Bageshwar: धीरेंद्र शास्त्री बोले- हनुमानजी ने अमीरों के पर्चा बनाने के लिए मुझे शक्ति नहीं दी है, वो तो...
Bageshwar Sarkar pt. dhirendra krishna shastri: अवधपुरी मैदान गुढ़ियारी रायपुर में चल रही हनुमंत कथा के चौथे दिन बागेश्वर धाम पीठाधीश्वर पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने प्रेत राज सरकार का दिव्य दरबार लगाया।
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Bageshwar Sarkar pt. Dhirendra Krishna Shastri: समाजसेवी चंदन-बसंत अग्रवाल के नेतृत्व में अवधपुरी मैदान गुढ़ियारी रायपुर में चल रही हनुमंत कथा के चौथे दिन बागेश्वर धाम पीठाधीश्वर पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने प्रेत राज सरकार का दिव्य दरबार लगाया। ऐसा माना जाता है कि लोगों पर भूत-प्रेत का साया रहता है। बागेश्वर सरकार के सेनापति उसे दूर करते हैं। इस दौरान बागेश्वर सरकार के सेनापतियों ने जमकर चमेटा मारा फिर ऊँ बम बागेश्वराय: बीर-बीराय: हूम, फट स्वह:, ऊँ बम बागेश्वराय: बीर-बीराय: हूम के मंत्र का जाप किया। सभी लोग ठीक होकर खुशी-खुशी अपने घर लौटे। इस दौरान धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि हनुमानजी ने उन्हें अमीरों के पर्चा बनाने के लिए शक्ति नहीं दी है, जिनका कोई नहीं है उनके लिए दी है। इस कलयुग में बालाजी सरकार जैसा कोई दूसरा देवता नहीं है। इस मौके पर 250 से अधिक लोगों ने दीक्षा लेते हुए गुरु मंत्र लिया।
'कैसे भी तंत्र मंत्र हो, एक रुपये तुम्हारा खर्च नहीं होगा'
पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने कहा कि प्रेत राज सरकार के दरबार में कैसे भी तंत्र मंत्र हो एक रुपये तुम्हारा खर्च नहीं होगा, कोई पूजा का सामान नहीं लगेगा। कोई बलि का सामान नहीं लगेगा, बालाजी के नाम से ही तुम्हारें घर, दुकान, शरीर, जहां पर भी कैसा भी तंत्र-मंत्र, बाधा, मोहन, वसीकरण, जादू-टोना होना हो एक भी नहीं रहेगा। दिव्य दरबार में कई लोग झूमने लगे और कई लोग चिल्ला रहे थे। पं. शास्त्री ने इस पर मंत्र बोलते हुए कहा कि ऊँ बम बागेश्वराय: बीर-बीराय: हूम, फट स्वह:, ऊँ बम बागेश्वराय: बीर-बीराय: हूम, फट स्वह:, जिनको भी प्रेतबाधा है दोनों हाथों की मुठ्ठी बांधो। छत्तीसगढ़ वालो अब तुम्हें हली उल्लाय के चक्कर में, चर्च के चक्कर में पड़ने की आवश्यकता नहीं है। हनुमानजी शक्तियां ही तंत्र-मंत्र का समाधान कर डालेंगे। अपना नाम लो मन में, अपना गोत्र बोलो, हे बालाजी की सेना, सन्यासी बाबा की सेना चारों पंडालों के सबसे आखिरी में जहां पर भी प्रेत रोगी बैठे है सब जगह सेना भेजी जाए और चमिटा की मार लगाई जाए। कुलर के पास में साड़ी बहने हुई महिला है उसकी जमकर पिटाई की जाए। बताओ मुंह बांधके भी भूत आते है, यह हमें लगता है कि कहीं डाकू आ गया है। पहली बार हम छत्तीसगढ़ में देख रहे है कि भूत भी मुंह बांधते हैं। इस दौरान एक बुजुर्ग महिला को भूत ने जकड़ लिया था और वह मुंह को बांधे हुए नाच रही थी। तुम हो भूत तो हमारे पास है रामजी के दूत। पुरुष लोग भी झूप रहे थे और एक को वहां मौजूद लोग उठाकर पंडित के पास लाए और कहा कि आ बेटा देखते हुए है दम कितने बाजू में है। उसके शरीर में पूरा चमेटा मारने को बोला और वह आदमी झूमने लगा और राम-राम-राम का जाप करने के बाद वह आदमी ठीक हो गया और काला नारियल लेकर वापस खुशी-खुशी अपने घर गया।
'ऐसे काम करो की कोई धर्मांतरण न करें और हमारा भारत हिन्दू राष्ट्र हो जाए'
