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Punjab BJP: गुटबाजी को हवा देना अश्वनी शर्मा को पड़ा महंगा, अब मालवा से प्रधान बनाने की तैयारी में भाजपा

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, जालंधर (पंजाब) Published by: निवेदिता वर्मा Updated Tue, 04 Jul 2023 11:49 AM IST
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सार

भाजपा की नजर मालवा पर है। पार्टी के पास अब मालवा में दमदार चेहरे हैं। कैप्टन अमरिंदर सिंह, राणा गुरमीत सिंह सोढी, केवल सिंह ढिल्लो, अरविंद खन्ना, सुनील जाखड़, गुरप्रीत सिंह कांगड़ व मनप्रीत सिंह बादल सब मालवा से हैं। भाजपा अकाली दल से अलग होकर मालवा में काफी कमजोर हो गई थी।

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सुनील जाखड़ और अश्वनी शर्मा - फोटो : अमर उजाला

विस्तार
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पंजाब भाजपा प्रधान अश्वनी शर्मा को पार्टी में गुटबाजी को हवा देना और जालंधर लोकसभा उपचुनाव में पार्टी का खराब प्रदर्शन काफी महंगा साबित हो रहा है। पार्टी के भीतर से ही उनके खिलाफ रोष पैदा हो रहा था। पार्टी के भीतर के हालात भी काफी निराशानजक थे क्योंकि अंदरखाते काफी गुटबाजी बढ़ चुकी थी। पार्टी में सांपला गुट को काफी कमजोर किया जा रहा था और यही नहीं बाहरी पार्टी से आने वाले नेताओं को स्टेज पर बैठाया जा रहा था, जबकि पुराने टकसाली भाजपा नेता नीचे कुर्सियों पर बैठ रहे थे। पार्टी के कई सीनियर नेता घरों में बैठने को मजबूर हो गए थे।

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हालात यह थे कि जालंधर के कई साल भाजपा प्रधान व स्टेट सचिव रहे रवि महेंद्रू को जालंधर उपचुनाव में प्रचार के दौरान नीचे कुर्सियों पर पब्लिक के बीच बैठने के लिए स्थान दिया गया, जबकि आप से निकाले गए शिव दयाल माली स्टेज पर बैठे हुए थे। जिला भाजपा के सक्रिय प्रधान रहे रमेश शर्मा को भी किनारे लगा रहा था। उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान तमाम टकसाली भाजपा नेताओं को घरों से निकालकर दोबारा पार्टी में सक्रिय किया था। इन चुनावों में उनकी भी अनदेखी कर किनारे रखा गया। भाजपा के तेजतर्रार नेता अमित तनेजा जो पूरे पंजाब में पकड़ रखते आए हैं, उनकी अनदेखी भी की जा रही थी क्योंकि वह एससी-एसटी आयोग के चेयरमैन विजय सांपला के निकटवर्ती हैं।

सुनील जाखड़ को हराने वाले अरुण नारंग भी हाशिये पर
लुधियाना से भाजपा महिला मोर्चा की पूर्व प्रधान रेणू थापर को भी पार्टी ने घर बैठाया हुआ है। वह लंबे समय तक सक्रिय महिला प्रधान रही हैं लेकिन पार्टी अब उनकी जरूरत महसूस नहीं कर रही है। भाजपा नेता राकेश भाटिया को भी नजरअंदाज किया गया। इसी तरह फाजिल्का से भाजपा नेता सुबोध वर्मा को भी पार्टी में कोई तरजीह नहीं दी जा रही थी। पूर्व विधायक अरुण नारंग वह नेता थे, जिन्होंने सुनील जाखड़ को 2017 का विधानसभा चुनाव हराया था, लेकिन अब पार्टी में बिलकुल हाशिये पर चल रहे थे।

लंबे समय तक भाजपा की मीडिया की कमान संभालने वाले और डिप्टी सीएम के ओएसडी रह चुके चंडीगढ़ से विनीत जोशी भी हाशिये पर चल रहे हैं। हालांकि वह लंबे समय तक पार्टी के लिए डिबेट भी करते रहे हैं लेकिन उनको किनारे रखा गया। सांपला के निकटवर्ती रहे दीवान अमित अरोड़ा भी लंबे समय तक हाशिये पर चल चल रहे थे।

