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Bageshwar: रायपुर में कल भी लगेगा दिव्य दरबार, प्रेत दरबार में 'भूतों' की जमकर पिटाई करवाएंगे बागेश्वर सरकार

अमर उजाला ब्यूरो, रायपुर Published by: ललित कुमार सिंह Updated Mon, 06 Oct 2025 04:33 PM IST
सार

Bageshwar Sarkar pt. dhirendra krishna shastri: छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के दही हांडी उत्सव स्थल गुढ़ियारी में जारी हनुमंत कथा के चौथे दिन यानी सात अक्तूबर मंगलवार को भी दिव्य दरबार लगेगा।

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CG: bageshwar Sarkar Divya Darbar and Pret Darbar tomorrow in raipur CG
दिव्य दरबार में लोगों की अर्जी सुनते बागेश्वर धाम पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री - फोटो : अमर उजाला डिजिटल
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विस्तार
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Bageshwar Sarkar pt. dhirendra krishna shastri: छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के दही हांडी उत्सव स्थल गुढ़ियारी में जारी हनुमंत कथा के चौथे दिन यानी सात अक्तूबर मंगलवार को भी दिव्य दरबार लगेगा। इसमें लोग अपनी अर्जी लगाकर समस्याओं का निवारण करायेंगे। इसके बाद प्रेत दरबार भी लगेगा। ऐसा माना जाता है कि जिनके ऊपर प्रेत बाधाएं होती हैं। महाराज बालाजी की कृपा से उसे ठीक करते हैं। उनको उपाय भी बताते हैं। सिद्ध भभूति देते हैं, जिससे भक्तों को आराम मिलता है। वहीं बागेश्वर सरकार अदृश्य सेनापति के माध्यम से 'भूतों' की जमकर पिटाई भी करवाते हैं। 

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भक्तों की मानें, तो बाबा बागेश्वर जब चमत्कारी दरबार लगाते हैं, तो वह अपने आप में अद्भुत होता है। बाबा की सारी चमत्कारी शक्तियां उनकी एक छोटी सी गदा यानी मुगदर में होती हैं। हनुमंत कथा में बागेश्वर धाम पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने कहा कि हमारा मनुष्य तन केवल खाने और सोने के लिए नहीं मिला कुछ करने के लिए मिला है, इस बात का जिसको बोध हो गया वह भी भाग्यशाली है। हम किसी सरकार के सपोर्टक या पोषक नहीं है पर सत्य बोलने वाले है क्योंकि हम साधु है और साधु के लिए सब बराबर है। छत्तीसगढ़ में सभी पार्टी के लोग सत्ता में रहे पर भैय्या छत्तीसगढ़ का जो काला धब्बा था नक्सलाईट कोई खत्म नहीं कर पाया, पर भगवान ने ऐसी कृपा की कि भारत के गृहमंत्री अमित शाह और छत्तीसगढ़ के गृहमंत्री विजय शर्मा जिन्होंने प्रण ले लिया कि भारत की सबसे प्रिय प्रदेशों में महतारी के रुप में जिसे पूजा जाता है वह छत्तीसगढ़ है और छत्तीसगढ़ का सबसे बड़ा काला धब्बा वह है नक्सलवाद और उसे 2026 तक खत्म किया जाएगा और हमको प्रसन्नता भी है कि वह आज कथा में भी आए है। आपने जो प्रण लिया उसको करके भी दिखाया, बड़े-बड़े ईनामी नक्सली ढेर हो गए कितनी अच्छी बात है। पद को पा लेना बड़ी बात नहीं है पद पर बैठ करके उस पद का सदुपयोग करना बहुत बड़ी बात है। इससे छत्तीसगढ़ की जो गति है उस गति को और चार-चांद लेंगे और छत्तीसगढ़ इसी तरह पूरे देश में आगे बढ़ता जाएगा। 
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जब हम सब में राम बस जाएंगे तो भेद-भाव नहीं होगा, आदमी पड़ोसियों के सुख को देखकर ज्यादा हैरान रहता है। सब में भगवान है, जब आपके अंतर आत्मा में भेद खत्म हो जाएगा तो जो राम हमारे अंदर है वह राम तुम्हारें अंदर भी आ जाएगा। हम लोगों के अंदर पाप क्यों आता है जब दूसरों को दूसरा, अपनो को अपना मारे, दुख अपने पन का होता है। अंदर जलन नहीं धन्यवाद की भावना उत्पन्न होनी चाहिए कि भगवान ने बड़ी कृपा की कि हमारे लड़के की नौकरी लग जाएगी और कम से कम पड़ोसी के लड़कों को ऑफिसर बना दें। 

दूसरों को प्रसन्न करना और दूसरों को देखना, यही जीना है
हम लोग रोज चाय पीते हुए अखबार पढ़ते है जिसमें कभी लिखा होता है कि 30 मर गए, हम लोग कहते है कि अखबार वाले लोग झूठी खबर छापते है, 35 मरे होंगे, लाओ जरा बिस्कूट ले आओ। अगर इस बीच किसी अपने का नाम आ जाए तो चाय छूट जाएगी। इससे सिद्ध होता है कि मरने का जितना दुख नहीं होता है उससे ज्यादा अपनो के मरने का दुख होता है कि वह अपना है। अब इस संसार में हम सब को अपना मान लें तो दुख भी रहेगा और सुख भी, दूसरों को दुखी देखकर तुम भी दुखी होगे और दूसरों का सुख देखकर तुम भी खुश रहोगे। अगर ऐसा तुम अपने जीवन में उतार लोगे तो हमें लगेगा की तुम कभी दुखी नहीं रहोगे। जीना क्या है - दूसरों को प्रसन्न करना और दूसरों को देखना, यही जीना है, बोलो सीता राम..।

