बिजली उपभोक्ताओं को झटका, मीटर का किराया बढ़ा, महीने में देने होंगे 30 रुपये, प्रोसेसिंग फीस भी बढ़ी
दक्षिण हरियाणा के दस जिलों के बिजली उपभोक्ताओं की जेब आने वाले दिनों में अच्छी-खासी ढीली होगी। दक्षिण हरियाणा बिजली वितरण निगम ने हिसार, सिरसा, भिवानी, जींद, फतेहाबाद, गुरुग्राम, फरीदाबाद, नारनौल, रेवाड़ी और पलवल जिलों के उपभोक्ताओं के लिए अनेक चार्ज में बड़ा इजाफा किया है। निगम इसके पीछे हरियाणा विद्युत विनियामक आयोग की मई महीने की अधिसूचना का हवाला दे रहा है। जिस अनुसार आठ साल बाद चार्ज में बढ़ोतरी की गई है।
बिजली उपभोक्ताओं को अब प्रति माह सिंगल फेज मीटर का सर्विस चार्ज प्रति महीने दस रुपये ज्यादा देना होगा। अब तक यह चार्ज 20 रुपये लगता था, जिसे बढ़ाकर 30 रुपये किया गया है। निगम ने एप्लीकेशन की प्रोसेसिंग फीस भी बढ़ा दी है। इसमें पांच गुणा की बढ़ोतरी की गई है। अब एप्लीकेशन प्रोसेसिंग फीस 10 की जगह 50 रुपये लगेगी।
मीटर की सील लगवाने के रेट भी बढ़ाए गए हैं। मीटर कपबोर्ड की सील अब 30 की बजाय 50 रुपये में लगेगी। मीटर के इंस्टालेशन चार्ज में भी वृद्धि की गई है। पहले सिंगल फेस के 100 रुपये और थ्री फेज के 200 रुपये लगते थे, अब सिंगल फेज के 150 रुपये और थ्री फेज के 300 रुपये लगेंगे।
मीटर इंस्पेकशन और टेस्टिंग चार्ज में भी बढ़ोतरी हुई है। पहले सिंगल फेज के 50 रुपये और थ्री फेज के 100 रुपये, एलटीसी मीटर के 500 रुपये व एचटी-ईएचटी मीटर के एक हजार रुपये प्रति मीटर होते थे, अब सिंगल फेज के 100 रुपये, थ्री फेज के 200 रुपये, एलटीसी मीटर के 750 रुपये और एचटी-ईएचटी मीटर के 1500 रुपये चुकाने होंगे।
अपने खर्च पर करानी होगी लाइन-ट्रांसफार्मर की जांच
बिजली निगम ने एक और नया प्रावधान कर दिया है। अब अगर किसी लाइन, ट्रांसफार्मर या उपकरण की टेस्टिंग भी करवानी है तो उसका चार्ज उपभोक्ता को देना होगा। अब तक इस प्रकार की सेवाओं के लिए किसी प्रकार की राशि वसूल नहीं की जाती थी।
एई, एईई और हेल्पर की सेवाओं के भी रेट तय
यदि कोई एई और एईई की सेवाएं लेता है उसे 6800 रुपये प्रतिदिन, जेई की सेवा लेते हैं 4400 रुपये और हेल्पर की सेवा लेते हैं तो 1800 रुपये देने होंगे। इसी प्रकार टेस्टिंग के लिए निगम का कोई उपकरण लेते हैं तो उसके लिए अलग से चार्ज देना होगा।
निगम के फैसले पर उठ रहे सवाल
निगम के अधीक्षण अभियंता कामर्शियल की ओर से अनेक चार्ज में बढ़ोतरी का सरकुलर 11 जुलाई को जारी किया गया है। इस अनुसार मीटर सर्विस, इंस्टालेशन चार्ज, एप्लीकेशन प्रोसेसिंग फीस इत्यादि चार्ज में 2011 में बढ़ोतरी की गई थी। निगम के फैसले पर सवाल भी उठ रहे हैं, कि अगर बिजली निगम फायदे में जा रहे हैं तो फिर उपभोक्ताओं पर वित्तीय बोझ क्यों डाला जा रहा है।
सर्व कर्मचारी संघ के महासचिव सुभाष लांबा का कहना है कि फायदे में दिखाए जा रहे निगम एक तरफ तो बिजली की दरें न बढ़ाकर वाहवाही लूट रहे हैं और दूसरी ओर अनेक तरह के चार्ज में बढ़ोतरी कर उपभोक्ताओं की कमर तोड़ी जा रही है।