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Income Tax: क्या आपको भी भारी-भरकम एडवांस टैक्स जमा करवाने का मैसेज मिला है? अब आपको क्या करना चाहिए, जानें

बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: कुमार विवेक Updated Wed, 13 Mar 2024 02:12 PM IST
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सार

Income Tax: आयकर विभाग ने कहा है कि रिपोर्टिंग इकाई को संशोधित जानकारी देने के लिए के लिए कहा गया है। इसके बाद, एआईएस पर डेटा अपडेट किया जाएगा। ऐसे में सीबीडीटी की ओर से करदाताओं को सलाह दी जाती है कि वे संशोधित बयान के आधार पर एआईएस पर आगे के अपडेट की प्रतीक्षा करें।

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आयकर विभाग - फोटो : istock
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यदि आपको भी आयकर विभाग से अधिक एडवांस टैक्स जमा कराने का मैसेस मिला है तो यह एक गड़बड़ी के कारण हुआ है। विभाग ने इस मामले में करदाताओं को अगले अपडेट तक रुकने के लिए कहा है। एडवांस टैक्स जमा करने की आखिरी तारीख शुक्रवार यानी 15 मार्च हैं, ऐसे में विभाग ने कहा है कि इस गड़बड़ी को जल्द ही ठीक कर लिया जाएगा। विभाग के अनुसार वार्षिक सूचना विवरण (एआईएस) में कुछ वित्तीय लेनदेन की गलत रिपोर्टिंग के कारण यह एक त्रुटि आई है।

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क्या है पूरा मामला?
आयकर विभाग की ओर से करदाताओं को चालू वित्त वर्ष के दौरान किए गए वित्तीय लेनदेन के अनुसार टैक्स के भुगतान के लिए एक अभियान की शुरुआत की गई। हालांकि विभाग की ओर से इसके लिए जो एआईएस जारी किया उसमें गड़बड़ी की खबरें आनी लगी और स्क्रीनशॉट सोशल मीडिया पर वायरल होने लगे। इसके एक दिन बाद विभाग ने करदाताओं को सलाह दी है कि वे आंकड़ों के अपडेट होने का इंतजार करें। अग्रिम कर के लिए शुरू ई-अभियान के दौरान करदाताओं से मिली प्रतिक्रिया के आधार पर विभाग ने प्रतिभूति बाजार (एसएफटी-17) के आंकड़ों में कुछ गड़बड़ियों की पहचान की है।
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एआईएस क्या है?
पिछले कुछ वर्षों में, आयकर अधिकारी करदाताओं को स्वैच्छिक अनुपालन को बढ़ावा देने के लिए अपने एआईएस (Annual Information Statement) को देखने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। एआईएस फॉर्म 26एएस का विस्तार है, जिसमें वित्तीय वर्ष के दौरान संपत्ति खरीद, उच्च मूल्य के निवेश और टीडीएस और टीसीएस आदि लेनदेन का विवरण होता है। एआईएस में करदाता के बचत बैंक खाते और जमा, लाभांश, प्राप्त किराया, प्रतिभूतियों और अचल संपत्तियों की खरीद और बिक्री से जुड़े लेनदेन और विदेशों से लेनदेन के आंकड़े शामिल रहते हैं।

एआईएस के आंकड़ों में क्या गड़बड़ी सामने आई?
आयकर विभाग की ओर से जारी एआईएस के आंकड़ों में कुछ अतिरिक्त शून्य दिख रहे थे। चार्टर्ड अकाउंटेंट चिराग चौहान ने सोशल मीडिया पर एक स्क्रीनशॉट शेयर करते हुए लिखा था कि शेयरों की बिक्री से जुड़े कई मामलों के आंकड़ों में दो अतिरक्त शून्य दिख रहे थे। आईटीसी के 450 रुपये के शेयरों का बिक्री भाव बिक्री 45,000 लिखा गया था। वहीं 1.2 करोड़ रुपये की संपत्ति को एआईएस में 12 करोड़ रुपये के रूप में दिखाया गया था। इस तरह इन त्रुटिपूर्ण आंकड़ों के कारण कई करदाताओं को अनावश्वक रूप से भारी-भरकम कर देनदारी बनती है। एक अन्य अधिकारी ने कहा कि डेटा की जांच की गई थी, और परीक्षण चलाने के दौरान गड़बड़ियां दिखाई नहीं दीं। हालांकि  विभाग ने कहा है कि समस्या जल्द से जल्द ठीक हो जाएगी, इसके लिए "युद्ध स्तर" किए जा रहे हैं। अग्रिम कर की चौथी और अंतिम किस्त शुक्रवार तक भुगतान की जानी है और अधिकारियों को उम्मीद है कि यह मुद्दा जल्द ही सुलझ जाएगा।

अब करदाताओं को क्या करना चाहिए?
आयकर विभाग ने कहा है कि रिपोर्टिंग इकाई को संशोधित जानकारी देने के लिए के लिए कहा गया है। इसके बाद, एआईएस पर डेटा अपडेट किया जाएगा। ऐसे में सीबीडीटी की ओर से करदाताओं को सलाह दी जाती है कि वे संशोधित बयान के आधार पर एआईएस पर आगे के अपडेट की प्रतीक्षा करें। चूंकि अग्रिम कर का भुगतान करने की नियत तारीख 15 मार्च, केवल चार दिन दूर है, इसलिए करदाताओं को वित्तीय वर्ष के दौरान अपने वास्तविक लेनदेन के आधार पर अग्रिम कर देनदारी की सावधानीपूर्वक गणना करने के लिए कहा गया है, न कि एआईएस के आधार पर। 

आयकर एक अधिकारी ने मीडिया को बताया कि सेंट्रल डिपॉजिटरी सर्विसेज (इंडिया) या सीडीएसएल और टैक्स डिपार्टमेंट के बीच डेटा शेयरिंग में गड़बडी के कारण यह समस्या पैदा हुई, जिसमें कई यूजर्स ने बताया कि उनके लेनदेन में एक या दो शून्य अतिरिक्त हो गए थे। ऐसे में उनके लिए एडवांस टैक्स की गणना की गई थी वह काफी ज्यादा थी। सीए शुभम सिंघल के अनुसार, "करदाताओं को मांगे गए कर का भुगतान करने में जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए। उन्हें मौजूदा तिमाही के अग्रिम कर की गणना करते समय एआईएस को नजरअंदाज करना चाहिए और इसके बजाय अन्य स्त्रोतों से मिली जानकारी के आधार पर कर देयता की गणना करनी चाहिए।" उन्होंने कहा कि चूंकि आईटी विभाग ने करदाताओं को एआईएस पर अपडेट के लिए इंतजार करने के लिए कहा है, इसलिए त्रुटि को जल्द ही ठीक किए जाने की उम्मीद है। उन्होंने कहा, "करदाताओं को बकाया कर पर ब्याज के भुगतान को लेकर चिंता नहीं करनी चाहिए।"

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