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ऑडिट रिपोर्ट में खुलासा: पीजीआई को साफ सफाई के लिए मिले थे 27 करोड़ रुपये, तीन साल में भी नहीं हो सके खर्च
वीणा तिवारी, अमर उजाला, चंडीगढ़
Published by: निवेदिता वर्मा
Updated Sat, 20 Dec 2025 10:16 AM IST
सार
ऑडिट रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि 2020-21 में 10 करोड़ रुपये की एस ए पी ग्रांट मार्च 2021 में जारी हुई, लेकिन इसके बावजूद अपेक्षित कार्य समय पर पूरे नहीं हो सके। ऑडिट ने स्पष्ट किया कि स्वच्छता जैसी प्राथमिक गतिविधियों में धन का समयबद्ध और प्रभावी उपयोग न होना, योजना के उद्देश्य पर सवाल खड़ा करता है।
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चंडीगढ़ पीजीआई
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
चंडीगढ़ पीजीआई में जहां प्रतिदिन 10 से 12 हजार मरीज इलाज कराने आ रहे हैं। जहां साफ सफाई पर विशेष ध्यान दिया जाना बेहद जरूरी है। उस संस्थान में स्वच्छता कार्यों के लिए केंद्र सरकार से मिले करोड़ों रुपये के समुचित उपयोग न होने का मामला सामने आया है।
स्वच्छ भारत मिशन के तहत स्वच्छता एक्शन प्लान (एस ए पी) के लिए जारी फंड पर ऑडिट रिपोर्ट ने गंभीर सवाल खड़े किए हैं। रिपोर्ट के अनुसार, तीन वित्तीय वर्षों में संस्थान को बड़ी राशि मिली, लेकिन उसका बड़ा हिस्सा खर्च ही नहीं किया जा सका। पीजीआई के खाते में स्वच्छता के लिए मिले कुल 27.46 करोड़ रुपये पड़े रह गए और दूसरी तरफ पीजीआई की जमीन पर गंदगी रह गई।
रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि 2020-21 में 10 करोड़ रुपये की एस ए पी ग्रांट मार्च 2021 में जारी हुई, लेकिन इसके बावजूद अपेक्षित कार्य समय पर पूरे नहीं हो सके। ऑडिट ने स्पष्ट किया कि स्वच्छता जैसी प्राथमिक गतिविधियों में धन का समयबद्ध और प्रभावी उपयोग न होना, योजना के उद्देश्य पर सवाल खड़ा करता है। अब इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद पीजीआई में एस ए पी फंड के प्रबंधन, निगरानी और जवाबदेही को लेकर बहस तेज हो गई है। विशेषज्ञों का मानना है कि पीजीआई जैसे संस्थान में स्वच्छता को लेकर की गई अनदेखी से जनता का विश्वास कमजोर हो रहा है। यदि समय रहते इन खामियों को दूर नहीं किया गया, तो स्वच्छता जैसे अहम मिशन पर आम जनता का भरोसा कमजोर पड़ सकता है।
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स्वच्छ भारत मिशन के तहत स्वच्छता एक्शन प्लान (एस ए पी) के लिए जारी फंड पर ऑडिट रिपोर्ट ने गंभीर सवाल खड़े किए हैं। रिपोर्ट के अनुसार, तीन वित्तीय वर्षों में संस्थान को बड़ी राशि मिली, लेकिन उसका बड़ा हिस्सा खर्च ही नहीं किया जा सका। पीजीआई के खाते में स्वच्छता के लिए मिले कुल 27.46 करोड़ रुपये पड़े रह गए और दूसरी तरफ पीजीआई की जमीन पर गंदगी रह गई।
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10.46 करोड़ में से केवल ढाई करोड़ ही खर्चे
ऑडिट रिपोर्ट के अनुसार के वित्त वर्ष 2019-20 में पीजीआई को एस ए पी के तहत कुल 10.46 करोड़ रुपये उपलब्ध थे, जिसमें से केवल 2.68 करोड़ रुपये ही खर्च किए गए। यानी करीब 74.38% राशि बिना उपयोग के रह गई। इसी तरह 2020-21 में 17.78 करोड़ रुपये उपलब्ध होने के बावजूद खर्च मात्र 7.27 करोड़ रुपये हुआ और 59.11% राशि अप्रयुक्त रही। वित्त वर्ष 2021-22 में स्थिति कुछ बेहतर दिखी, लेकिन तब भी 20.51 करोड़ रुपये में से 14.89 करोड़ रुपये ही खर्च हो सके और 27.40% फंड बचा रहा। तीन वर्षों को मिलाकर देखें तो कुल 5.62 करोड़ रुपये से अधिक की राशि खर्च नहीं हो पाई।लाॅकडाउन को बताया कारण
ऑडिट रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि एस ए पी फंड का उपयोग अस्पताल की स्वच्छता, सैनिटेशन, बायो-मेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट, प्लास्टिक वेस्ट और संक्रमण नियंत्रण जैसी प्राथमिक गतिविधियों पर किया जाना था। बावजूद इसके, लक्ष्यों की पूर्ण प्राप्ति नहीं हो सकी। ऑडिट के दौरान जब संस्थान से जवाब मांगा गया तो कोविड-19 लॉकडाउन को एक कारण बताया गया। हालांकि रिपोर्ट में यह तर्क पूरी तरह स्वीकार्य नहीं माना गया, क्योंकि फंड का एक बड़ा हिस्सा लॉकडाउन से पहले और बाद की अवधि में भी खर्च नहीं हुआ।रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि 2020-21 में 10 करोड़ रुपये की एस ए पी ग्रांट मार्च 2021 में जारी हुई, लेकिन इसके बावजूद अपेक्षित कार्य समय पर पूरे नहीं हो सके। ऑडिट ने स्पष्ट किया कि स्वच्छता जैसी प्राथमिक गतिविधियों में धन का समयबद्ध और प्रभावी उपयोग न होना, योजना के उद्देश्य पर सवाल खड़ा करता है। अब इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद पीजीआई में एस ए पी फंड के प्रबंधन, निगरानी और जवाबदेही को लेकर बहस तेज हो गई है। विशेषज्ञों का मानना है कि पीजीआई जैसे संस्थान में स्वच्छता को लेकर की गई अनदेखी से जनता का विश्वास कमजोर हो रहा है। यदि समय रहते इन खामियों को दूर नहीं किया गया, तो स्वच्छता जैसे अहम मिशन पर आम जनता का भरोसा कमजोर पड़ सकता है।