बागेश्वर धाम पीठाधीश्वर ने कहा कि हमें जीवन में एक बात पक्की है यदि हमने जो कह दिया वह करके रहते हैं। हम घंटों में लेट हो सकते हैं दिनों में नहीं। घंटों में इसलिए लेट हो जाते हैं क्योंकि मिलने वाले ज्यादा लोग आ जाते हैं। पूरी रात हमले चार मीटिंग की एक 150 लोगों के साथ, दूसरी 100 लोगों के साथ, तीसरी 60 लोगों के साथ और बसंत के घर, सुबह 6.30 बजे सोए, फिर उठे, हनुमान की पूजा अर्चना करने के बाद लोगों को दीक्षा दिया, फिर फलाहारी करने के बाद यहां पहुंचे। हमारे कहने का मतलब यह है कि आप जो वचन दो वह पूरा करके रहो। ऐसे काम करो की कोई धर्मांतरण न करें और हमारा भारत हिन्दू राष्ट्र हो जावे। आज से तुम सभी वचन ले लो की हम अपने आप को बदलकरके ही जीऐंगे। दुनिया, मित्रा को बताने के लिए नहीं बदलाना है, बदलना तब है जब तुम्हें कोई देख ना रहा हो और कोई सुन ना रहा हो और देखते ही देखते तुम्हारें अंदर बदलाव हो जाएगा। भले ही कोई देखे या ना देखें, जब तुम काम के लिए नियम बना लो और एक दिन तुम्हारें इसी नियम को देखकर पूरी दुनिया अपनाने लगेगी। 12वीं मैने 74 प्रतिशत अंक से पूरे स्कूल में टॉप किया था और राज्य सरकार की ओर से इनाम के रुप में पांच हजार रुपये भी मिला था। पूरी दुनिया के लोग उन्हें बदलने आए लेकिन वे नहीं बदले और अपने नियम पर काम रहे और आज भी कायम है। जिन चाचा जी ने हमें बचपन में टीवी नहीं देखने दिया आज वे रोज हमें टीवी पर देख रहे है। इस कलयुग में बालाजी सरकार जैसा कोई दूसरा देवता नहीं है इसलिए आज प्रण ले लो कि हम अपने आप को बदलकर रखेंगे।
'दौड़ते हुए घोड़े, उगते हुए सूर्यं का चित्र लगाने से कभी भी भाग्य नहीं चमकता'
पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने श्रोताओं से कहा कि सफलता पाने के लिए बातों से नहीं रातों से लडऩा पड़ता है, इसके लिए आलस को त्यागना, अभिमान, सुख को त्यागना पड़ता है और क्षमा करना पड़ता है, विनम्र बनना पड़ता है, कमिटमेंट करना पड़ता है। आईएएस, डॉक्टर, व्यापारी को अगर तुम और सफलता पाना चाहते हो तो एक बात नोट कर लीजिए बेटा-बेटी वो महान नहीं है जो माता-पिता के नाम से जाने जाए, बेटा और बेटी तो वो महान है जिनके नाम से माता-पिता को जाना जाए। माता-पिता की पहचान पूरी दुनिया में कराने के लिए एक बात तुम वचन ले लो कि तुम अपने आप को बदलकर रहोगे। दौड़ते हुए घोड़े, उगते हुए सूर्यं का चित्र लगाने से कभी भी भाग्य नहीं चमकता है, सूर्य उदय के पहले जागना पड़ता है और घोड़ों की तरह दौड़ना पड़ता है। हम केवल तुम्हें रास्ता दे सकते हैं और दिव्य दरबार के माध्यम से तुम्हें हनुमान जी आर्शीवाद मिल सकता है। पॉजिटिविटी मिल सकती है, अच्छी सोच मिल सकती है, हमारे पास जो दिव्य शक्ति या चेतना है, जिन शक्तियों के बल पर भारत से लेकर कई देशों में सनातन धर्म का झण्डा फहरा रहे हैं। हम इसके बल पर तुम्हें आर्शीवार्द दे सकते हैं लेकिन चलना तो तुमको ही पड़ेगा।
इन्होंने कहा कि हनुमान जी पेपर देने नहीं बैठेंगे, शक्ति हमारे पास है तो शक्ति बैठती है दरबार लगाने, लगवाती वो है बैठना हमको पड़ता है। मेहनत, बोलने से लेकर सब कुछ हमको ही करना पड़ता है। हमारे पास जो पुराने हनुमान जी हैं वो आज तुम लोगों को दिखा रहे हैं अभी तक नहीं दिखाया था जो बहुत काले हैं, इसका दर्शन टीवी पर करो, ऐसा दर्शन तुम्हें कहीं नहीं होगा। बहुत पॉवर फूल हनुमान जी हैं, यही हमें बताते हैं। हम पर कृपा करते हैं। इन्हीं को हम झोली में लिए चलते हैं। विदेश में एक भक्त के घर में 140 साल से थे जो मूर्ति तुम भारत में कहीं नहीं