सांपला गुट किया किनारे
फरवरी में जब पार्टी की इकाई की घोषणा की गई तो पार्टी में सांपला गुट को बिल्कुल किनारे कर दिया गया था। पार्टी के महासचिव पद पर जीवन गुप्ता, दयाल सिंह सोढी व राजेश बाघा हैं, तीनों सांपला गुट से नहीं माने पार्टी की युवा इकाई के प्रधान कंवरवीर टोहड़ा ने जो अपनी टीम तैयार की है, उसमें सांपला गुट को तरजीह नहीं दी गई है। सांपला के भतीजे आशू सांपला प्रदेश युवा इकाई के महासचिव रहे हैं, लेकिन उनका पत्ता काट दिया गया। 

पार्टी के सीनियर नेता और पूर्व जिला प्रधान रमेश शर्मा का कहना है कि पार्टी हाईकमान के फैसले का स्वागत है। इस फैसले से पार्टी के भीतर सकारात्मक ऊर्जा का संचार होगा। पार्टी के कार्यकर्ता तन मन से लोकसभा चुनाव के लिए तैयार हैं लेकिन जब पार्टी में अंदरूनी गुटबाजी होती है तो निराशा पैदा होना स्वभाविक है लेकिन हाईकमान के इस फैसले से पंजाब का माहौल बदलेगा, यह तय है।

मालवा से प्रधान बनाकर पार्टी लोकसभा में दमदार ढंग से उतरने की तैयारी में...
भाजपा की नजर मालवा पर है। पार्टी के पास अब मालवा में दमदार चेहरे हैं। कैप्टन अमरिंदर सिंह, राणा गुरमीत सिंह सोढी, केवल सिंह ढिल्लो, अरविंद खन्ना, सुनील जाखड़, गुरप्रीत सिंह कांगड़ व मनप्रीत सिंह बादल सब मालवा से हैं। भाजपा अकाली दल से अलग होकर मालवा में काफी कमजोर हो गई थी। पार्टी की तरफ से अकाली दल के साथ मिलकर चुनाव लडे़ जाते थे तो पार्टी होशियारपुर, गुरदासपुर व अमृतसर से चुनाव लड़ती थी। अकाली दल की तरफ से मालवा में कोई भी सीट भाजपा को नहीं देती थी। जिस कारण भाजपा लगातार मालवा में कमजोर होती चली गई थी। 

अमृतसर व गुरदासपुर माझा में हैं जबकि होशियारपुर दोआबा में। ऐसे में भाजपा का वर्कर इन क्षेत्रों में सिमटकर रह गया था। विधानसभा चुनावों में भी भाजपा को मालवा इलाके में तरजीह नहीं दी जाती थी। 23 सीटों में अमृतसर, जालंधर, होशियारपुर व लुधियाना से ही सीट मिलती थी। कुल मिलाकर अकाली दल ने मालवा पर कब्जा कर रखा था। आप ने 2022 के चुनावों में मालवा में जबरदस्त आंधी चलाई और मजबूत सरकार बना ली। 

इतिहास भी इस बात का साक्षी है कि पंजाब में जितने भी सीएम बने हैं, अधिकतर मालवा से ही रहे हैं। दो बार कैप्टन अमरिंदर सिंह, पांच बार प्रकाश सिंह बादल, बीबी राजिंदर कौर भट्ठल, हरचरण सिंह बराड़, चरणजीत सिंह चन्नी मालवा से लड़ते आए हैं। लिहाजा सत्ता की चाबी मालवा के हाथ है। जाखड़ मालवा से हैं और उनका भतीजा संदीप जाखड़ कांग्रेस से विधायक है। लिहाजा भाजपा जाखड़ को प्रधान बनाकर पंजाब में मालवा में अपना परचम लहराने की योजना बनाकर बैठी है।

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