प्रॉपर्टी: सुपरटेक मामले में नोएडा प्राधिकरण को फटकार, आम्रपाली की छह परियोजनाओं में 650 करोड़ का निवेश
सुपरटेक के नोएडा एक्सप्रेस स्थित एमराल्ड कोर्ट प्रोजेक्ट मामले में अथॉरिटी के अपने अधिकारियों के बचाव करने पर शीर्ष अदालत ने टिप्पणी की है। वहीं आम्रपाली की अधूरी परियोजनाओं को पूरा करने को लेकर बैंकों द्वारा सिक्योरिटी और बैंक गारंटी को लेकर चिंता पर सुप्रीम कोर्ट ने एतराज जताया है।


विस्तार
भारत के रियल एस्टेट सेक्टर को संकट से उबारने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। कोरोना के चलते पिछले 18 महीनों में देश के शीर्ष शहरों में हाउसिंग प्रोजेक्ट पर बुरा असर दिखा है। करीब 1.40 लाख करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट रुक गए हैं। वहीं 3.64 लाख करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट में देरी हो गई है। एनारॉक कंसल्टेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, कैश की किल्लत की वजह से बिल्डर अपने प्रोजेक्ट को पूरा नहीं कर पा रहे हैं। सबसे ज्यादा प्रोजेक्ट राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) में रुके हैं। यहां 86 हजार 463 करोड़ रुपये के एक लाख 13 हजार 860 घर फंसे हैं। साथ ही 214740 घरों (कुल वैल्यू 163077 करोड़ रुपये) में देरी आई है। मुंबई में 107900 घरों (कुल वैल्यू 163077 करोड़ रुपये) में देरी आई है, बंगलूरू में 37910 घरों (कुल वैल्यू 30019 करोड़ रुपये) में देरी आई, पुणे में 40140 घरों (कुल वैल्यू 23536 करोड़ रुपये) में देरी आई, कोलकाता में 28960 घरों (कुल वैल्यू 17869 करोड़ रुपये) में देरी आई, चेन्नई में 11430 घरों (कुल वैल्यू 11530 करोड़ रुपये) में देरी आई और हैदराबाद में 13810 घरों (कुल वैल्यू 9083 करोड़ रुपये) में देरी आई।
इस बीच आम्रपाली, और सुपरटेक जैसे बड़े बिल्डरों के खिलाफ अदालत में चल रहे कानूनी मामलों से ग्राहकों का भरोसा कम हुआ है।
आम्रपाली
वहीं बात अगर आम्रपाली की करें, तो हाल ही में आम्रपाली की अधूरी परियोजनाओं को पूरा करने को लेकर बैंकों द्वारा सिक्योरिटी और बैंक गारंटी को लेकर चिंता पर सुप्रीम कोर्ट ने एतराज जताया था। शीर्ष अदालत ने कहा था कि अब आम्रपाली की परियोजनाओं की निगरानी हम कर रहे हैं अत: बैंकों को चिंता करने की जरूरत नहीं है। दरअसल बैंकों के मन में दुविधा इस बात को लेकर थी कि इन परियोजना के लिए की जाने वाली फंडिंग लिए क्या गारंटी दी जाएगी। किफायती और मध्यम आय आवास के लिए SWAMIH Fund, केंद्र सरकार द्वारा प्रायोजित और एसबीआई कैपिटल मार्केट्स की एक शाखा द्वारा प्रबंधित, नोएडा और ग्रेटर नोएडा में तत्कालीन आम्रपाली समूह की छह परियोजनाओं में 650 करोड़ रुपये का निवेश करेगा। फंड प्राप्त करने वाली परियोजनाओं में सिलिकॉन सिटी -1, सिलिकॉन सिटी -2, क्रिस्टल होम्स, सेंचुरियन पार्क- लो राइज, ओ 2 वैली और ट्रॉपिकल गार्डन शामिल हैं, जहां 6,947 इकाइयां ठप हैं, जिनमें से 6,132 इकाइयां बिक चुकी हैं, लेकिन खरीदार डिलीवरी की प्रतीक्षा कर रहे हैं। इन परियोजनाओं को लगभग 10 साल पहले 2011 और 2013 के बीच लॉन्च किया गया था।
SBICAP वेंचर्स के एमडी और मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) Suresh Kozhikote ने कहा कि, 'इस फंडिंग से न केवल 7,000 अटके हुए घरों को पूरा किया जाएगा, बल्कि रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे और विभिन्न स्तरों पर निवेश की गई पूंजी को अनलॉक किया जाएगा।'
सुपरटेक
सुप्रीम कोर्ट ने नोएडा प्राधिकरण के खिलाफ कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि प्राधिकरण के चेहरे ही नहीं, उसके मुंह, नाक, आंख सभी से भ्रष्टाचार टपकता है। सुपरटेक के नोएडा एक्सप्रेस स्थित एमराल्ड कोर्ट प्रोजेक्ट मामले में अथॉरिटी के अपने अधिकारियों के बचाव करने और फ्लैट खरीदारों की खामियां बताने पर शीर्ष अदालत ने यह टिप्पणी करते हुए अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। पीठ ने कहा, यह दुखद है कि आप डेवलपर्स की ओर से बोल रहे हैं। आप निजी अथॉरिटी नहीं, पब्लिक अथॉरिटी हैं। वहीं, सुपरटेक के वकील विकास सिंह ने कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जिन दो टावरों को गिराने का आदेश दिया है, उनमें नियमों की अनदेखी नहीं की गई है। उन्होंने खरीदारों की नीयत पर सवाल उठाते हुए कहा कि जब 2009 में उन टावरों का निर्माण शुरू हो गया था, तो उन्होंने तीन वर्ष बाद हाईकोर्ट का दरवाजा क्यों खटखटाया?
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दो टावर गिराने को कहा था
2014 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस हाउसिंग सोसायटी में एफएआर के उल्लंघन पर दो टावरों को गिराने का आदेश दिया था। साथ ही इससे जुड़े अथॉरिटी के अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने का भी निर्देश दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने हालांकि सुपरटेक की याचिका पर हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी थी।