देख पाओगे। लोगों को लगता है हम अपनी झोली में रुपया-पैसा रखते हैं लेकिन हम अपने गुरुजी हनुमान, पुरानी-पुरानी मालाओं को रखते हैं। लेकिन भैया कभी भी हमारे पास पचासों ऑफर आते हैं, कभी फिल्मों, कभी गंदे, कई लोग कहते हैं ऐ दे देंगे, वो देंगे हम उन्हें कहते हैं, उसकी तुम ठठरी बनाओ, हमें हनुमानजी ने शक्ति अमीरों के पर्चा बनाने के लिए नहीं दी है, जिनका कोई नहीं है उनकी अर्जी लगाने के लिए दी है। हम अमीरों के विरोधी नहीं हैं, उनसे मिलते हैं। अब तो धाम पर नियम कर दिया है कि अब वीआईपी, वीवीआईपी पोटोकॉल लगा के आओगे तो दर्शन भी नहीं मिलेंगे, मिलना तो दूर की बात है, आप भक्त बनकर आआगे तो ही मिलोगे। 7-8 महीने के लिए हम जी हजूरी लगाने में लग गए थे तब हनुमान ने सपने में हमें बहुत फटकार लगाया, उसके बाद हमने नियम बना लिया कि हम अपना नियम नहीं छोडेंगे। जिनके लिए हनुमान जी ने शक्ति है उनकी अर्जी लगाएंगे और उनका भला करेंगे।
तुम भी बालाजी के चरण पकड़ लो, तुम्हारे भी दिन बदल जाएंगे
शास्त्री ने कहा कि ये बातें कहकर हम तुम्हें प्रभावित करना नहीं चाह रहे है जब हम पर हनुमान जी कृपा हो सकती है तो तुम भी बालाजी के चरण पकड़ लो तुम्हारे भी दिन बदल जाएंगे। बालाजी कृपा और तुम लोगों ने हमें चढ़ोतरी दी है उस चढ़ोतरी के द्वारा 1375 बेटियों के धर्मपिता बन गए, जिनके माता-पिता नहीं है उनका विवाह करवाया, जिनमें एक बेटी छत्तीसगढ़़ की थी। इस साल फिर से 15 फरवरी 2026 को 251 बेटियों का विवाह करने जा रहे हैं। 24, 25 और 26 अक्टूबर को हमारा जहां जन्म हुआ पुराने निवास पर उसी जन्मभूमि में बैठकर हम सत्यनारायण की कथा सुनाएंगे रोज शाम को 4 बजे से 6 बजे तक और पूरे भारत के लोग इसे को लाइव देखेंगे क्योंकि वहां 40 से 50 के ही बैठने की व्यवस्था है। एक छोटे के कमरे से कैसे हमने अपना जीवन शुरु किया यह सबको दिखाएंगे और आज हनुमानजी के कारण पूरी दुनिया में जा रहे हैं।
अंग्रेज सीखें हमारी हिन्दी हम क्या बोल रहे हैं
ज्यादा कथा इसलिए हम कर रहे हैं कि बागेश्वरधाम पर अस्पताल बन सकें। लोग कहते थे कि मंदिरों से किसको फायदा है, मैं कहता हू कि बागेश्वरधाम की दान पेटी पहली दान पेटी है जहां पर गरीब बेटियों का तो घर बसता ही है और कथा में मिलने वाली दक्षिणा से अस्पताल का निर्माण भी हो रहा है। प्रधानमंत्री से मुलाकात के दौरान उनसे हमने कहा कि देश में अस्पतालों के अंदर तो मंदिर बहुत है लेकिन मंदिर के अंदर अस्पताल हम अस्पताल देखना चाहते हैं, तो उन्होंने पूछा कि बनाओगे कैसे, तब हमने कहा कि आपने जैसे राम मंदिर बना दिया। हनुमान के साथ 46 हजार शक्तियां चलती हैं साथ और उन्हीं की प्रेरणा और जप-तप लगती है, उन्हीं की दम के कारण ललकार करके बोल देते हैं देश में भी और विदेश में भी। जो अंग्रेज पहले हॉवडू करते थे अब वह सीताराम जप रहे हैं। यह हमारा प्रभाव नहीं है बालाजी हनुमान जी का। हमारी अंग्रेजी इतनी खतरनाक है कि अंग्रेज भी आत्महत्या कर लेते हैं और हम सीखते भी नहीं है और सीखें क्यों। अंग्रेज सीखें हमारी हिन्दी हम क्या बोल रहे हैं।
श्रद्धालुओं ने लिया अनुज शर्मा और राधेश्याम के भजनों का आनंद
भजन गायक राधेश्याम ने स्वागत भजन की प्रस्तुति दी। इसके बाद धरसींवा विधायक और छालीवुड अभिनेता अनुज ने भी भजन की प्रस्तुति दी। कथा समाप्ति के बाद 10 साल के यस कटारिया ने भी अपनी भजन की प्रस्तुति देते हुए सजा दो घर की गुलशन इतना सा बागेश्वर बाबा बधारे है.. भजन गाए तो पंडाल में उपस्थित श्रद्धालु झूमने और नाचने लगे।