कथा कैसे सुनें
श्री कुलशेखर जी का चरित्र है भक्तमाल- केरल में एक जगह है कोल्ली नगर यहां एक बड़े धर्मात्मा राजा थे जो निश्चित ही धर्मात्मा रहे होंगे। हम लोग बच्चों को कहकर समझाते है इसलिए बच्चे समझते नहीं है एक भी प्रतिशत। कहकर नहीं अगर करके समझाए तो बच्चे 100 प्रतिशत समझ जाएंगे। अगर हम कहें बेटा गुटखा नहीं खाना इससे कैंसर हो जाता है और उसके सामने ही वह तंबाखू खा रहा है तो बेटा मन ही मन कहता है खुद ही भोक रहे हो और हम को कह रहे हो कैंसर हो जाएगा। गुरु को प्रमाण कैसे करना चाहिए, भगवान के मंदिर कैसे जाना चाहिए, ऐसे कपड़े पहना चाहिए यदि आप यह करके दिखाओगे तो आपका बालक के चित में यह बात चिपक जाएगी और आपका बालक समझ जाएगा। पिता के धर्म से पुत्रों की वृद्धि होती है। कोल्ली नगर के राजा की एक भी संतान नहीं थी, इन्होंने नारायण का व्रत किया और नारायण की कृपया से द्वादशी के दिन एक बड़े तेजस्वी बालक ने जन्म लिया और राजा के मृत्यु के बाद जब वह राजा बना तो बड़ा धर्मात्मा बना और नित भगवान का पूजन-पाठ करता था। जब राजा धर्मात्मा होता है तो प्रजा भी धर्मात्मा हो जाती है। यदि राजा धर्मात्मा नहीं है तो प्रजा के अंदर भी वही विचार आता है। भले ही कई बार संगति में बालक या बालिका बिगड़ जाए लेकिन उसके मूल में वह धर्म होगा जो उसके माता-पिता ने उसे बचपन में दिया था तो वह अपने मूल धर्म में वापस जरुर आ जाएगा।

कथा सुनने के तीन मूल नियम है
बागेश्वर सरकार ने कहा कि कथा सुनने के तीन मूल नियम है। पहला नियम है कथा प्रारंभ होने से पूर्व बैठ जाए, दूसरा नियम है बहुत सावधान होकर सुने क्योंकि कौन सी बात तुम्हारें चित में बैठकर चोट कर जाए और कौन सी बात तुम्हारा हृदय परिवर्तन कर दें। तीसरा नियम रसीक बनकर कथा में बैठे, जब तक कथा पूरी ना हो जाए तब तक भाव पूर्वक बैठकर कथा को सुने। रसीक का मतलब जैसे गाना गाने वाले को अपना गाना प्रिय होता है, जैसे घोड़ा चलाने वाले को घोड़ा प्रिय होता है जैसे वासना की बात करने वाले को वासना की बातें प्रिय होती है, जैसे राजनीति व्यक्ति को राजनीति की बात प्रिय लगती है, जैसे साधु नीति की बातों को साधुओं को प्रिय लगती है वैसे ही कथा श्रोता को केवल कथा ही प्रिय लगनी चाहिए। इस भाव से यदि कथा सुनोगे तो पक्का है आपको कथा का फल भी मिलेगा और कथा के सत्संग के प्रभाव से कथा में मिलेंगे संत।

महाराज कहा कि दुर्गा जी स्थापना के बाद और पूर्व में ऐसे ही रामलीला के मंचन के समय पर किस तरह से हमको हमारी पुरातन और सनातन परंपराओं के साथ ही इन बातों का आयोजन करना चाहिए और यह बहुत ही आवश्यक विषय है समाज के लिए। महाराज श्री से निवेदन करते हुए गृहमंत्री ने कहा कि गुढिय़ारी का यह वही स्थान है जहां पर आपने सारे शंकाओं, कुशंकाओं को ध्वस्त करते हुए भगवान के उस लीला को स्थापित किया था और गुढिय़ारी वाले हनुमान जी कृपा सारे ही लोगों पर बनी रहे और साथ ही साथ छत्तीसगढ़ में आपका बार-बार आगमन शीघ्र - अतिशीघ्र होता रहे क्योंकि छत्तीसगढ़ में विभिन्न समस्याएं और भी है जिस पर जन-जागरण आवश्यकता है जिस पर आपके द्वारा दिए गए जागरण ही सबके काम आ जाता है, वह घूसपैठ का विषय हो, धर्मांतरण का विषय हो इन सारे ही विषयों पर काम करने की आवश्यकता है। आपका मार्गदर्शन और आर्शीवाद सदैव मिलता रहे। समाजसेवी बसंत अग्रवाल जी ने बहुत ही सुंदर ढंग से अपने साथियों के साथ मिलकर जो आयोजन किया है उसके लिए बसंत अग्रवाल और उनकी टीम को बधाई और शुभकामनाएं देते है। शीघ्र ही कवर्धा का कार्यक्रम बने पूज्य महाराजश्री से यही प्रार्थना किया। 

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