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International Yoga Day 2025: सुनीता जैन ने कहा- दुष्प्रभाव रहित मानसिक शांति और संतुलन प्रदान करता है योग
अमर उजाला ब्यूरो, रायपुर
Published by: ललित कुमार सिंह
Updated Sat, 21 Jun 2025 04:38 PM IST
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सार
International Yoga Day: मानसिक स्वास्थ्य एक ऐसा विषय है, जिसे अब गंभीरता से लेना समय की मांग है। योग एक ऐसा माध्यम है जो बिना किसी दुष्प्रभाव के व्यक्ति को मानसिक शांति और संतुलन प्रदान करता है।

डॉ. सुनीता जैन, योग चिकित्सक, शासकीय आयुर्वेदिक महाविद्यालय चिकित्सालय, रायपुर
- फोटो : अमर उजाला डिजिटल
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विस्तार
International Yoga Day: मानसिक स्वास्थ्य एक ऐसा विषय है, जिसे अब गंभीरता से लेना समय की मांग है। योग एक ऐसा माध्यम है जो बिना किसी दुष्प्रभाव के व्यक्ति को मानसिक शांति और संतुलन प्रदान करता है। यदि हम रोज़ाना कुछ समय योग और ध्यान को दें, तो न केवल हम मानसिक बीमारियों से बच सकते हैं, बल्कि एक सकारात्मक, आनंदमय और संतुलित जीवन की ओर अग्रसर हो सकते हैं। ये बातें शासकिय आयुर्वेद महाविद्यालय अस्पताल रायपुर की योग चिकित्सक डाक्टर सुनिता जैन ने कहीं।

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उन्होंने कहा कि आज की तेज रफ्तार ज़िंदगी में मानसिक तनाव, चिंता और अवसाद जैसे मानसिक रोग आम होते जा रहे हैं। काम का दबाव, सामाजिक प्रतिस्पर्धा, रिश्तों में तनाव और अनियमित जीवनशैली हमारे मानसिक स्वास्थ्य को गहरे रूप से प्रभावित कर रही है। ऐसे समय में योग एक प्राकृतिक, सुलभ और प्रभावी उपाय के रूप में सामने आया है, जो न केवल शारीरिक स्वास्थ्य बल्कि मानसिक संतुलन को भी मजबूती प्रदान करता है।
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योग: केवल शारीरिक व्यायाम नहीं
बहुत से लोग योग को केवल शरीर को लचीला बनाने का साधन मानते हैं, लेकिन वास्तव में योग एक सम्पूर्ण जीवनशैली है। पतंजलि योगसूत्र में योग को "चित्तवृत्ति निरोधः" कहा गया है, यानि योग मन की चंचलता को नियंत्रित करने का माध्यम है। योग के विभिन्न अंग — जैसे कि प्राणायाम, ध्यान (मेडिटेशन), और आसन-व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा सकारात्मक प्रभाव डालते हैं।
तनाव को कम करने में योग की भूमिका
आज का मनुष्य हर पल किसी न किसी तनाव से घिरा रहता है। प्राणायाम जैसे गहरी सांस लेने की विधियां तंत्रिका तंत्र को शांत करती हैं और हार्वर्ड मेडिकल स्कूल के एक अध्ययन के अनुसार, नियमित योगाभ्यास से कॉर्टिसोल (तनाव हार्मोन) का स्तर कम होता है। इससे मानसिक हल्कापन महसूस होता है और सोचने-समझने की शक्ति बेहतर होती है।
चिंता और अवसाद से राहत
ध्यान (मेडिटेशन) और योग निद्रा जैसी विधियाँ मस्तिष्क में सकारात्मक न्यूरोट्रांसमीटर-जैसे कि सेरोटोनिन और डोपामिन -के स्राव को बढ़ावा देती हैं। ये रसायन मूड को बेहतर बनाने में सहायक होते हैं और अवसाद व चिंता से लड़ने में मदद करते हैं। नियमित योगाभ्यास करने वालों में आत्मविश्वास, भावनात्मक स्थिरता और मानसिक स्पष्टता देखने को मिलती है। अनेक वैश्विक और भारतीय शोधों में यह सिद्ध हुआ है कि योग का नियमित अभ्यास मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है। कुछ अध्ययन यह भी बताते हैं कि योग थेरेपी, मानसिक रोगों से पीड़ित व्यक्तियों के उपचार में दवाओं के साथ-साथ सहायक भूमिका निभा सकती है।
नींद की गुणवत्ता में सुधार
अनियमित नींद या अनिद्रा, मानसिक विकारों का बड़ा कारण है। योग निद्रा, शवासन, और ध्यान के माध्यम से नींद की गुणवत्ता में सुधार होता है। एम्स नई दिल्ली के एक अध्ययन में यह पाया गया कि नियमित योग से अनिद्रा से ग्रसित व्यक्तियों की नींद की अवधि और गहराई दोनों में सुधार हुआ।
कोविड-19 और मानसिक स्वास्थ्य में योग की भूमिका
महामारी के दौरान जब मानसिक स्वास्थ्य एक वैश्विक चुनौती बन गया, तब डब्ल्यूएचओ और आयुष मंत्रालय ने योग को मानसिक स्वास्थ्य बनाए रखने का एक प्रभावी उपाय माना। कॉमन योग प्रोटोकॉल के माध्यम से लाखों लोगों ने मानसिक शांति पाई।
सरकारी प्रयास और नीति
भारत सरकार ने ‘फिट इंडिया मूवमेंट’, ‘आयुष मंत्रालय’, और ‘अंतरराष्ट्रीय योग दिवस’ जैसे अनेक कार्यक्रमों के माध्यम से योग को जन-जन तक पहुँचाया है। वैज्ञानिक शोधों और अनुभवों से यह सिद्ध हो चुका है कि योग न केवल तनाव और चिंता को कम करता है, बल्कि संपूर्ण जीवन को संतुलन प्रदान करता है। आज के तनावग्रस्त समाज में योग को अपनाना केवल एक विकल्प नहीं, बल्कि एक आवश्यकता बन चुका है।