें से 8500 करोड़ रुपये केवल बैंकों पर बकाया है। कंपनी के प्रबंधकों ने अपनी मर्जी से इसे चलाया, जिसके कारण ही इतनी वित्तीय घपलेबाजी देखने को मिली है।
कहां गया पैसा यह जानना है जरूरी
एसबीआई सहित सरकार भी यह जानना चाहती है कि आखिर पैसे का इस्तेमाल कहां पर किया गया। इसलिए जांच के बाद ही बैंक और सरकार इस बात का फैसला लेंगे कि क्या नरेश गोयल और उनकी पत्नी अनिता वित्तीय अपराध करने का मुकदमा दर्ज किया जा सकता है या फिर नहीं। गौरतलब है कि नरेश गोयल और उनकी पत्नी के खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी है, जिसके बाद वो देश छोड़कर नहीं जा सकते हैं।