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पीयू सीनेट का कार्यकाल महज 11 दिन बचा, हाईकोर्ट के जरिए खुल सकता है अब चुनाव का रास्ता
सुशील कुमार, चंडीगढ़
Published by: खुशबू गोयल
Updated Tue, 20 Oct 2020 11:30 AM IST
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Punjab University
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पंजाब यूनिवर्सिटी सीनेट का कार्यकाल महज 11 दिन बचा है। वीसी ने कोरोना का हवाला देते हुए चुनाव स्थगित कर दिए हैं। अब गोयल ग्रुप चुनाव कराने के लिए अड़ गया है। इसके लिए गोयल गुट हाईकोर्ट की शरण में जाने की तैयारी कर चुका है। हाईकोर्ट से जुड़े सीनेटर कहते हैं कि यदि याचिका दायर होती है तो कुछ न कुछ राहत मिल सकती है। किस आधार पर हाईकोर्ट से राहत मिल सकती है, इस पर रणनीति तैयार की जा रही है।
उधर, सूत्रों का कहना है कि केंद्र से इशारा मिल गया है कि अब सीनेट नहीं रहेगी। बोर्ड ऑफ गवर्नेंस काम करेगी। सीनेट के लिए मनोनीत सदस्य और मौजूदा सीनेटर चाहते हैं कि जल्द से जल्द चुनाव हों ताकि शिक्षकों और अन्य समस्याओं को निपटाया जा सके। सीनेट का चुनाव 2016 में चार साल के लिए हुआ था। 31 अक्तूबर को सीनेट का कार्यकाल खत्म होने जा रहा है।
पीयू में ये है सीनेट की स्थिति
91 सीटें चुनाव व मनोनयन के जरिए भरी जाती हैं। चांसलर कार्यालय से मनोनीत होने वाले सदस्यों की संख्या 35 होती है। वहीं 10 सदस्य पदेन पदाधिकारी होते हैं। बाकी सीटों के लिए चुनाव होता है। पीयू कैंपस के जरिए दस सीनेटर चुने जाते हैं। कॉलेजों व रीजनल सेंटरों से भी लोग चुनकर सीनेट में पहुंचते हैं। सीनेट की प्रक्रिया पुरानी और जटिल है। माना जाता है कि पीयू की सीनेट का ढांचा अपने में अलग है। इस सीनेट के जरिए तमाम निर्णय हुए और कई निर्णयों का पलटा भी गया।
जानकारों का कहना है कि सीनेट के शुरुआत चरण ठीक रहे। यहां गुटबाजी की बजाय कामों को महत्व दिया जाता रहा है, लेकिन दो दशक से राजनीति हावी होती गई। आज सीनेट में कई ग्रुप बन चुके हैं। हर बैठक में हंगामा होता है। अपने-अपने लोगों को आगे बढ़ाने की तैयारी की जाती है। इन सभी कारणों के चलते अब सीनेट सुधार की ओर कदम बढ़ाया जा रहा है। सूत्रों का कहना है कि नवंबर में सीनेट रिफॉर्म का कार्य हो जाएगा।
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उधर, सूत्रों का कहना है कि केंद्र से इशारा मिल गया है कि अब सीनेट नहीं रहेगी। बोर्ड ऑफ गवर्नेंस काम करेगी। सीनेट के लिए मनोनीत सदस्य और मौजूदा सीनेटर चाहते हैं कि जल्द से जल्द चुनाव हों ताकि शिक्षकों और अन्य समस्याओं को निपटाया जा सके। सीनेट का चुनाव 2016 में चार साल के लिए हुआ था। 31 अक्तूबर को सीनेट का कार्यकाल खत्म होने जा रहा है।
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पीयू में ये है सीनेट की स्थिति
91 सीटें चुनाव व मनोनयन के जरिए भरी जाती हैं। चांसलर कार्यालय से मनोनीत होने वाले सदस्यों की संख्या 35 होती है। वहीं 10 सदस्य पदेन पदाधिकारी होते हैं। बाकी सीटों के लिए चुनाव होता है। पीयू कैंपस के जरिए दस सीनेटर चुने जाते हैं। कॉलेजों व रीजनल सेंटरों से भी लोग चुनकर सीनेट में पहुंचते हैं। सीनेट की प्रक्रिया पुरानी और जटिल है। माना जाता है कि पीयू की सीनेट का ढांचा अपने में अलग है। इस सीनेट के जरिए तमाम निर्णय हुए और कई निर्णयों का पलटा भी गया।
जानकारों का कहना है कि सीनेट के शुरुआत चरण ठीक रहे। यहां गुटबाजी की बजाय कामों को महत्व दिया जाता रहा है, लेकिन दो दशक से राजनीति हावी होती गई। आज सीनेट में कई ग्रुप बन चुके हैं। हर बैठक में हंगामा होता है। अपने-अपने लोगों को आगे बढ़ाने की तैयारी की जाती है। इन सभी कारणों के चलते अब सीनेट सुधार की ओर कदम बढ़ाया जा रहा है। सूत्रों का कहना है कि नवंबर में सीनेट रिफॉर्म का कार्य हो जाएगा।
सीनेट सुधार का प्रस्ताव भाजपा ग्रुप कर रहा था तैयार
सीनेट सुधार का प्रस्ताव बहुत पहले से ही भाजपा ग्रुप तैयार कर रहा था, क्योंकि कई सीनेट की बैठकों में भाजपा के मंत्रियों से लेकर कई दिग्गजों को हंगामे के जरिए अपमानित होना पड़ा। उन्होंने यहां से निकलते समय भी इशारा कर दिया था कि आगामी समय में सीनेट का स्वरूप बदलेगा। इसी को देखते हुए अब काम शुरू हो रहा है।
मंत्रियों, सांसदों व नेताओं ने यह बात केंद्र सरकार व चांसलर कार्यालय तक पहुंचाई। उसी के तहत सीनेट के चुनाव स्थगित कर दिए गए। सूत्रों का कहना है कि अब सीनेट के चुनाव संभव भी नहीं हैं। हालांकि हाईकोर्ट यदि एक पक्ष जाता है तो कुछ उम्मीद बन सकती है।
कमेटियों से कांग्रेसी सीनेटरों के हटने लगे नाम
पीयू की जांच कमेटी हो या फिर कोई अन्य निर्णय लेने के मामले। इन सभी में पहले कांग्रेसी सीनेटरों को जगह दी जाती थी। यानी निर्णय ही उन्हीं की ओर से लिए जाते थे, लेकिन एक माह से तमाम कमेटियों में इन लोगों को जगह नहीं दी गई।
मंत्रियों, सांसदों व नेताओं ने यह बात केंद्र सरकार व चांसलर कार्यालय तक पहुंचाई। उसी के तहत सीनेट के चुनाव स्थगित कर दिए गए। सूत्रों का कहना है कि अब सीनेट के चुनाव संभव भी नहीं हैं। हालांकि हाईकोर्ट यदि एक पक्ष जाता है तो कुछ उम्मीद बन सकती है।
कमेटियों से कांग्रेसी सीनेटरों के हटने लगे नाम
पीयू की जांच कमेटी हो या फिर कोई अन्य निर्णय लेने के मामले। इन सभी में पहले कांग्रेसी सीनेटरों को जगह दी जाती थी। यानी निर्णय ही उन्हीं की ओर से लिए जाते थे, लेकिन एक माह से तमाम कमेटियों में इन लोगों को जगह नहीं दी गई।