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कोरबा: राइस मिल संचालक की मनमानी, संबंधित विभाग मेहरबान,शिकायत के बाद भी नहीं हो रही कार्रवाई

अमर उजाला नेटवर्क, कोरबा Published by: Digvijay Singh Updated Tue, 09 Dec 2025 01:09 PM IST
सार

कोरबा जिले की जीवन रेखा कही जाने वाली अहिरन नदी का अस्तित्व एक बार फिर गंभीर खतरे में है. नदी को गंदा करने में कोई कसर नहीं छोड़ी जा रही है और लगातार इसमें प्रदूषण बढ़ता जा रहा है।

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Rice mill owner arbitrary actions concerned department shows leniency no action being taken even after complai
केमिकलयुक्त गंदा पानी नदी में छोड़ा जा रहा - फोटो : अमर उजाला
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कोरबा जिले की जीवन रेखा कही जाने वाली अहिरन नदी का अस्तित्व एक बार फिर गंभीर खतरे में है. नदी को गंदा करने में कोई कसर नहीं छोड़ी जा रही है और लगातार इसमें प्रदूषण बढ़ता जा रहा है। स्थानीय ग्रामीणों का आरोप है कि क्षेत्र के एक राइस मिल संचालक द्वारा आपत्ति और शिकायतों के बावजूद केमिकलयुक्त गंदा पानी नदी में छोड़ा जा रहा है।

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इस मनमानी पर जिला प्रशासन की मेहरबानी भी सवालों के घेरे में है. मामला कटघोरा क्षेत्र के कसरेंगा का है. नदी में केमिकलयुक्त पानी छोड़े जाने से ग्रामीण बेहद परेशान और आक्रोशित हैं. उनका कहना है कि कई बार शिकायत के बाद भी राइस मिल संचालक पर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही, जिससे लोगों में नाराजगी बढ़ती जा रही है।
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अहिरन नदी के प्रदूषित पानी में निस्तारी करने को मजबूर ग्रामीणों में त्वचा संबंधी रोगों का खतरा तेजी से बढ़ रहा है. छोटे बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक में खुजली और चर्म रोग जैसी समस्याएँ आम हो गई हैं. ग्रामीणों ने बताया कि बार-बार शिकायत दर्ज कराने के बावजूद राइस मिल से केमिकलयुक्त पानी का छोड़ा जाना नहीं रुका है. इससे परेशान होकर गाँव में बैठक की गई, जहाँ ग्रामीणों ने उग्र आंदोलन की चेतावनी दी है।

कटघोरा के कसरेगा गाँव में यह समस्या सबसे ज्यादा गंभीर है. अहिरन नदी पर यहां की एक बड़ी आबादी निर्भर है. कृषि, सब्जी उत्पादन और निस्तारी के लिए यह नदी ग्रामीणों का आधार मानी जाती है. पहले से ही खदान क्षेत्र से गुजरते हुए नदी में प्रदूषण मिलता रहा है, लेकिन अब उद्योगों के गंदे पानी की निकासी से अहिरन नदी और अधिक जहरीली होती जा रही है, जिससे भविष्य में इसका अस्तित्व ही खतरे में पड़ सकता है।

ग्रामीणों ने बताया कि इतनी शिकायत के बावजूद भी वह बेधड़क होकर केमिकल युक्त पानी को नदी में छोड़ रहा है। कहीं ना कहीं जो संबंधित विभाग और जिम्मेदार है उनका मिली भगत हो सकती है तभी तो कार्रवाई करने का नाम नहीं ले रही है और संचालक अपने हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। कई छोटे-छोटे बच्चे खुजली के शिकार हो रहे हैं वही मवेशी भी केमिकल युक्त पानी पीने से बीमार पड़ रहे हैं।

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