मिलिट्री लिटरेचर फेस्ट: पूर्व वायुसेना प्रमुख बीएस धनोआ बोले- एयरफोर्स को और बड़े हथियारों से करना होगा लैस
वायुसेना के पूर्व प्रमुख बीएस धनोआ ने कहा कि दुश्मन देशों के साथ बने मौजूदा हालात के मद्देनजर वायुसेना की अहम भूमिका रहेगी। कई मोर्चों पर भारतीय वायुसेना ने दुश्मन को अपनी ताकत का अहसास भी करवाया है। मगर चीन जैसे देश के साथ लोहा लेने के लिए वायुसेना को और ताकतवर बनाना होगा और उसे बड़े हथियारों से लैस करना होगा।
चंडीगढ़ में राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित मिलिट्री लिटरेचर फेस्ट-2020 (वर्चुअल) में बीएस धनोआ ने वायुसेना में बड़े हथियारों की भूमिका पर चर्चा की। उन्होंने इस दौरान चीन की सरहद के साथ लगते भारत के इलाके की झलक पेश की। बीएस धनोआ के साथ अन्य रक्षा विशेषज्ञों ने चीन की वायुसेना क्षमता, तख्तापलट की रणनीति, फैलाव वाली जगह से कार्य करने की योग्यता, स्क्वॉड्रन की ताकत, लड़ाई का तजुर्बा, एयरबेस का सामर्थ्य और हिमालय की महत्ता पर भी विचार विमर्श किया गया। इस चर्चा में एयर वाइस मार्शल अर्जुन सुब्रमण्यम, ग्रुप कैप्टन रवींद्र छतवाल और ताइवान के रक्षा विशेषज्ञ डॉक्टर मिंग-शिह शेन शामिल हुए।
इस दौरान एयर वाइस मार्शल अर्जुन सुब्रमण्यम ने अपने निजी तजुर्बों के आधार पर भारत और चीन के टकराव की संभावना के बारे में अपने विचार रखे। उन्होंने जंग के दौरान वायु शक्ति की महत्ता, विघटनकारी रणनीतियों और जमीनी शक्ति की भूमिका के बारे में बताया। ग्रुप कैप्टन रवींद्र छतवाल ने भारत के विरुद्ध युद्ध में चीन की सीमा, वायु क्षेत्रों की सहायता, ड्रोन के उत्पादन क्षेत्र, प्रीडेटर ड्रोन और यूएवी के क्षेत्र में नवीनतम तकनीकों की जानकारी दी।
महामारी में बड़े जहाजों के निर्माण में हो रही देरी
इस दौरान डॉक्टर शेन ने जमीनी हमला कर रहे बॉम्बरों और वायु हमले की शुरुआत करने में तोपखाने की महत्ता पर चर्चा की। उन्होंने चीन के वायु सामर्थ्य, सरहदी क्षेत्रों में नये वायु अड्डे स्थापित करने और कोविड -19 के कारण बड़े जहाजों के निर्माण में देरी बारे भी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इस महामारी की वजह से बड़े जंगी जहाजों का निर्माण कार्यों में काफी देरी हो रही है। विशेषज्ञों ने चीन की वायुसेना की रक्षात्मक रणनीतियों, ड्रोन की भूमिका, साइबर और इलेक्ट्रॉनिक इंटेलिजेंस पर भी चर्चा की।
राफेल की ताकत, बहादुरी की कहानियों ने भरा जोश
मिलिट्री लिटरेचर फेस्ट के दौरान राफेल की ताकत और बहादुरी की कहानियों ने युवाओं में जोश भर दिया। इस दौरान ‘क्लैरियन कॉल वीडियोज -जोश और जज्बा एपिसोड्स’ सेशन के दौरान कोहिमा की जंग, ऑपरेशन मेघदूत, गोरखा विरासत और राफेल एयरक्राफ्ट आदि के कई पहलुओं को लघु फिल्मों के जरिए दिखाया गया।
वर्चुअल हुए इस सत्र के दौरान क्लैरियन कॉल के बारे में जानकारी देते हुए मेजर बिक्रमजीत और अराधिका ने बताया कि इस सत्र का मुख्य मकसद आज की नौजवान पीढ़ी को भारतीय सैनिकों द्वारा विभिन्न युद्धों में दिखाई वीरता और देश के लिए किए गए बलिदानों से अवगत करवाना और उनको सेना में आने के लिए प्रेरित करना है।
‘द राफेल एयरक्राफ्ट’ से संबंधित लघु फिल्म में यह पक्ष उभारा गया कि भारतीय वायु सेना की ताकत बढ़ाने के मकसद से राफेल एयरक्राफ्ट भारतीय वायु सेना के बेड़े में शामिल किए जा रहे हैं। इन जहाजों की लड़ने की क्षमता के बारे में बताया गया कि 4.5 जनरेशन से संबंधित राफेल एयरक्राफ्ट 4700 किलो तक भार ले जाने की क्षमता रखते हैं और इनकी रेंज 300 किलोमीटर तक की है। फिल्म में फ्रांस से अंबाला एयरबेस तक पहुंचे राफेल का वीडियो भी प्रदर्शित किया गया।