जलियांवाला बाग के नवीनीकरण को लेकर शहीदों के परिजन बेहद खफा हैं। उनका आरोप है कि सौंदर्यीकरण की आड़ में शहीदों से जुड़ीं निशानियों से छेड़छाड़ की गई है। शहीद ऊधमसिंह के बुत को भी बदल दिया गया है, वहीं जिस संकरी गली से जनरल डायर ने बाग के अंदर दाखिल होकर निहत्थे लोगों पर गोलियां चलवाईं थीं, उस गली को भी अब गैलरी बना दिया है। 13 अप्रैल 1919 को हुए इस गोलीकांड में एक हजार से ज्यादा लोग शहीद हुए थे, जिनमें छह साल के बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक शामिल थे। जलियांवाला बाग गोलीकांड के 100 वर्ष पूरे होने पर केंद्र सरकार ने 20 करोड़ रुपये खर्च कर इसे नया रूप दिया है। लेकिन, इससे भावनात्मक रूप से जुड़े लोगों को यह बदलाव रास नहीं आ रहा है। अमर उजाला से बातचीत में उन्होंने बताया कि पहले ऊधम सिंह का बुत यहां पिस्तौल हाथ में लिए हुए था, जिसे नवीनीकरण में अब हाथ फैलाते हुए कर दिया गया है।
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जलियांवाला बाग सौंदर्यीकरण : नवीनीकरण से शहीदों के परिजन खफा, विरासत से छेड़छाड़ का आरोप
रघु आदित्य, अमृतसर (पंजाब)
Published by: दुष्यंत शर्मा
Updated Sun, 12 Sep 2021 05:16 AM IST
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जलियांवाला बाग के नवनिर्माण के पहले और बाद की तस्वीरें
- फोटो : मंत्रालय द्वारा जारी तस्वीर

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जलियांवाला बाग
- फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
स्मारक के नवीनीकरण के दौरान उस गली को भी बदल दिया गया है जहां से होकर लोग बाग के अंदर जाया करते थे। पहले यहां दोनों तरफ सिर्फ साधारण और कोरी दीवारें थीं। अब इन दीवारों पर पेंट कर दिया गया है और ऐसी आकृतियां उकेर दी गई हैं, जिनमें कई चेहरे हंसते-मुस्कुराते दिखाई दे रहे हैं। पहले सैलानी जलियांवाला बाग में प्रवेश करते थे तो गली में घुसते ही उनको बेकसूर भारतीयों पर चलाई गईं गोलियों की स्मृति सामने आ जाती थीं। अब इसके बारे में जानकारी देने के लिए अलग-अलग चार गैलरियां बनाई गई हैं।
इनमें से एक में डॉक्यूमेंट्री के माध्यम से हिंदी व पंजाबी में गोलीकांड की जानकारी दी जा रही है। साथ ही यहां लाइट एंड साउंड शो भी शुरू किया गया है। जिसकी सोशल मीडिया पर बड़ी आलोचना हो रही है। लोग कह रहे हैं कि ऐसे स्मारक में लाइट एंड साउंड शो नहीं होना चाहिए। हत्याकांड के इस स्मारक को एयरपोर्ट या होटल की लॉबी या मनोरंजन पार्क जैसा बनाया जाना भी कतई उचित नहीं है।
इनमें से एक में डॉक्यूमेंट्री के माध्यम से हिंदी व पंजाबी में गोलीकांड की जानकारी दी जा रही है। साथ ही यहां लाइट एंड साउंड शो भी शुरू किया गया है। जिसकी सोशल मीडिया पर बड़ी आलोचना हो रही है। लोग कह रहे हैं कि ऐसे स्मारक में लाइट एंड साउंड शो नहीं होना चाहिए। हत्याकांड के इस स्मारक को एयरपोर्ट या होटल की लॉबी या मनोरंजन पार्क जैसा बनाया जाना भी कतई उचित नहीं है।
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जलियांवाला बाग
- फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
सौंदर्यीकरण तो किया लेकिन विरासत को उजाड़ा
जलियांवाला बाग फ्रीडम फाइटर्स फाउंडेशन के प्रधान सुनील कपूर कहते हैं कि सरकार ने इस ऐतिहासिक स्थल का सौंदर्यीकरण तो कर दिया, लेकिन विरासत को उजाड़ दिया है। उस शहीदी कुएं को एक शीशे से ढक दिया गया है, जिसमें तब गोलियों की हो रही बौछार से बचने के लिए लोग कूदे थे। मुख्य स्मारक के चारों तरफ एक तालाब बना दिया गया है, जहां कमल के फूल दिखाई दे रहे हैं, तो बाग के केंद्रीय स्थल माने जाने वाले ‘ज्वाला स्मारक’ का पुनर्निर्माण भी ठीक नहीं हुआ है।
जलियांवाला बाग फ्रीडम फाइटर्स फाउंडेशन के प्रधान सुनील कपूर कहते हैं कि सरकार ने इस ऐतिहासिक स्थल का सौंदर्यीकरण तो कर दिया, लेकिन विरासत को उजाड़ दिया है। उस शहीदी कुएं को एक शीशे से ढक दिया गया है, जिसमें तब गोलियों की हो रही बौछार से बचने के लिए लोग कूदे थे। मुख्य स्मारक के चारों तरफ एक तालाब बना दिया गया है, जहां कमल के फूल दिखाई दे रहे हैं, तो बाग के केंद्रीय स्थल माने जाने वाले ‘ज्वाला स्मारक’ का पुनर्निर्माण भी ठीक नहीं हुआ है।

