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Chandigarh: PGI में आयुष्मान-हिमकेयर के 20 करोड़ के 400 बिल गायब, मरीजों के नाम पर बिल, पैसे अन्य खातों में
संदीप खत्री, संवाद, चंडीगढ़
Published by: निवेदिता वर्मा
Updated Fri, 19 Sep 2025 08:11 AM IST
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सार
पुलिस जांच में सामने आया है कि जिन मरीजों के नाम पर बिल बने हैं, उनमें से कई के बैंक खाते मेल नहीं खा रहे। कई जगह नाम मरीजों के हैं लेकिन पैसा अन्य खातों में गया। 20 करोड़ के ये बिल पास भी हो चुके थे।

चंडीगढ़ पीजीआई
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
चंडीगढ़ पीजीआई में आयुष्मान और हिमकेयर योजना के तहत बने लगभग 20 करोड़ रुपये के 400 बिल रहस्यमय तरीके से गायब हो गए हैं। शिकायत पीजीआई सुरक्षा विभाग ने पुलिस को दी थी लेकिन अब तक इन बिलों का कोई सुराग नहीं मिला।
सूत्रों के मुताबिक पुलिस जांच में सामने आया है कि जिन मरीजों के नाम पर बिल बने हैं, उनमें से कई के बैंक खाते मेल नहीं खा रहे। कई जगह नाम मरीजों के हैं लेकिन पैसा अन्य खातों में गया। 20 करोड़ के ये बिल पास भी हो चुके थे। इस पूरे खेल से यह शक गहराता जा रहा है कि कहीं कागजों पर इलाज दिखाकर फर्जी भुगतान तो नहीं कराया गया। सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर 20 करोड़ के बिल कहां गायब हुए, और क्या वास्तव में इलाज हुआ या सिर्फ बिल बनाए गए?
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सूत्रों के मुताबिक पुलिस जांच में सामने आया है कि जिन मरीजों के नाम पर बिल बने हैं, उनमें से कई के बैंक खाते मेल नहीं खा रहे। कई जगह नाम मरीजों के हैं लेकिन पैसा अन्य खातों में गया। 20 करोड़ के ये बिल पास भी हो चुके थे। इस पूरे खेल से यह शक गहराता जा रहा है कि कहीं कागजों पर इलाज दिखाकर फर्जी भुगतान तो नहीं कराया गया। सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर 20 करोड़ के बिल कहां गायब हुए, और क्या वास्तव में इलाज हुआ या सिर्फ बिल बनाए गए?
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पुलिस जांच में ठहराव
कई महीनों के बावजूद पुलिस बिल का कोई सुराग नहीं लगा सकी। शिकायत के बाद से न तो जांच आगे बढ़ी और न ही कोई ठोस कार्रवाई हुई। सूत्र बताते हैं कि अगर गहराई से जांच होती तो बड़े पैमाने पर घोटाले का पर्दाफाश हो सकता था लेकिन मामले के ठंडे बस्ते में जाने से कई सवाल खड़े हो गए।पहले भी हो चुका है करोड़ों का घोटाला
आयुष्मान और हिमकेयर योजना में पहले भी करोड़ों का बड़ा घोटाला सामने आ चुका है। मार्च में अमर उजाला ने खबर प्रकाशित की थी कि पीजीआई में मरीजों का डेटा चोरी कर फर्जी बिल बनाए गए और दवाइयां बाजार में बेची गईं। इसके बाद पीजीआई ने दवा वितरण व्यवस्था बदल दी थी।अब तक 6 से ज्यादा आरोपियों की गिरफ्तारी
फरवरी में एक युवक को पीजीआई के नाम पर फर्जी नर्सिंग मुहर लगाकर 60 हजार रुपये की दवाइयां लेने के आरोप में पकड़ा गया। उसके कब्जे से आठ मोहरें, फर्जी बिल और इंडेंट बुक बरामद हुई। आरोपी ने पूछताछ में बताया कि यह काम किसी और के कहने पर किया। सूत्रों के अनुसार इंडेंट बुक गायब होने के कारण स्टोर और संबंधित विभागों में शिकायत दर्ज नहीं की गई थी जिससे यह घोटाला लगातार चल रहा था।बिल गायब होने के मामले में पुलिस को शिकायत दी गई है। पुलिस मामले की जांच कर रही है। - पीआरओ, पीजीआई