जलियांवाला बाग
- फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
सांसद श्वेत मलिक बोले- कुछ लोग भ्रमित कर रहे
जलियांवाला बाग नेशनल मेमोरियल ट्रस्ट के ट्रस्टी और राज्यसभा सांसद श्वेत मलिक का कहना है कि शहीद ऊधम सिंह के बुत को लेकर कुछ गलत लोग जानकारियां देकर लोगों को भ्रमित कर रहे हैं। बुत के आगे बढ़े हुए हाथ में जलियांवाला बाग की मिट्टी को दिखाया गया है। शहीद ऊधम सिंह ने जलियांवाला बाग के शहीदों के खून से सनी मिट्टी को हाथ में लेकर अंग्रेजों से इसका बदला लेने की कसम खाई थी, जो उन्होंने 1934 में पूरी की। तंग गली में भी लोग चलेंगे तो अब इतिहास के साथ चलेंगे। दीवारों पर बनाई गईं आकृतियां उस दिन बाग में मौजूद और शहीद हुए लोगों से उनका परिचय कराएंगी।
जलियांवाला बाग नेशनल मेमोरियल ट्रस्ट के ट्रस्टी और राज्यसभा सांसद श्वेत मलिक का कहना है कि शहीद ऊधम सिंह के बुत को लेकर कुछ गलत लोग जानकारियां देकर लोगों को भ्रमित कर रहे हैं। बुत के आगे बढ़े हुए हाथ में जलियांवाला बाग की मिट्टी को दिखाया गया है। शहीद ऊधम सिंह ने जलियांवाला बाग के शहीदों के खून से सनी मिट्टी को हाथ में लेकर अंग्रेजों से इसका बदला लेने की कसम खाई थी, जो उन्होंने 1934 में पूरी की। तंग गली में भी लोग चलेंगे तो अब इतिहास के साथ चलेंगे। दीवारों पर बनाई गईं आकृतियां उस दिन बाग में मौजूद और शहीद हुए लोगों से उनका परिचय कराएंगी।
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जलियांवाला बाग
- फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह दे चुके क्लीनचिट
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गत 28 अगस्त को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए जलियांवाला बाग के नए स्वरूप का लोकार्पण किया था। इसके तत्काल बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ट्वीट कर जलियांवाला बाग में किए गए बदलाव पर सवाल खड़े किए, तो उन्हीं की पार्टी के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने इसे क्लीनचिट देते हुए कहा कि मेरे हिसाब से रेनोवेशन कार्य बहुत बढ़िया हुआ है। पंजाब के राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित ने भी माना कि विरासती जगह में कोई बदलाव नहीं किया गया है। जलियांवाला बाग नेशनल मेमोरियल ट्रस्ट के ट्रस्टियों में चेयरमैन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं, जबकि पंजाब के राज्यपाल, मुख्यमंत्री, केंद्रीय संस्कृति मंत्री, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और तीन नामित सदस्य (पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल, पूर्व सांसद तरलोचन सिंह, सांसद श्वेत मलिक) इसके ट्रस्टी हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गत 28 अगस्त को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए जलियांवाला बाग के नए स्वरूप का लोकार्पण किया था। इसके तत्काल बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ट्वीट कर जलियांवाला बाग में किए गए बदलाव पर सवाल खड़े किए, तो उन्हीं की पार्टी के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने इसे क्लीनचिट देते हुए कहा कि मेरे हिसाब से रेनोवेशन कार्य बहुत बढ़िया हुआ है। पंजाब के राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित ने भी माना कि विरासती जगह में कोई बदलाव नहीं किया गया है। जलियांवाला बाग नेशनल मेमोरियल ट्रस्ट के ट्रस्टियों में चेयरमैन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं, जबकि पंजाब के राज्यपाल, मुख्यमंत्री, केंद्रीय संस्कृति मंत्री, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और तीन नामित सदस्य (पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल, पूर्व सांसद तरलोचन सिंह, सांसद श्वेत मलिक) इसके ट्रस्टी हैं।